निर्देश (1-5): नीचे दिए गए
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
वैसे तो भारतीय
साहित्य में ऋग्वेद से ही अनेक सुन्दर प्रेमाख्यान उपलब्ध होने लगते हैं, किन्तु इसकी अखण्ड परम्परा का सूत्रपात महाभारत
से होता है। इसका मूल कारण कदाचित यह है कि महाभारत काल से पूर्व जहाँ भारतीय समाज
में अति मर्यादावादी दृष्टिकोण की प्रमुखता दिखाई पड़ती है, वहाँ महाभारतीय समाज में हम स्वच्छन्द–प्रणय भावना का उन्मीलन और विकास देखते हैं। महाभारत में
वर्णित विभिन्न प्रसंगों से स्पष्ट है कि उस युग में प्रणय के क्षेत्र में जाति,
कुल, वर्ण व लोक–मर्यादा का विचार बहुत
कुछ शिथिल हो गया था। सौन्दर्य की प्रेरणा से ही प्रेम और विवाह–सम्बन्ध स्थापित होने लगे थे। प्रेम और विवाह के क्षेत्र
में आर्य–अनार्य का भेद भी लुप्त हो गया था। इसीलिए भीम
असुर–कन्या हिडिम्बा से, अर्जुन नाग–कन्या चित्रांगदा
से, कृष्ण ऋक्ष–कन्या जाम्बवती से विवाह कर लेते हैं। प्रणय–स्वप्नों की पूर्ति के लिए सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन, नायिका का बलात् अपहरण व नायिका के संरक्षकों से यु़द्ध भी
अनुचित नहीं माना जाता था। कृष्ण द्वारा रूक्मिणी का तथा अर्जुन
द्वारा सुभद्रा का अपहरण तथा भीम–हिडिम्बा,
प्रद्युम्न–प्रभावती, अनिरूद्ध-उषा प्रसंगों में नायिका के संरक्षकों से युद्ध इसी को प्रमाणित
करता है। ऐसी स्थिति में यदि महाभारत से ही स्वच्छन्द प्रेमाख्यानों या
रोमांस-साहित्य का प्रवर्तन माना जाए, तो यह अनुचित न होगा। महाभारत में समाविष्ट प्रासंगिक उपाख्यानों में सर्वाधिक
महत्वपूर्ण नल-दमयन्ती उपाख्यान है जिसमें स्वच्छन्द प्रेम या रोमांस की वे सभी
प्रवृत्तियाँ उपलब्ध होती हैं, जो परवर्ती
प्रेमाख्यानक उपाख्यानों में भी बराबर प्रचलित रहीं हैं, यथा नायक-नायिका के अप्रत्यक्ष परिचय से ही प्रेम की
उत्पत्ति, हंस द्वारा संदेशों का
आदान-प्रदान, नायक-नायिका के मिलन में
अनेक बाधाओं की उपस्थिति, परिस्थितिवश नायक-नायिका
का विच्छेद एवं पुनर्मिलन, अस्तु महाभारत
यदि प्रेमाख्यानों की आधारभूमि है, तो नल-दमयन्ती
उपाख्यान उसका सर्वाधिक आकर्षक केन्द्र-बिन्दु है।
साहित्य में ऋग्वेद से ही अनेक सुन्दर प्रेमाख्यान उपलब्ध होने लगते हैं, किन्तु इसकी अखण्ड परम्परा का सूत्रपात महाभारत
से होता है। इसका मूल कारण कदाचित यह है कि महाभारत काल से पूर्व जहाँ भारतीय समाज
में अति मर्यादावादी दृष्टिकोण की प्रमुखता दिखाई पड़ती है, वहाँ महाभारतीय समाज में हम स्वच्छन्द–प्रणय भावना का उन्मीलन और विकास देखते हैं। महाभारत में
वर्णित विभिन्न प्रसंगों से स्पष्ट है कि उस युग में प्रणय के क्षेत्र में जाति,
कुल, वर्ण व लोक–मर्यादा का विचार बहुत
कुछ शिथिल हो गया था। सौन्दर्य की प्रेरणा से ही प्रेम और विवाह–सम्बन्ध स्थापित होने लगे थे। प्रेम और विवाह के क्षेत्र
में आर्य–अनार्य का भेद भी लुप्त हो गया था। इसीलिए भीम
असुर–कन्या हिडिम्बा से, अर्जुन नाग–कन्या चित्रांगदा
से, कृष्ण ऋक्ष–कन्या जाम्बवती से विवाह कर लेते हैं। प्रणय–स्वप्नों की पूर्ति के लिए सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन, नायिका का बलात् अपहरण व नायिका के संरक्षकों से यु़द्ध भी
अनुचित नहीं माना जाता था। कृष्ण द्वारा रूक्मिणी का तथा अर्जुन
द्वारा सुभद्रा का अपहरण तथा भीम–हिडिम्बा,
प्रद्युम्न–प्रभावती, अनिरूद्ध-उषा प्रसंगों में नायिका के संरक्षकों से युद्ध इसी को प्रमाणित
करता है। ऐसी स्थिति में यदि महाभारत से ही स्वच्छन्द प्रेमाख्यानों या
रोमांस-साहित्य का प्रवर्तन माना जाए, तो यह अनुचित न होगा। महाभारत में समाविष्ट प्रासंगिक उपाख्यानों में सर्वाधिक
महत्वपूर्ण नल-दमयन्ती उपाख्यान है जिसमें स्वच्छन्द प्रेम या रोमांस की वे सभी
प्रवृत्तियाँ उपलब्ध होती हैं, जो परवर्ती
प्रेमाख्यानक उपाख्यानों में भी बराबर प्रचलित रहीं हैं, यथा नायक-नायिका के अप्रत्यक्ष परिचय से ही प्रेम की
उत्पत्ति, हंस द्वारा संदेशों का
आदान-प्रदान, नायक-नायिका के मिलन में
अनेक बाधाओं की उपस्थिति, परिस्थितिवश नायक-नायिका
का विच्छेद एवं पुनर्मिलन, अस्तु महाभारत
यदि प्रेमाख्यानों की आधारभूमि है, तो नल-दमयन्ती
उपाख्यान उसका सर्वाधिक आकर्षक केन्द्र-बिन्दु है।
Q1. उपर्युक्त अवतरण
का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक है-
का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक है-
(a) ऋग्वेद तथा
महाभारत
महाभारत
(b) प्रेम कथाओं की
निरर्थकता
निरर्थकता
(c) प्रणय और युद्ध
(d) प्रेमाख्यान
परम्परा और सूत्रपात
परम्परा और सूत्रपात
(e) इनमें से कोई
नहीं
नहीं
Q2. प्रणय और
परिणय-समबन्धों के विषय में महाभारत के कई प्रसंग इस ओर संकेत करते हैं कि उस काल
में-
परिणय-समबन्धों के विषय में महाभारत के कई प्रसंग इस ओर संकेत करते हैं कि उस काल
में-
(a) युद्ध के बिना
कोई प्रेम-विवाह सार्थक नहीं होता था
कोई प्रेम-विवाह सार्थक नहीं होता था
(b) प्रेम और विवाह
के क्षेत्र में आर्य-अनार्य का भेद लुप्त हो रहा था
के क्षेत्र में आर्य-अनार्य का भेद लुप्त हो रहा था
(c) प्रेम में
व्याभिचार के लिए स्थान नहीं था
व्याभिचार के लिए स्थान नहीं था
(d) प्रणय-स्वप्नों
की पूर्ति सभ्भव नहीं थीं।
की पूर्ति सभ्भव नहीं थीं।
(e) इनमें से कोई
नहीं
नहीं
Q3. हमारे साहित्य की
प्राचीनतम रोमाण्टिक रचना उपलब्ध है-
प्राचीनतम रोमाण्टिक रचना उपलब्ध है-
(a) उपनिषदों में
(b) ऋग्वेद में
(c) महाभारत में
(d) प्रेमाख्यानक
सूफी काव्य में
सूफी काव्य में
(e) इनमें से कोई
नहीं
नहीं
Q4. महाभारत-काल से
पूर्व भारतीय समाज में किस दृष्टिकोण की प्रमुखता दिखाई पड़ती है?
पूर्व भारतीय समाज में किस दृष्टिकोण की प्रमुखता दिखाई पड़ती है?
(a) मर्यादित
(b) सौम्य
(c) अतिमर्यादित
(d) सौन्दर्य-प्रधान
(e) इनमें से कोई
नहीं
नहीं
Q5. प्रद्युम्न-प्रभावती प्रसंग और अनिरूद्ध-उषा
प्रसंग में समानता है-
प्रसंग में समानता है-
(a) उनके ऋग्वेद से
सम्बद्ध होने से
सम्बद्ध होने से
(b) उनके सर्वाधिक
निकृष्ट प्रासंगिक उपाख्यान होने से
निकृष्ट प्रासंगिक उपाख्यान होने से
(c) उनके सर्वाधिक
आकर्षक प्रेमाख्यान होने में
आकर्षक प्रेमाख्यान होने में
(d) उनकी नायिकाओं के
संरक्षकों से युद्ध होने से
संरक्षकों से युद्ध होने से
(e) इनमें से कोई
नहीं
नहीं
निर्देश (6-10): निम्नलिखित में
से कौन-सा शब्द वाक्यांश गद्यांश में मोटे अक्षरों में लिखे गए शब्द /वाक्यांश का समानार्थी
है?
से कौन-सा शब्द वाक्यांश गद्यांश में मोटे अक्षरों में लिखे गए शब्द /वाक्यांश का समानार्थी
है?
Q6. अखण्ड
(a) गहरा खड्ड
(b) अविभाजित
(c) अविकसित
(d) निर्विकार
(e) भूतल
Q7. प्रणय
(a) परिहार
(b) प्ररिसर्ग
(c) प्रेम
(d) प्रणव
(e) इनमें से कोई
नहीं
नहीं
Q8. प्रेमाख्यान का
सूत्रपात माना जाता है
सूत्रपात माना जाता है
(a) ऋग्वेद से
(b) अथर्ववेद से
(c) महाभारत से
(d) रामायण से
(e) उषनिषद् से
Q9. नायक-नायिका का
विच्छेद एवं पुनर्मिलन उदाहरण है
विच्छेद एवं पुनर्मिलन उदाहरण है
(a) भीम-हिडिम्बा के
मिलन से
मिलन से
(b) अर्जुन-चित्रांगदा
के मिलन से
के मिलन से
(c) कृष्ण-जाम्बवती
के मिलन से
के मिलन से
(d) नल-दमयन्ती के
मिलन से
मिलन से
(e) इनमें से कोई
नहीं
नहीं
Q10. समाविष्ट
(a) समाहार
(b) समाधान
(c) समाहित
(d) सस्वर
(e) इनमें से कोई
नहीं
नहीं
निर्देश (11-15): नीचे दिए गए
प्रत्येक प्रश्न में एक रिक्त स्थान छूटा हुआ है और उसके पांच शब्द सुझाए गए हैं।
इनमें से कोई एक रिक्त स्थान पर रख देने से वह वाक्य एक अर्थपूर्ण वाक्य बन जाता
हैं। सही शब्द ज्ञातकर उसके क्रमांक को उत्तर के रूप में अंकित कीजिए, दिए गए शब्दों में से सर्वाधिक उपयुक्त का चयन
करना है।
प्रत्येक प्रश्न में एक रिक्त स्थान छूटा हुआ है और उसके पांच शब्द सुझाए गए हैं।
इनमें से कोई एक रिक्त स्थान पर रख देने से वह वाक्य एक अर्थपूर्ण वाक्य बन जाता
हैं। सही शब्द ज्ञातकर उसके क्रमांक को उत्तर के रूप में अंकित कीजिए, दिए गए शब्दों में से सर्वाधिक उपयुक्त का चयन
करना है।
Q11. न मैं किसी की
उपेक्षा करता हूँ न किसी प्रकार की _____।
उपेक्षा करता हूँ न किसी प्रकार की _____।
(a) उम्मीद
(b) इच्छा
(c) अपेक्षा
(d) लालसा
(e) इनमें से कोई
नहीं
नहीं
Q12. जिसकी _____होती है, उसका विनाश निश्चित है।
(a) व्युत्पत्ति
(b) निष्पत्ति
(c) संपति
(d) उत्पत्ति
(e) इनमें से कोई नहीं
Q13. उत्कर्ष और _____जीवन के अनिवार्य अंग हैं।
(a) विकर्ष
(b) विमर्श
(c) संघर्ष
(d) अपकर्ष
(e) इनमें से कोई
नहीं
नहीं
Q14. ब्रम्हा सत् चित्
_____स्वरूप है।
_____स्वरूप है।
(a) ज्ञान
(b) आनंद
(c) सुख
(d) शिव
(e) इनमें से कोई
नहीं
नहीं
Q15. कफ और पित्त _____के बिना पंगु हैं।
(a) बात
(b) शात
(c) भात
(d) वात
(e) इनमें से कोई
नहीं
नहीं
हल
S1. Ans. (d)
S2. Ans. (b)
S3. Ans. (c)
S4. Ans. (c)
S5. Ans. (d)
S6. Ans. (b)
S7. Ans. (c)
S8. Ans. (a)
S9. Ans. (d)
S10. Ans. (c)
S11. Ans. (c)
S12. Ans. (d)
S13. Ans. (d)
S14. Ans. (b)
S15. Ans. (d)