3I/ATLAS इंटरस्टेलर धूमकेतु: सौरमंडल के बाहर से आया रहस्यमयी मेहमान
खगोल विज्ञान की दुनिया में इन दिनों 3I/ATLAS इंटरस्टेलर धूमकेतु चर्चा का सबसे हॉट टॉपिक बन गया है। यह कोई सामान्य धूमकेतु नहीं, बल्कि हमारे सौरमंडल के बाहर से आया एक इंटरस्टेलर विज़िटर है — यानी ऐसा खगोलीय पिंड जो किसी दूसरे तारकीय तंत्र से निकलकर अंतरिक्ष की विशाल यात्रा करते हुए अब हमारे पास पहुंचा है।
इसकी खोज 2025 की शुरुआत में हुई थी, जब वैज्ञानिकों ने पाया कि इसकी कक्षा (orbit) हमारे सौरमंडल के किसी भी ज्ञात ग्रह या धूमकेतु से मेल नहीं खाती। इसका मतलब यह हुआ कि यह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण से बंधा नहीं है, बल्कि किसी अनजान तारे के सिस्टम से निकला हुआ एक ‘कॉस्मिक ट्रैवलर’ है।
और सबसे दिलचस्प बात — जब यह धूमकेतु सूर्य के पास पहुंचा, तो इसकी चमक अचानक कई गुना बढ़ गई, जो सामान्य धूमकेतुओं में शायद ही कभी देखने को मिलती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 3I/ATLAS की संरचना (composition) हमारे सौरमंडल के धूमकेतुओं से काफी अलग है। इसके रंग, चमक और गति में असामान्य बदलाव यह संकेत देते हैं कि यह धूमकेतु एक बिल्कुल अलग और रहस्यमयी रासायनिक वातावरण से आया है।
यही वजह है कि 3I/ATLAS को अब तक के सबसे दिलचस्प इंटरस्टेलर ऑब्जेक्ट्स में गिना जा रहा है — और दुनियाभर के खगोलविद इसकी हर हलचल पर नज़र गड़ाए हुए हैं।
संक्षेप में, 3I/ATLAS चर्चा में है क्योंकि यह सिर्फ एक खगोलीय पिंड नहीं, बल्कि ब्रह्मांड के किसी और हिस्से से आया हुआ “कॉस्मिक मेसेंजर” है, जो हमें यह समझने का मौका देता है कि हमारे जैसे तारकीय सिस्टम कितने अलग या समान हो सकते हैं।
3I/ATLAS धूमकेतु फिर दिखाई दिया: सूरज के पीछे से निकला रहस्यमयी यात्री
सूरज के तेज़ प्रकाश से बाहर आते ही इंटरस्टेलर धूमकेतु 3I/ATLAS एक बार फिर खगोल वैज्ञानिकों की निगरानी में आ गया है।
Lowell Observatory (Arizona) ने 31 अक्टूबर 2025 को इसका नया फोटो साझा किया, जिसमें धूमकेतु पहले से कहीं ज़्यादा चमकदार दिखाई दिया।
यह तस्वीर Harvard University के वैज्ञानिक Avi Loeb ने साझा की और कहा कि 3I/ATLAS में देखी जा रही “अचानक बढ़ी चमक, रंग में बदलाव और असामान्य गति” एक नई पहेली बन गई है।
सूरज के पास आते ही क्यों बढ़ी इसकी चमक?
वैज्ञानिकों के अनुसार, सूरज के गुरुत्वाकर्षण और विकिरण दबाव (Solar Radiation Pressure) ने 3I/ATLAS के अंदर मौजूद गैस और बर्फीले तत्वों को सक्रिय कर दिया, जिससे इसकी चमक अचानक तेज़ हो गई।
Lowell Observatory के खगोलशास्त्री Qicheng Zhang और Naval Research Laboratory (NRL) के Karl Battams के मुताबिक –
“3I/ATLAS की चमक बढ़ने की दर Oort Cloud के अन्य धूमकेतुओं की तुलना में कहीं ज़्यादा है। इसकी रचना (Composition), आकार या संरचना में कुछ विशेष है, जिसने इसे इतना अनोखा बना दिया है।”
3I/ATLAS की संरचना बाकी धूमकेतुओं से अलग
क्योंकि यह Interstellar Object है, यानी हमारे सौरमंडल के बाहर से आया है, इसलिए इसकी रासायनिक और भौतिक संरचना पृथ्वी या सूर्य मंडल के धूमकेतुओं से भिन्न है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह किसी अन्य तारकीय प्रणाली (Planetary System) से आया है, जहाँ की परिस्थितियाँ हमारी तुलना में अलग रही होंगी।
Zhang और Battams लिखते हैं कि —
“अगर इसका आंतरिक संघटन (internal composition) Oort Cloud के धूमकेतुओं से अलग है, तो यह हमें उस ग्रह प्रणाली के बारे में बहुत कुछ बताएगा, जहाँ से यह आया है।”
कहाँ है अभी 3I/ATLAS और कब दिखेगा पृथ्वी से?
31 अक्टूबर की तस्वीर में यह धूमकेतु सूर्य के प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकलता हुआ देखा गया। अब यह धीरे-धीरे पृथ्वी के दृष्टि क्षेत्र (Field of View) में वापस आ रहा है।
NASA के अनुसार, अगले कुछ हफ्तों में यह दूरबीनों के ज़रिए और स्पष्ट दिखाई देगा, जबकि नग्न आंखों से देख पाने की संभावना अभी कम है।
Avi Loeb का अनुमान: “दसवां रहस्य भी सामने आ सकता है”
हार्वर्ड के प्रोफेसर Avi Loeb ने कहा कि सूरज से गुजरने के बाद धूमकेतु में कई बदलाव आने चाहिए थे —
“अगर वे बदलाव नहीं दिखते, तो इसका मतलब होगा कि 3I/ATLAS में कोई और, अब तक अज्ञात, ‘दसवां anomaly’ भी हो सकता है।”
वैज्ञानिक अब क्या कर रहे हैं?
- Lowell Discovery Telescope और PUNCH मिशन दोनों ही इस धूमकेतु को लगातार ट्रैक कर रहे हैं।
- वैज्ञानिक इसके स्पेक्ट्रम और गति में सूक्ष्म बदलावों को रिकॉर्ड कर रहे हैं ताकि इसके स्रोत और संरचना की बेहतर समझ मिल सके।
- आने वाले महीनों में NASA और ESA की रिपोर्टों में 3I/ATLAS के और भी डेटा आने की उम्मीद है।
निष्कर्ष: एक और ब्रह्मांडीय रहस्य की ओर इशारा
3I/ATLAS धूमकेतु सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि ब्रह्मांड की गहराइयों से आया एक संदेश है।
यह हमें यह समझने में मदद कर सकता है कि अन्य तारकीय प्रणालियों में ग्रह और धूमकेतु कैसे बनते हैं — और शायद, वहाँ जीवन की संभावना कैसी हो सकती है।


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