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IBPS RRB परीक्षा 2021 के लिए हिंदी भाषा प्रश्नावली (For Hindi Language Section Topic: अपठित गद्यांश और उस पर आधारित प्रश्न)

IBPS RRB परीक्षा 2021 के लिए हिंदी भाषा प्रश्नावली (For Hindi Language Section Topic: अपठित गद्यांश और उस पर आधारित प्रश्न) | Latest Hindi Banking jobs_2.1

How To Prepare Hindi Language Section for IBPS RRB 2021?
Practice Hindi Section for IBPS RRB Exams | 
How To Prepare Hindi Language Section for IBPS RRB 2021? 
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आप सभी जानते हैं कि आईबीपीएस आरआरबी प्रीलिम्स परीक्षा 2021 (IBPS RRB Prelims Exams 2021) के आयोजन के बाद IBPS RRB PO परीक्षा का Result भी जारी हो चुका है. और अब किसी भी समय IBPS RRB क्लर्क परीक्षा का Result भी जल्द आ सकता है. तो ऐसे में हम उन सभी उम्मीदवारों को, जो IBPS RRB मेंस परीक्षा में बैठने जा रहे हैं; उन्हें सलाह देना चाहते हैं कि रिजल्ट आने का इंतज़ार न करें और अभी से  IBPS RRB PO & Clerk Mains के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दें. आपको बता दें कि IBPS RRB PO मेंस परीक्षा 25 सितम्बर 2021 को और IBPS RRB क्लर्क मेंस परीक्षा 03 अक्टूबर को आयोजित की जानी है. और इसीलिए, IBPS RRB परीक्षा के पाठ्यक्रम के आधार पर आपकी सफलता सुनिश्चित करने के लिए ADDA247 आपके लिए हिंदी भाषा प्रश्नावली (Hindi Language Quiz) लेकर आया है. ये नोट्स मुख्य परीक्षा आने तक आपको पहले से ही तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे. अपने साथियों के लिए हम हिंदी प्रश्नोत्तरी का आयोजन पहले से कर ही रहे हैं. सभी जानते हैं कि बैंकिंग परिक्षाओं में केवल आरआरबी ही एकमात्र ऐसी परीक्षा है , जो आपको अपनी भाषा का चयन का विकल्प देता है जिसमें आप अंग्रेजी के स्थान  पर हिंदी भाषा चुन सकते हैं. 

 यह हिंदी भाषा क्षेत्र के उम्मीदवारों के लिए सफलता पाने का एक सुनहरा मौक़ा है, क्योंकि हम अपनी भाषा में अधिक से अधिक अंक स्कोर करने में सक्षम होते हैं. यदि आपका लक्ष्य इस वर्ष आईबीपीएस आरआरबी में सफलता पाना है, तो अभी से IBPS RRB मेंस परीक्षा की तैयारी में जुट जाएँ. अपनी तैयारी को और बेहतर बनाते हुए अपनी सफलता सुनिश्चित कीजिये. आज की इस हिंदी भाषा प्रश्नावली में हम आपको गद्यांश के लिए प्रश्न दे रहे हैं.   



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Directions (1-15): नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।      

  
पश्चिमी शक्तिशाली और विकसित राष्ट्रों की अपनी संस्कृतियों के वर्चस्ववादी अभियान के तहत वैश्वीकरण अथवा ग्लोबलाइजेशन की आधुनिक संकल्पना का प्रसार चरम पर है। इस अभियान के अंतर्गत, बाजारवाद के वृहद शक्तिशाली जाल में पूरी दुनिया को जकड़कर स्थानीयता (लोकल) से बेदखल करने के षड्यंत्र को, संवेदनशील प्रबुद्ध व्यक्ति भली-भाँति समझने लगा है। इसीलिए आज पुनः ‘लोक’ से जुड़ी अस्मिताओं की पहचान और संरक्षण के सवाल उठने लगे हैं। इसी प्रयास में हमारी दृष्टि सबसे पहले लोक साहित्य की तरफ उठती है क्योंकि इसी में हमारी संस्कृति अपने खालिस रूप में अजस्र रूप से बहती नजर आती है। लोककंठ से प्रस्फुटित यह लोक साहित्य, लोक हृदय, लोक चेतना, लोक संवेदना का परिचायक साहित्य है जिसमें भारतीय हृदय की सांस्कॄतिक अस्मिता का सच्चा उद्गार है तथा ‘स्वदेश’ भाव की अभिव्यक्ति है। लोकसाहित्य की जड़ें वैदिक साहित्य में भी मिलती हैं। ॠग्वेद में लोक शब्द का प्रयोग स्थान और भुवन के अर्थ में प्राप्त होता है। भारत में आर्यों के आगमन के बाद ‘आर्य’ एवं ‘आर्येतर’ जातियों के मध्य ‘वेद’ एवं ‘वेदेतर’ स्थिति का आविर्भाव हुआ। उस दशा में वेदेतर शब्द का प्रयोग लोक के लिए होने लगा। यहाँ ‘लोक’ शब्द वेद विरोधी अर्थ में लिया गया। किंतु आगे चलकर लोक शब्द इस संकुचित सीमा से आगे उठ गया। बौद्ध धर्म के विकास के साथ मानव भावना का महत्व बढ़ने लगा और लोक शब्द मानवीय उत्कृष्टताओं का बोधक बन गया।
लोक की व्यापक भावसत्ता को ग्राम या नगर की संकुचित सीमा में बद्ध नहीं किया जा सकता। इस संबंध में डा. हजारी प्रसाद द्विवेदी का कथन है कि “लोक शब्द का अर्थ ‘जनपद’ या ‘ग्राम्य’ नहीं है। बल्कि नगरों और ग्रामों में फैली समस्त जनता है जिसके व्यावहारिक ज्ञान का आधार पोथियाँ नहीं हैं। ये लोग नगर में परिष्कृत रुचि संपन्न सुसंस्कृत समझे जाने वाले लोगों की अपेक्षा अधिक सरल और अकृत्रिम जीवन के अभ्यासी होते हैं तथा परिष्कृत रुचि संपन्न व्यक्तियों की विलासिता और सुकुमारता को जीवित रखने वाली आवश्यक वस्तुएँ उत्पन्न करते हैं। डा. द्विवेदी के इस कथन से स्पष्ट है कि जो अपनी परंपराओं से जुड़े हुए कृत्रिमता से दूर हैं उन्हें ‘लोक’ की संज्ञा दी गई है। लोक की परंपरा, संस्कृति, विचार, रीति-रिवाज आदि को संरक्षित और संवर्धित करने वाले साहित्य को ही लोक साहित्य कहा जाता है। जनजीवन के सहज स्वाभाविक और सच्चे चित्रण का आधार यही साहित्य है। सामान्य जन समूह ,जो अपनी नैसर्गिक प्रकृति के सौन्दर्य से संस्कृति का निर्माण करता है, लोक साहित्य की अभिव्यक्ति का आधार है। “उच्चवर्गीय शिष्ट समाज ने अपने कृतित्व को लिपिबद्ध किया और अध्ययन-अध्यापन की परंपरा द्वारा समस्त अर्जित ज्ञान को सुरक्षित और संरक्षित रखने का प्रयास किया। इसके विपरीत निम्नवर्गीय सामान्य जनता पठन-पाठन की सुविधा से वंचित रही, अतः सुविधाविहीन लोकजन ने अपने संस्कारों, रिवाजों, परंपराओं एवं संस्कृति को लोकगीतों, लोककथाओं एवं लोकनाटकों के माध्यम से सुरक्षित रखने का प्रयास किया। अन्य की अपेक्षा लोकगीत लोक-साहित्य की सबसे सशक्त विधा है।” लोकगीतों में जनमानस के हार्दिक राग विराग से पूर्ण, स्वर और लय के संगीतात्मक आवरण से लिपटी, भावानुभूतियों का निश्छल प्रवाह बहता है। जिसमें लोकजीवन के समस्त रीति-रिवाज, लोकपरंपराएँ, धार्मिक कृत्य, विधि-विधान, मिथक, लोककथाएँ, प्रतिरोध, आशाएँ, उम्मीदें, हर्ष-विषाद, उल्लास-नैराश्य सभी कुछ प्रतिबिंबित होता है। लोक साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान श्री कृष्णदेव उपाध्याय लिखते हैं – “किसी देश के लोकगीत उस देश की जनता के हृदय के उद्गार हैं। वे उनकी हार्दिक भावनाओं के सच्चे प्रतीक होते हैं। यदि किसी देश की सभ्यता का अध्ययन करना हो तो सर्वप्रथम उनके लोकगीतों का अध्ययन करना होगा। लोकगीत लोकमानस की वस्तु है, अतः उनमें जनता का हृदय लिपटा रहता है।”


Q1. गद्यांश के अनुसार, पश्चिमी शक्तिशाली और विकसित राष्ट्रों की अपनी संस्कृतियों के वर्चस्ववादी अभियान के तहत किसकी आधुनिक संकल्पना का प्रसार चरम पर है?       
(a) उपभोक्तावाद
(b) वैश्वीकरण   
(c) राष्ट्रीयकरण
(d) जातिवाद
(e) इनमें से कोई नहीं 

Q2. गद्यांश के अनुसार, किसके वृहद शक्तिशाली जाल में पूरी दुनिया को जकड़कर स्थानीयता से बेदखल करने के षड्यंत्र को, संवेदनशील प्रबुद्ध व्यक्ति भली-भाँति समझने लगा है? 
(a) लोकगीत 
(b) राष्ट्रीयकरण
(c) बाज़ारवाद 
(d) वैश्वीकरण
(e) इनमें से कोई नहीं 

Q3. गद्यांश के अनुसार, आज पुनः किससे जुड़ी अस्मिताओं की पहचान और संरक्षण के सवाल उठने लगे हैं?   
(a) लोक
(b) जाति 
(c) बाज़ारवाद
(d) संस्कृति 
(e) इनमें से कोई नहीं 

Q4. गद्यांश के अनुसार, हमारी संस्कृति किसमें अपने खालिस रूप में अजस्र रूप से बहती नजर आती है? 
(a) स्त्री साहित्य
(b) दलित साहित्य
(c) पाश्चात्य साहित्य
(d) लोक साहित्य 
(e) इनमें से कोई नहीं 



Q5. गद्यांश के अनुसार, लोकसाहित्य की जड़ें किस साहित्य में भी मिलती हैं?   
(a) आदिवासी 
(b) वैदिक
(c) पाश्चात्य 
(d) नवीन 
(e) इनमें से कोई नहीं 

Q6. गद्यांश के अनुसार, भारत में किसके आगमन के बाद ‘आर्य’ एवं ‘आर्येतर’ जातियों के मध्य ‘वेद’ एवं ‘वेदेतर’ स्थिति का आविर्भाव हुआ? 
(a) आर्यों 
(b) मुस्लिम
(c) जैन
(d) बौद्ध
(e) इनमें से कोई नहीं 

Q7. गद्यांश के अनुसार, किस धर्म के विकास के साथ मानव भावना का महत्व बढ़ने लगा? 
(a) मुस्लिम 
(b) जैन
(c) बौद्ध 
(d) हिंदु
(e) इनमें से कोई नहीं 

Q8. गद्यांश के अनुसार, किसका कथन है कि “लोक शब्द का अर्थ ‘जनपद’ या ‘ग्राम्य’ नहीं है? 
(a) प्रेमचंद 
(b) श्री कृष्णदेव उपाध्याय 
(c) महावीर प्रसाद द्विवेदी 
(d) डा. हजारी प्रसाद द्विवेदी 
(e) इनमें से कोई नहीं 

Q9. लोक की परंपरा, संस्कृति, विचार, रीति-रिवाज आदि को संरक्षित और संवर्धित करने वाला साहित्य क्या कहलाता है?
(a) पाश्चात्य साहित्य 
(b) दलित साहित्य
(c) लोक साहित्य 
(d) स्त्री साहित्य
(e) इनमें से कोई नहीं 

Q10. गद्यांश के अनुसार, जनजीवन के सहज स्वाभाविक और किसका आधार लोक साहित्य है? 
(a) सच्चे चित्रण   
(b) झूठे चित्रण   
(c) रस निरूपण
(d) बाल साहित्य
(e) इनमें से कोई नहीं 

Q11. गद्यांश के अनुसार, किसका कथन है कि “किसी देश के लोकगीत उस देश की जनता के हृदय के उद्गार हैं।“ 
(a) श्री कृष्णदेव उपाध्याय 
(b) डा. हजारी प्रसाद द्विवेदी 
(c) प्रेमचंद
(d) महावीर प्रसाद द्विवेदी 
(e) इनमें से कोई नहीं 

Q12. गद्यांश के अनुसार, यदि किसी देश की सभ्यता का अध्ययन करना हो तो सर्वप्रथम किसका अध्ययन करना होगा?  
(a) धर्म
(b) राजनीति
(c) अंग्रेजी गीतों 
(d) लोकगीतों 
(e) इनमें से कोई नहीं  

Q13. गद्यांश के अनुसार, लोक साहित्य की अभिव्यक्ति का आधार क्या है
(a) स्त्री समूह 
(b) बालक
(c) सामान्य जन समूह 
(d) विशिष्ट जन समूह 
(e) इनमें से कोई नहीं 

Q14. गद्यांश के अनुसार, लोक साहित्य में ‘स्वदेश’ भाव का क्या है?  
(a) रस
(b) प्रकृति
(c) कौशल
(d) अभिव्यक्ति
(e) इनमें से कोई नहीं 

Q15. गद्यांश के अनुसार, ॠग्वेद में लोक शब्द का प्रयोग स्थान और किसके अर्थ में प्राप्त होता है? 
(a) भुवन  
(b) प्रयोग  
(c) उद्देश्य
(d) संस्कृति
(e) इनमें से कोई नहीं 



उत्तर- 
S1. Ans. (b):        
Sol. गद्यांश के अनुसार, पश्चिमी शक्तिशाली और विकसित राष्ट्रों की अपनी संस्कृतियों के वर्चस्ववादी अभियान के तहत वैश्वीकरण की आधुनिक संकल्पना का प्रसार चरम पर है।      
S2. Ans. (c):          
Sol. गद्यांश के अनुसार, बाज़ारवाद के वृहद शक्तिशाली जाल में पूरी दुनिया को जकड़कर स्थानीयता से बेदखल करने के षड्यंत्र को, संवेदनशील प्रबुद्ध व्यक्ति भली-भाँति समझने लगा है।  
S3. Ans. (a):         
Sol.  गद्यांश के अनुसार, आज पुनः लोक से जुड़ी अस्मिताओं की पहचान और संरक्षण के सवाल उठने लगे हैं।     
S4. Ans. (d):         
Sol.  गद्यांश के अनुसार, हमारी संस्कृति लोक साहित्य में अपने खालिस रूप में अजस्र रूप से बहती नजर आती है।   
S5. Ans. (b):         
Sol.  गद्यांश के अनुसार, लोकसाहित्य की जड़ें वैदिक साहित्य में भी मिलती हैं।    
S6. Ans. (a):         
Sol.  गद्यांश के अनुसार, भारत में आर्यों के आगमन के बाद ‘आर्य’ एवं ‘आर्येतर’ जातियों के मध्य ‘वेद’ एवं ‘वेदेतर’ स्थिति का आविर्भाव हुआ। 
S7. Ans. (c):         
Sol.  गद्यांश के अनुसार, बौद्ध धर्म के विकास के साथ मानव भावना का महत्व बढ़ने लगा। 
S8. Ans. (d):           
Sol.  गद्यांश के अनुसार, डा. हजारी प्रसाद द्विवेदी का कथन है कि “लोक शब्द का अर्थ ‘जनपद’ या ‘ग्राम्य’ नहीं है।     
S9. Ans. (c):         
Sol.  लोक की परंपरा, संस्कृति, विचार, रीति-रिवाज आदि को संरक्षित और संवर्धित करने वाला साहित्य ही लोक साहित्य कहलाता है।   
S10. Ans. (a):          
Sol.  गद्यांश के अनुसार, जनजीवन के सहज स्वाभाविक और सच्चे चित्रण का आधार लोक साहित्य है।   
S11. Ans. (a):         
Sol.  गद्यांश के अनुसार, श्री कृष्णदेव उपाध्याय का कथन है कि “किसी देश के लोकगीत उस देश की जनता के हृदय के उद्गार हैं।“ 
S12. Ans. (d):          
Sol.  गद्यांश के अनुसार, यदि किसी देश की सभ्यता का अध्ययन करना हो तो सर्वप्रथम लोकगीतों का अध्ययन करना होगा। 
S13. Ans. (c):          
Sol.  गद्यांश के अनुसार, लोक साहित्य की अभिव्यक्ति का आधार सामान्य जन समूह है।  
S14. Ans. (d):           
Sol.  गद्यांश के अनुसार, लोक साहित्य में ‘स्वदेश’ भाव की अभिव्यक्ति है।     
S15. Ans. (a):             
Sol.  गद्यांश के अनुसार, ॠग्वेद में लोक शब्द का प्रयोग स्थान और भुवन के अर्थ में प्राप्त होता है।       

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