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NABARD Schemes 2022, जानें नाबार्ड योजनाओं के बारे में – GA Topper Series

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कृषि विपणन के लिए समन्वित योजना (Integrated Scheme For Agricultural Marketing (ISAM)) की नई कृषि विपणन आधारभूत संरचना (New Agricultural Marketing Infrastructure(AMI)) उप-योजना


  • ISAM की उपयोजना कृषि विपणन अवसंरचना (AMI) को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • आईएसएएम की उप-योजना एएमआइ नई क्रेडिट लिंक्ड परियोजनाओं के लिए लागू है, जहां 22.10.2018 और आगे से पात्र वित्तीय संस्थानों द्वारा सावधि ऋण स्वीकृत किया गया है। नाबार्ड द्वारा पुनर्वित्त के लिए पात्र संस्थानों या डीएसी एंड एफडब्ल्यू (DAC&FW) द्वारा अनुमोदित वित्तीय संस्थानों जैसे राज्य वित्तीय निगमों (SFC) हेतु पूंजीगत लागत का 25% से 33.33% की दर से सब्सिडी ज़ारी करने के लिए नाबार्ड चैनलाइजिंग एजेंसी है।
  • कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने एएमआई आईएसएएम की उपयोजना को 30 सितंबर 2022 तक ज़ारी रखने की अनुमति प्रदान की है।



कृषि क्लिनिक और कृषि व्यवसाय केंद्र योजना (Agriclinic and Agribusiness Centres Scheme)

एसीएबीसी योजना (ACABC scheme) कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही है, जिसमें नाबार्ड सब्सिडी चैनलाइजिंग एजेंसी के रूप में कार्य कर रहा है।

योजना का उद्देश्य (The objectives of the scheme are) –

  • किसानों को भुगतान के आधार पर या कृषि-उद्यमी के व्यवसाय मॉडल, स्थानीय जरूरतों और किसानों के लक्षित समूह की सामर्थ्य के अनुसार मुफ्त में विस्तार और अन्य सेवाएं प्रदान करके सार्वजनिक विस्तार के प्रयासों को पूरक बनाना।
  • कृषि विकास का समर्थन करने करना।
  • बेरोजगार कृषि स्नातकों, कृषि डिप्लोमा धारकों, कृषि में इंटरमीडिएट और कृषि से संबंधित पाठ्यक्रमों में पीजी के साथ जैविक विज्ञान स्नातकों के लिए लाभकारी स्वरोजगार के अवसर पैदा करना।

कृषि क्लिनिक (Agri-Clinics)

कृषि-क्लीनिकों की परिकल्पना किसानों को फसलों/जानवरों की उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञ सलाह और सेवाएं प्रदान करने के लिए की गई है। इसका शुभारंभ वर्ष 2001 में हुआ है। कृषि-क्लीनिक निम्नलिखित क्षेत्रों में सहायता प्रदान करते हैं:

  • मृदा स्वास्थ्य (Soil health)
  • फसल की प्रथाएं (Cropping practices)
  • प्लांट का संरक्षण (Plant protection)
  • फसल बीमा (Crop insurance)
  • फसल कटाई के बाद पशुओं के लिए तकनीक नैदानिक सेवाएं, चारा और चारा प्रबंधन बाज़ार में विभिन्न फसलों की कीमतें आदि।
  • कृषि-व्यवसाय केंद्र (Agri-Business Centres)

कृषि-व्यवसाय केंद्र (Agri-Business Centres), प्रशिक्षित कृषि पेशेवरों द्वारा स्थापित कृषि-उद्यमों की व्यावसायिक इकाइयाँ हैं। इन उपक्रमों में कृषि उपकरणों के रखरखाव और कस्टम हायरिंग, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में इनपुट और अन्य सेवाओं की बिक्री शामिल हो सकती है, जिसमें फसल के बाद प्रबंधन और आय सृजन और उद्यमिता विकास के लिए बाज़ार लिंकेज शामिल हैं।

इस योजना में प्रशिक्षण और हैंडहोल्डिंग, ऋण के प्रावधान और क्रेडिट-लिंक्ड बैक-और समग्र/संयुक्त सब्सिडी के लिए पूर्ण वित्तीय सहायता शामिल है।

लाभार्थियों की सूची (List of Beneficiaries)

  • राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (State Agriculture Universities (SAUs)) / केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों (Central Agricultural Universities) / ICAR अथवा UGC द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों से कृषि और संबद्ध विषयों में स्नातक।
  • राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, राज्य कृषि और संबद्ध विभागों और राज्य तकनीकी शिक्षा विभाग से कृषि और संबद्ध विषयों में डिप्लोमा (कम से कम 50% अंकों के साथ) / स्नातकोत्तर डिप्लोमा धारक (Post Graduate Diploma holders)।
  • कृषि और संबद्ध विषयों में स्नातकोत्तर के साथ जैविक विज्ञान स्नातक।
  • कम से कम 55% अंकों के साथ इंटरमीडिएट (यानी +2) स्तर पर कृषि संबंधी पाठ्यक्रम।

राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock Mission)

राष्ट्रीय पशुधन मिशन, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की एक पहल है। 2014-15 से शुरू हुए इस मिशन का उद्देश्य पशुधन क्षेत्र के सतत / संधारणीय विकास का लक्ष्य है।

नाबार्ड राष्ट्रीय पशुधन मिशन के उद्यमिता विकास और रोजगार सृजन (Entrepreneurship Development & Employment Generation (EDEG)) घटक के तहत निम्नलिखित योजनाओं के लिए सब्सिडी चैनलाइजिंग एजेंसी है।

  • पोल्ट्री वेंचर कैपिटल फंड (Poultry Venture Capital Fund (PVCF))
  • छोटे जुगाली करने वाले और खरगोश का एकीकृत विकास (IDSRR)
  • सुअर विकास (Pig Development (PD))
  • नर भैंस बछड़ों का बचाव और पालन-पोषण (Salvaging and Rearing of Male Buffalo Calves (SRMBC))
  • प्रभावी पशु अपशिष्ट प्रबंधन (Effective Animal Waste Management)
  • फीड और चारे के लिए भंडारण सुविधा का निर्माण (Construction of Storage Facility for Feed and Fodder)

लाभार्थियों की सूची (List of Beneficiaries)

  • किसान, व्यक्तिगत उद्यमी (Farmers, individual entrepreneurs)
  • ग़ैर सरकारी संगठन (NGOs)
  • कंपनियां (Companies)
  • सहकारी समितियां (Cooperatives)
  • संगठित और असंगठित क्षेत्र के समूह जिनमें स्वयं सहायता समूह (Self- Help Groups (SHGs)) और संयुक्त देयता समूह (Joint Liability Groups (JLGs)) शामिल हैं।

पात्र/योग्य वित्तीय संस्थान (Eligible financial institutions)

  • वाणिज्यिक बैंक (Commercial Banks)
  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (Regional Rural Banks)
  • राज्य सहकारी बैंक (State Cooperative Banks)
  • राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (State Cooperative Agriculture and Rural Development Banks)
  • नाबार्ड से पुनर्वित्त के लिए पात्र अन्य संस्थान (Other institutions eligible for refinance from NABARD)

ब्याज सहायता/योजना सबवेंशन योजना (Interest Subvention Scheme)

वर्ष 2006-07 के अपने बजट भाषण (पैरा 49) में माननीय वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि सरकार ने यह सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है कि किसानों को मूलधन की राशि पर रु. 3.00 लाख की उच्चतम सीमा के लिए 7% की दर से अल्पावधि ऋण प्राप्त हों। यह नीति खरीफ 2006-07 से लागू की गई थी। संवितरण की तारीख से किसान द्वारा फसल ऋण चुकौती की वास्तविक तारीख तक अथवा बैंक द्वारा निर्धारित ऋण की देय तारीख जो भी पहले हो उस तक फसल ऋण की राशि पर ब्याज सहायता की राशि की गणना की जानी थी बशर्ते इसकी अधिकतम अवधि एक वर्ष की है।

उक्त घोषणा के परिणामस्वरूप भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (क्षेग्रा बैंक) और सहकारी बैंकों द्वारा अपने संसाधनों से किसानों को दिए गए रु. 3 लाख तक के अल्पावधि उत्पादन ऋण के लिए 2% की ब्याज सहायता प्रदान की गई बशर्ते वे आधार स्तर पर 7% प्रति वर्ष की दर से अल्पावधि ऋण उपलब्ध कराते हैं। इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2013-14 से निजी क्षेत्र के बैंकों (उनकी ग्रामीण और अर्ध शहरी शाखाओं द्वारा दिए गए ऋणों के संबंध में) को भी समान प्रकार के नियम और शर्तों के आधार पर शामिल किया गया।

तुरंत चुकौती पर किसानों को प्रोत्साहन (Incentive to farmers on prompt repayments)

वर्ष 2009-10 से भारत सरकार ने किसानों को उनके ऋणों की तुरंत चुकौती अर्थात् देय तारीख को अथवा उससे पहले अथवा बैंक द्वारा निर्धारित तारीख के लिए प्रोत्साहन के रूप में 1% की अतिरिक्त सहायता आरंभ की जो अधिकतम एक वर्ष की अवधि के अधीन है. वर्ष 2010-11 के लिए इसे बढ़ाकर 2% एवं वर्ष 2011-12 के लिए इसे बढ़ाकर 3% कर दिया गया है।

किसानों को राहत (Relief to farmers)

प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को राहत प्रदान करने के लिए बैंकों को पुनर्निर्धारित फसल ऋणों की राशि पर पहले वर्ष के लिए 2% की ब्याज सहायता उपलब्ध कराई गई. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित नीति के अनुसार इस प्रकार के पुनर्निर्धारित ऋणों के लिए दूसरे वर्ष से सामान्य ब्याज दर लागू होगी।

छोटे और सीमांत किसानों को परक्राम्य भंडारागार रसीदों के समक्ष ब्याज सहायता (Interest Subvention to Small and Marginal Farmers against Negotiable Warehouse Receipts)

किसानों द्वारा उत्पाद की मजबूरन बिक्री रोकने और उनके उत्पादों को भंडारागार रसीदों के समक्ष भंडारागारों में रखने को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने परक्राम्य भंडारागार रसीदों के समक्ष किसानों को रियायती ऋण प्रदान करने के लिए वर्ष 2011-12 में योजना आरंभ की थी।

किसान क्रेडिट कार्ड रखने वाले छोटे और सीमांत किसानों को 7% प्रति वर्ष की ब्याज दर से रु. 3 लाख तक की ऋण सहायता प्रदान करने के लिए बैंकों को अपनी स्वाधिकृत निधियों पर 2% ब्याज सहायता उपलब्ध होगी. यह सहायता फसल कटाई के बाद छह महीनों की अवधि के लिए उपलब्ध होगी. यह सुविधा भंडारागार विकास विनियामक प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त भंडारागारों में रखे गए उत्पाद के समक्ष जारी परक्राम्य भंडारागार रसीदों के समक्ष दी जाएगी.

छोटे किसान/ सीमांत किसान जिन्होंने बैंकिंग व्यवस्था के माध्यम से फसल ऋण नहीं लिया है वे इस योजना के तहत पात्र नहीं होंगे.

पशुपालन और मत्स्यपालन के लिए कार्यशील पूंजी पर ब्याज सहायता (Interest subvention on working capital to Animal Husbandry and Fisheries)

भारत सरकार ने वर्ष 2018-19 से पशुपालन और मत्स्यपालन किसानों को ज़ारी केसीसी पर फसल ऋण के लिए ब्याज सहायता योजना का विस्तार किया है. पशुपालन और मत्स्यपालन किसानों को फसल ऋणों के लिए विद्यमान केसीसी के अलावा रु. 2 लाख तक के अल्पावधि ऋणों पर तुरंत चुकौती के लिए प्रोत्साहन के रूप में बैंकों को 2% और किसानों को 3% ब्याज सहायता प्रदान की जाती है बशर्ते बैंकों द्वारा 7% प्रति वर्ष की दर से ऋण प्रदान किए जाते हैं. फसल उगाने के लिए केसीसी रखने वाले किसानों और पशुपालन और अथवा मत्स्यपालन से संबंधित कार्य करने वाले किसानों को प्रति वर्ष रु. 3 लाख तक की समग्र सीमा पर अल्पावधि ऋण पर ब्याज सहायता उपलब्ध है।

भारत सरकार ने यह अनुदेश ज़ारी किए हैं कि 01 अप्रैल 2020 से केवल केसीसी के समक्ष बैंकों के लिए ब्याज सहायता और किसानों को तुरंत चुकौती पर प्रोत्साहन उपलब्ध होगा।

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