अयोध्या के अंतिम फैसले पर अपडेट: 30 वर्ष की इस लंबी अवधि के बाद अंतत: सुप्रीम कोर्ट ने भारत के सबसे लंबे और गर्म धार्मिक मामले अर्थात राम जन्मभूमि और बाबरी मज़्जिद मामले में अपना अंतिम फैसला सुनाया. आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, मुस्लिम पक्ष अपने आंतरिक द्वार के लिए अपने कब्जे को साबित करने में असमर्थ रहा जिसके कारण अब यह भूमि जन्म भूमि ट्रस्ट को प्रदान की जायेगी. रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की बेंच ने विवादित भूमि के संबंध में विकल्प के रूप में एक दूसरी मज़्जिद बनाने के लिए उन्हें 5 एकड़ भूमि देने की घोषणा की है.
सबसे लंबे समय तक चलने वाले इस धार्मिक मामले को अंतत: एक निष्कर्ष पर लाया गया, यह मामला लगभग 450 साल पुराना है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अंतिम फैसले की घोषणा के बाद, हजारों सैन्य बल, मुंबई, भोपाल, यूपी, जम्मू कश्मीर, दिल्ली और मध्य प्रदेश के प्रमुख क्षेत्रों को कवर करते हुए अयोध्या और देश के कई हिस्सों में पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बैंगलोर, कर्नाटक, और दिल्ली में धारा 144 लगाई गई है.
अयोध्या के फैसले के महत्वपूर्ण बिंदु:
- #पूरी 2.77 एकड़ जमीन ट्रस्ट को प्रदान की जायेगी और मंदिर का निर्माण तीन महीने बाद शुरू किया जाएगा.
- # मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ की वैकल्पिक भूमि मिलेगी.
- #मुसलमान पक्ष भूमि के बाहरी कोर्टयार्ड पर भी अपना आधिपत्य साबित करने में असक्षम रहे और आन्तरिक कोर्टयार्ड भी हिंदू पक्ष में रहा.
- #सुप्रीम कोर्ट का कहना है, अलग-अलग धर्म के तहत भी हर व्यक्ति उनके लिए समान है, वे उनके बीच अंतर नहीं कर सकते हैं.
- #सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मस्जिद के नीचे एक मंदिर जैसा विशाल ढांचा अब स्वामित्व का दावा करने का आधार नहीं हो सकता है..
- #सुप्रीम कोर्ट ने यह भी घोषणा की कि 13 वीं से 16 वीं शताब्दी के बीच स्वामित्व का कोई सबूत नहीं है
- #सर्वोच्च न्यायलय: एएसआई ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि मस्जिद बनाने के लिए किसी मंदिर को नष्ट किया गया था या नहीं. हालांकि मस्जिद एक मंदिर पर बनाई गई थी और उसके खंडहर का प्रयोग किया है.
- #रंजन गोगोई CJI रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नाज़र, न्यायमूर्ति अशोक भूषण नाम के सभी पाँच न्यायाधीशों की समीति के निर्णय का नेतृत्व कर रहे थे।.
- #सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय में निर्मोही अखाड़ा को कोई ज़मीन प्राप्त नहीं हुई.



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