Direction (1-15) : नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और
उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
आजकल समाचार पत्रों समेत विभिन्न मंचों पर आए दिन यह मांग उठती रहती है कि
सरकार को सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी कम करनी चाहिए। इसके पीछे मूल दलील यह
है कि सरकारी बैंक सरकार की गांरटी के चलते प्रतिस्पर्धी नहीं बन पाये हैं। इसके
अलावा सरकारी बैंकों की कामकाजी शैली के कारण कुल गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए)
का 86 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं
बैंकों के पास है जब कि सभी बैकों की कुल संपत्ति में उनकी हिस्सेदारी 75 प्रतिशत हैं।
सरकार को सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी कम करनी चाहिए। इसके पीछे मूल दलील यह
है कि सरकारी बैंक सरकार की गांरटी के चलते प्रतिस्पर्धी नहीं बन पाये हैं। इसके
अलावा सरकारी बैंकों की कामकाजी शैली के कारण कुल गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए)
का 86 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं
बैंकों के पास है जब कि सभी बैकों की कुल संपत्ति में उनकी हिस्सेदारी 75 प्रतिशत हैं।
पिछले 10 सालों की बात की जाए तो
आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के देशों में निजी बैंकों और कंपनियों को सरकारी
सहायता दिए जाने के कई मामले सामने आए हैं। इनमें दिग्गज अमेरिकी वाहन कंपनियां तक
शमिल हैं। भारत की बात की जाए तो ग्लोबल ट्रस्ट बैंक और सत्यम की गड़बड़ियाँ ध्यान
में आती हैं। जनता की स्मृति कई मामलों में बहुत कमजोर होती है। वर्ष 1992 में सामने आए घोटाले में भारतीय और विदेशी निजी
बैंक शमिल थे जिन्हें शेयरों की खरीद फरोख्त में अवैध रूप से पैसा लगाने का दोषी
पाया गया था। यह बात मानने लायक नहीं है कि उस वक्त सरकारी और निजी बैंकों अथवा
करोबारी समुदाय के लोगों को यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि शेयर कीमतों में उछाल गलत
तरीक से लाई गई है और इसलिए उसमें स्थायित्व की उम्मीद करना बेमानी है।
आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के देशों में निजी बैंकों और कंपनियों को सरकारी
सहायता दिए जाने के कई मामले सामने आए हैं। इनमें दिग्गज अमेरिकी वाहन कंपनियां तक
शमिल हैं। भारत की बात की जाए तो ग्लोबल ट्रस्ट बैंक और सत्यम की गड़बड़ियाँ ध्यान
में आती हैं। जनता की स्मृति कई मामलों में बहुत कमजोर होती है। वर्ष 1992 में सामने आए घोटाले में भारतीय और विदेशी निजी
बैंक शमिल थे जिन्हें शेयरों की खरीद फरोख्त में अवैध रूप से पैसा लगाने का दोषी
पाया गया था। यह बात मानने लायक नहीं है कि उस वक्त सरकारी और निजी बैंकों अथवा
करोबारी समुदाय के लोगों को यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि शेयर कीमतों में उछाल गलत
तरीक से लाई गई है और इसलिए उसमें स्थायित्व की उम्मीद करना बेमानी है।
अर्थशास्त्रियों कारमेन रेनहार्ट और केनेथ रोजॉफ की किताब ‘द टाइम इज डिफरेंट’
में वित्तीय क्षेत्रों की गड़बड़ियों में निजी बैंको की भागीदारी की बात का उल्लेख
किया गया है।
में वित्तीय क्षेत्रों की गड़बड़ियों में निजी बैंको की भागीदारी की बात का उल्लेख
किया गया है।
भारत में वित्तीय संस्थानों (एफआई) और सरकारी वित्तीय संस्थानों (पीएफआई) का
गठन संसद के अधिनियम के तहत किया गया था ताकि औद्योगिक और बुनियादी ढांचा क्षेत्र
की परियोजनाओं में निवेश किया जा सके। आजादी के बाद के कई दशकों के दौरान एफआई और
पीएफआई को आरबीआई और सरकार की ओर से रियायती दर पर धनराशि प्राप्त हुई। समय बीतने
के साथ रियायती फंडिंग समाप्त हो गई और ये संस्थान बॉन्ड से मिलने वाली फंडिंग पर
अधिक निर्भर होते गए।
गठन संसद के अधिनियम के तहत किया गया था ताकि औद्योगिक और बुनियादी ढांचा क्षेत्र
की परियोजनाओं में निवेश किया जा सके। आजादी के बाद के कई दशकों के दौरान एफआई और
पीएफआई को आरबीआई और सरकार की ओर से रियायती दर पर धनराशि प्राप्त हुई। समय बीतने
के साथ रियायती फंडिंग समाप्त हो गई और ये संस्थान बॉन्ड से मिलने वाली फंडिंग पर
अधिक निर्भर होते गए।
धीरे–धीरे इन दोनों श्रेणियों का भेद खत्म हो गया और उन्हें एक साथ मिलाकर
डेवलपमेंट फाइनैंस इंस्टिट्यूशंस (डीएफआई) का नाम दिया गया। डीएफआई के लिए बांड
फंडिंग हासिल करना कठिन बना रहा क्योंकि हमारे देश में लंबी अवधि के ऋण बाजार
विकसित नहीं हैं। डीएफआई और बैंकों के बीच का अंतर भी कम हुआ। आईसीआईसीआई बैंक
पहले डीएफआई था और बाद में वह निजी बैंक बन गया। भारतीय औद्योगिक विकास बैंक
(आईडीबीआई) के साथ भी यही बात है।
डेवलपमेंट फाइनैंस इंस्टिट्यूशंस (डीएफआई) का नाम दिया गया। डीएफआई के लिए बांड
फंडिंग हासिल करना कठिन बना रहा क्योंकि हमारे देश में लंबी अवधि के ऋण बाजार
विकसित नहीं हैं। डीएफआई और बैंकों के बीच का अंतर भी कम हुआ। आईसीआईसीआई बैंक
पहले डीएफआई था और बाद में वह निजी बैंक बन गया। भारतीय औद्योगिक विकास बैंक
(आईडीबीआई) के साथ भी यही बात है।
जहाँ तक वित्तीय क्षेत्र की अन्य श्रेणियों की बात है तो अतीत में सहकारी
बैंकों की विफलता भी दृष्टिगोचर रही है। माधवपुरम मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक
घोटाला हमारे सामने है। हालांकि आरबीआई ने ऐसे बैंकों के सहकारी समिति के रूप में
पंजीकरण की निगरानी सख्त की है लेकिन फिर भी इनमें जवाबदेही का अभाव होता है।
राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) इसका एक अन्य उदाहरण है जिसकी स्थापना वर्ष 1987 में एक अधिनियम के तहत की गई थी। यह बात स्पष्ट
नहीं है कि एनएचबी ने हाउसिंग फाइनैंस पर क्या असर डाला अथवा क्यों। इसका
स्वामित्व आरबीआई के पास है और उसका मुख्यालय देश की व्यावसायिक राजधानी मुंबई के
बजाय दिल्ली को बनाया गया है।
बैंकों की विफलता भी दृष्टिगोचर रही है। माधवपुरम मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक
घोटाला हमारे सामने है। हालांकि आरबीआई ने ऐसे बैंकों के सहकारी समिति के रूप में
पंजीकरण की निगरानी सख्त की है लेकिन फिर भी इनमें जवाबदेही का अभाव होता है।
राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) इसका एक अन्य उदाहरण है जिसकी स्थापना वर्ष 1987 में एक अधिनियम के तहत की गई थी। यह बात स्पष्ट
नहीं है कि एनएचबी ने हाउसिंग फाइनैंस पर क्या असर डाला अथवा क्यों। इसका
स्वामित्व आरबीआई के पास है और उसका मुख्यालय देश की व्यावसायिक राजधानी मुंबई के
बजाय दिल्ली को बनाया गया है।
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक में सरकार की हिस्सेदारी
तकरीबन 62 प्रतिशत है जबकि तेल एवं
प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) में इसकी हिस्सेदारी 69 प्रतिशत है। आईडीबीआई में सरकार की हिस्सेदारी 72 प्रतिशत, आईएफसीआई में 56 प्रतिशत, बीएचईएल में 67 प्रतिशत, एनटीपीसी में 75 प्रतिशत और कोल इंडिया में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी है। भारतीय जीवन बीमा निगम, डीएफआई, राज्य वित्त निगम और राज्य औद्योगिक विकास निगम आदि कुछ ऐसे संस्थान हैं
जिनमें निजी क्षेत्र और सरकारी बैंक दोनों की हिस्सेदारी है। एलआईसी के निवेश
पोर्टफोलियो में दीर्घावधि की सरकारी प्रतिभूतियाँ शमिल हैं। चूंकि एलआईसी सरकारी
स्वामित्व वाली संस्था है इसलिए उसका सरकारी संस्थानेां में निवेश करना उचित ही है।
तकरीबन 62 प्रतिशत है जबकि तेल एवं
प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) में इसकी हिस्सेदारी 69 प्रतिशत है। आईडीबीआई में सरकार की हिस्सेदारी 72 प्रतिशत, आईएफसीआई में 56 प्रतिशत, बीएचईएल में 67 प्रतिशत, एनटीपीसी में 75 प्रतिशत और कोल इंडिया में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी है। भारतीय जीवन बीमा निगम, डीएफआई, राज्य वित्त निगम और राज्य औद्योगिक विकास निगम आदि कुछ ऐसे संस्थान हैं
जिनमें निजी क्षेत्र और सरकारी बैंक दोनों की हिस्सेदारी है। एलआईसी के निवेश
पोर्टफोलियो में दीर्घावधि की सरकारी प्रतिभूतियाँ शमिल हैं। चूंकि एलआईसी सरकारी
स्वामित्व वाली संस्था है इसलिए उसका सरकारी संस्थानेां में निवेश करना उचित ही है।
सरकारी बैंकों, वित्तीय संस्थानों और अन्य
सरकारी उद्यमों की आपसी भागीदारी की स्थिति जहाँ अस्पष्ट है वहीं सरकार यदि
सार्वजनिक पहुंच वाली वेबसाइटों पर इनमें अपनी प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष
हिस्सेदारी का ब्योरा देती है तो बेहतर होगा। इसके अलावा सुधार के लिए पहले आसान
लक्ष्यों पर काम किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए एसबीआई तथा अन्य सरकारी बैंकों
में सरकारी हिस्सेदारी कम करने की जहाँ तक बात है तो संबंधित अधिनियम में संशोधन
किए बिना इस हिस्सेदारी को घटाकर 50 प्रतिशत से कम नहीं किया जा सकता है। सरकार के पास आगामी आम चुनाव के पहले
चार महीने का समय ही बचा है और इस दौरान उसे अपनी प्राथमिकताएँ तय करनी होंगी।
सरकारी उद्यमों की आपसी भागीदारी की स्थिति जहाँ अस्पष्ट है वहीं सरकार यदि
सार्वजनिक पहुंच वाली वेबसाइटों पर इनमें अपनी प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष
हिस्सेदारी का ब्योरा देती है तो बेहतर होगा। इसके अलावा सुधार के लिए पहले आसान
लक्ष्यों पर काम किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए एसबीआई तथा अन्य सरकारी बैंकों
में सरकारी हिस्सेदारी कम करने की जहाँ तक बात है तो संबंधित अधिनियम में संशोधन
किए बिना इस हिस्सेदारी को घटाकर 50 प्रतिशत से कम नहीं किया जा सकता है। सरकार के पास आगामी आम चुनाव के पहले
चार महीने का समय ही बचा है और इस दौरान उसे अपनी प्राथमिकताएँ तय करनी होंगी।
खबरों के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति को
हाल में ही बताया कि 62 कोयला ब्लाक का आवंटन रद्द करने से एनपीए में एक लाख करोड़ रुपये का इजाफा
होगा। यह सब ऐसे समय में हो रहा है जबकि पिछले एक साल के दौरान एनपीए में बहुत तेज
गति से इजाफा हुआ है। सरकारी बैंकों पर इसका काफी असर होगा। इसके अलावा ऐसी खबरें
भी थीं कि सरकार ने सरकारी बैंकों में पूंजी डालने के लिए सरकारी उद्यमों का
विनिवेश करने का फैसला भी किया है। यह सही नहीं है। बेहतर होता अगर सरकारी उद्यमों
को बेहतर बनाने में निवेश किया जाता और सरकार उनके मुख्य कार्याधिकारियों के चयन
की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाती। इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि
सरकार को कोल इंडिया और एलआईसी में अपनी हिस्सेदारी कम करने पर ध्यान केंद्रित
करना चाहिए। यह खबर तो सबको है ही कि आरबीआई निजी क्षेत्र के लिए नए बैंकिंग लाइसेंस
जारी करने जा रहा है। ऐसे में इन नए बैंकों को चलाने और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए
हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए। यकीनन नए निजी बैंकों के आगमन से सरकारी और निजी
बैंकों के बीच का अंतर तो खत्म नहीं होगा और सरकारी बैंकों को सरकार का सहारा पहले
की तरह ही मिलता रहेगा। इसके अलावा सरकारी बैंकों में अपर्याप्त प्रशिक्षण वाले
कर्मचायिों की भी भरमार है जिनको निकाला नहीं जा सकता है।
हाल में ही बताया कि 62 कोयला ब्लाक का आवंटन रद्द करने से एनपीए में एक लाख करोड़ रुपये का इजाफा
होगा। यह सब ऐसे समय में हो रहा है जबकि पिछले एक साल के दौरान एनपीए में बहुत तेज
गति से इजाफा हुआ है। सरकारी बैंकों पर इसका काफी असर होगा। इसके अलावा ऐसी खबरें
भी थीं कि सरकार ने सरकारी बैंकों में पूंजी डालने के लिए सरकारी उद्यमों का
विनिवेश करने का फैसला भी किया है। यह सही नहीं है। बेहतर होता अगर सरकारी उद्यमों
को बेहतर बनाने में निवेश किया जाता और सरकार उनके मुख्य कार्याधिकारियों के चयन
की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाती। इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि
सरकार को कोल इंडिया और एलआईसी में अपनी हिस्सेदारी कम करने पर ध्यान केंद्रित
करना चाहिए। यह खबर तो सबको है ही कि आरबीआई निजी क्षेत्र के लिए नए बैंकिंग लाइसेंस
जारी करने जा रहा है। ऐसे में इन नए बैंकों को चलाने और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए
हरसंभव प्रयास किया जाना चाहिए। यकीनन नए निजी बैंकों के आगमन से सरकारी और निजी
बैंकों के बीच का अंतर तो खत्म नहीं होगा और सरकारी बैंकों को सरकार का सहारा पहले
की तरह ही मिलता रहेगा। इसके अलावा सरकारी बैंकों में अपर्याप्त प्रशिक्षण वाले
कर्मचायिों की भी भरमार है जिनको निकाला नहीं जा सकता है।
Q1. “आजकल समाचार पत्रों समेत
विभिन्न मंचों पर आए दिन यह मांग उठती रहती है कि सरकार को सरकारी बैंकों में अपनी
हिस्सेदारी कम करनी चाहिए” – इस वाक्य में प्रयुक्त ‘मांग’ शब्द का प्रयोग नहीं करना हो तो कौन-सा
शब्द उसकी जगह सटीक बैठता है?
विभिन्न मंचों पर आए दिन यह मांग उठती रहती है कि सरकार को सरकारी बैंकों में अपनी
हिस्सेदारी कम करनी चाहिए” – इस वाक्य में प्रयुक्त ‘मांग’ शब्द का प्रयोग नहीं करना हो तो कौन-सा
शब्द उसकी जगह सटीक बैठता है?
(a) दावा
(b) याचना
(c) आलोचना
(d) विरोध
(e) आवाज
Q2. “सभी बैंकों की कुल संपत्ति में उनकी हिस्सेदारी 75 फीसदी है” – इस वाक्य में प्रयुक्त ‘उनकी’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है ?
(a) सरकार
(b) सरकारी बैंक
(c) निजी बैंक
(d) विदेशी बैंक
(e) आर बी आई
Q3. उपरोक्त गद्यांश को किसके अंतर्गत रखा जा सकता है ?
(a) संस्मरण
(b) आलेख
(c) निबंध
(d) वृत्तचित्र
(e) कहानी
Q4. गद्यांश में प्रयुक्त “जनता की स्मृति
कई मामलों में बहुत कमजोर होती है” वाक्यांश को किस
संदर्भ में प्रयोग किया गया है ? स्मृति इसलिए कमजोर होती है क्योंकि:
कई मामलों में बहुत कमजोर होती है” वाक्यांश को किस
संदर्भ में प्रयोग किया गया है ? स्मृति इसलिए कमजोर होती है क्योंकि:
(a) अच्छे-अच्छे विद्वान भी भूल जाते हैं
(b) लोगों को पोषण आहार युक्त भोजन नहीं मिलता है
(c) देश में याददाश्त तेज करने की दवा नहीं मिलती है
(d) लोग पिछली घटनाओं से कोई सबक नहीं लेते हैं
(e) देश में लोगों को याददशत तेज करने का प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है
Q5. वाक्य- “स्थायित्व की उम्मीद करना
बेमानी है” – से किस भाव की
अभिव्यक्ति होती है ?
बेमानी है” – से किस भाव की
अभिव्यक्ति होती है ?
(a) हानि
(b) असुरक्षा
(c) बिखराव
(d) जोखिम
(e) लाभ
Q6. “रियायती दर पर धनराशि प्राप्त हुई” – इस वाक्य में प्रयुक्त “रियायत” शब्द का स्थान कौन-सा शब्द नहीं ले सकता
है ?
है ?
(a) किफायती
(b) बैंक
(c) सस्ते
(d) कम
(e) पर्याप्त
Q7. कौन-सा बैंक पहले डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टिट्यूशंस (डी एफ
आई) था और बाद में वह निजी बैंक बन गया ?
आई) था और बाद में वह निजी बैंक बन गया ?
(a) आईसीआईसीआई बैंक
(b) केनरा बैंक
(c) सिंडिकेट बैंक
(d) देना बैंक
(e) पंजाब एंड सिंध बैंक
Q8. “आरबीआई निजी क्षेत्र के लिए
नए बैंकिंग लाइसेंस जारी करने जा रहा है” । वाक्य में प्रयुक्त-लाइसेंस
-अंग्रेजी का शब्द है। इसका हिन्दी में क्या अर्थ है?
नए बैंकिंग लाइसेंस जारी करने जा रहा है” । वाक्य में प्रयुक्त-लाइसेंस
-अंग्रेजी का शब्द है। इसका हिन्दी में क्या अर्थ है?
(a) प्रशस्ति
(a) ख्याति
(a) अनुज्ञप्ति
(a) आभूषण
(a) प्रदीप्ति
Q9. गद्यांश में प्रयुक्त- “ब्योरा”
– शब्द का विलोम शब्द बताइए?
– शब्द का विलोम शब्द बताइए?
(a) विस्तृत
(b) वर्णित
(c) स्पष्टीकरण
(d) संक्षिप्त
(e) सूचित
Q10. “एलआईसी के निवेश पोर्टफोलियो
में दीर्घावधि की सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल हैं” – वाक्य में प्रयुक्त – “प्रतिभूतियाँ” शब्द का पर्यायवाची शब्द क्या है?
में दीर्घावधि की सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल हैं” – वाक्य में प्रयुक्त – “प्रतिभूतियाँ” शब्द का पर्यायवाची शब्द क्या है?
(a) स्वबन्ध
(b) जमानत
(c) जोखिम
(d) निवेश
(e) भागीदार
Q11. “धीरे–धीरे
इन दोनो श्रेणियों का भेद खत्म हो गया और उन्हें एक साथ मिलाकर डेवलपमेंट फाइनेंस
इंस्टिट्यूशंस (डीएफआई) का नाम दिया गया” – इस वाक्य में प्रयुक्त “दोनों श्रेणियों” से तात्पर्य किससे है ?
इन दोनो श्रेणियों का भेद खत्म हो गया और उन्हें एक साथ मिलाकर डेवलपमेंट फाइनेंस
इंस्टिट्यूशंस (डीएफआई) का नाम दिया गया” – इस वाक्य में प्रयुक्त “दोनों श्रेणियों” से तात्पर्य किससे है ?
(a) वित्तीय संस्थान – सरकारी वित्तीय संस्थान
(b) सरकारी वित्तीय संस्थान – तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम
(c) भारतीय स्टेट बैंक – आईडीबीआई बैंक
(d) राज्य वित्त निगम – राज्य औद्योगिक विकास निगम
(e) सरकारी वित्तीय संस्थान – राज्य औद्योगिक विकास निगम
Q12. गद्यांश में प्रयुक्त – “वर्ष 1987 में एक अधिनियम के तहत” किसकी स्थापना की गई थी?
(a) भारतीय रिजर्व बैंक
(b) तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम
(c) राष्ट्रीय आवास बैंक
(d) भारतीय स्टेट बैंक
(e) भारतीय औद्योगिक विकास बैंक
Q13. “इनमें जबावदेही का अभाव होता
है” – इस वाक्य में प्रयुक्त शब्द “इनमें”
का प्रयोग किसके लिए किया गया है ?
है” – इस वाक्य में प्रयुक्त शब्द “इनमें”
का प्रयोग किसके लिए किया गया है ?
(a) सरकारी बैंक
(b) निजी बैंक
(c) आवासीय बैंक
(d) वाणिज्यिक बैंक
(e) सहकारी बैंक
Q14. “सरकारी और निजी बैंकों के
बीच का अंतर तो खत्म नहीं होगा” उपरोक्त वाक्यांश को
किस संदर्भ में प्रयुक्त किया गया है ? अंतर इसलिए खत्म नहीं होगा क्योंकि –
बीच का अंतर तो खत्म नहीं होगा” उपरोक्त वाक्यांश को
किस संदर्भ में प्रयुक्त किया गया है ? अंतर इसलिए खत्म नहीं होगा क्योंकि –
(a) संबंधित अधिनियम में संशोधन किए बिना सरकारी बैंकों में
सरकारी हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से कम नहीं की जा सकती
सरकारी हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से कम नहीं की जा सकती
(b) सरकारी बैंकों को सरकार का सहारा पहले की तरह ही मिलता
रहेगा
रहेगा
(c) सरकारी बैंकों में प्रशिक्षित कर्मचारियों की भरमार है
जिन्हें निकाला नहीं जा सकता
जिन्हें निकाला नहीं जा सकता
(d) सरकार सख्त निर्देशों के साथ कम से कम बैंकिंग लाइसेंस जारी
करती है
करती है
(e) सरकार ने सरकारी बैंकों में पूंजी डालने के लिए सरकारी
उद्यमों का विनिवेश करने का फैसला नहीं किया है
उद्यमों का विनिवेश करने का फैसला नहीं किया है
Q15. “कुछ ऐसे संस्थान हैं जिनमें
निजी क्षेत्र और सरकारी बैंक दोनों की हिस्सेदारी है” – वाक्य में प्रयुक्त
“जिनमें” शब्द का प्रयोग
किस-किस के लिए किया गया है ?
निजी क्षेत्र और सरकारी बैंक दोनों की हिस्सेदारी है” – वाक्य में प्रयुक्त
“जिनमें” शब्द का प्रयोग
किस-किस के लिए किया गया है ?
(a) भारतीय जीवन बीमा निगम
(b) राज्य वित्त निगम
(c) राज्य औद्योगिक विकास निगम
(d) दोनों (a) और (b)
(e) उपरोक्त सभी
हल
S1 Ans. (e)
S2 Ans. (a)
S3 Ans. (b)
S4 Ans. (d)
S5 Ans. (b)
S6 Ans. (b)
S7 Ans. (a)
S8 Ans. (c)
S9 Ans. (d)
S10 Ans. (b)
S11 Ans. (a)
S12 Ans. (c)
S13 Ans. (e)
S14 Ans. (b)
S15 Ans. (e)