डर मनुष्य को कमजोर बनता है, वह फिर कैसा भी डर. इसलिए जब भी डर लगे उसका मजबूती के साथ सामना करना चाहिए. डर एक स्वाभाविक क्रिया है. जो मनुष्य के अन्दर होना आम बात है, पर बुद्धिमानी यह है कि उस डर को अपनी कमजोरी न बनने दिया जाये, बल्कि उसका डट कर सामना करें. कोई व्यक्ति अगर यह कहे कि उसे किसी भी चीज से डर नहीं लगता, तो वह व्यक्ति झूठ बोलता है. बुद्धिमानी यह है कि आप डर के बाद भी अपने मार्ग से पीछे न हटें और संघर्ष करें. ऊँचें पहाड़ो में चढ़ने वाले लोग भी डरते हैं पर उनका हौसला उनके डर से बड़ा होता है इसीलिए वह अपना लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं. ऐसे ही आपको भी अपने डर पर काबू रखना चाहिए. धन्यवाद !
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