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क्या है आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 (Essential Commodities Act)

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क्यों है चर्चा में –

भारत में  COVID 19 महामारी खतरनाक रूप लेती जा रही है. देश में कोरोना वायरस के  खतरे ने जब दस्तक दी थी तभी यह बात भी सामने आई थी कि इससे बचने के लिए अधिक से अधिक हाथ धुलें या अल्कोहल युक्त  सैनिटाइजर  का प्रयोग करें और चेहरे में मास्क लगाएं. देश में कोरोना के खतरे को देखते हुए मास्क और सैनिटाइजर बिक्री बढ़ गई,  और मार्किट में उसकी कमी होने लगी. जिसकी वजह से दुकानदार मनमाने दाम में बेचने लगे. जिसे ध्यान रखते हुए सरकार ने मास्क और सैनिटाइजर को  30 जून, 2020 तक के लिए आवश्यक वस्तु की सूची में डाल दिया है. 

क्या है आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 (Essential Commodities Act, 1955 )

यह अधिनियम सन 1955 में संसद में पारित हुआ था. इसके अन्दर उन वस्तुओं को रखा जाता है जो जीवन- यापन के लिए जरुरी हैं. जो हमारे लिए सबसे ज़रूरी वस्तु होती हैं. इस कानून की मदद से सरकार आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित करती है. जिससे यह वस्तुएँ उपभोक्ता को सामान्य दाम में और आसानी से प्राप्त हो सकें. इस अधिनियम के तहत सरकार अगर किसी वस्तु को आवश्यक वस्तु घोषित करती है, तो सरकार को यह अधिकार है कि वह उस प्रोडक्ट का अधिकतम  खुदरा मूल्य तय कर दे और अगर उसके बाद कोई भी व्यक्ति उसे अधिक दाम में बेचता है तो उसे सजा भी हो सकती है. खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग इस कानून को अमल में लाने के लिए कार्य करता है. आवश्यकता पड़ने पर स्थानीय पुलिस के साथ यह विभाग जमाखोरी की जाँच के लिए छापा मार सकता है. पुलिस के पास ऐसे आरोपियों को गिरफ्तार करने का अधिकार होता है.
इस अधिनियम के  तहत केंद्र सरकार राज्यों की स्टॉक लिमिट तय करने और जमाखोरों पर रोक लगाने का निर्देश देती है, ताकि चीजों की आपूर्ति प्रभावित न हो और उचित दाम में वास्तु उपलब्ध हो सके. सामान्य तौर पर केंद्र सरकार किसी वस्तु को जमा करने की अधिकतम समय-सीमा तय करती है और राज्य उस समयावधि के अन्दर कोई खास सीमा भी तय कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में यदि राज्य और केंद्र के बीच कोई विवाद होता है तो केंद्र सरकार के नियम ही मान्य होंगे.

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सजा का भी है प्रावधान – 

इस कानून के सेक्शन 7(1) ए (1) के तहत अगर सही से रेकॉर्ड नहीं रखा, रिटर्न फाइल आदि करने में कानून के नियमों का उल्लंघन किया गया तो इसे एक तरह का जुर्म माना जाएगा. इस स्थिति में जुर्म करने वाले को तीन महीने से एक साल तक की सजा देने का प्रावधान है. सेक्शन 7(1) ए (2) के तहत बड़े अपराधों जैसे जमाखोरी, मुनाफाखोरी, कालाबाजारी आदि के लिए सजा का प्रावधान है. इस स्थिति में जुर्म करने वाले को सात साल तक जेल की सजा या जुर्माना, या दोनों हो सकता है.

आवश्यक वस्तुओं में कौन सी वस्तुएँ हैं शामिल 

धिनियम के अनुसार आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल कुछ मुख्य वस्तुएं इस प्रकार हैं –

  • पेट्रोलियम और उसके उत्पाद, जिनमें पेट्रोल, डीजल, केरोसिन, विलायक, नेफ्था, आदि शामिल हैं।
  • खाद्य पदार्थ, खाद्य तेल और बीज
  • दलहन
  • सब्जियां, धान, गन्ना और इसके उत्पाद जैसे चीनी और खांडसारी, आदि।
  • जूट और वस्त्र
  • उर्वरक
  • हैंड सैनिटाइज़र
  • मास्क (2 PLY, 3 PLY, N95)
  • मवेशियों के चारे, जिसमें ऑइल केक और अन्य सांद्रता शामिल हैं
  • कोयला (कोक और इसके अन्य डेरिवेटिव सहित)
  • ऑटोमोबाइल, ऑटोमोबाइल सामान(accessories) और component parts
  • सूती और ऊनी वस्त्र
  • ड्रग्स
  • लोहा और इस्पात
  • कागज़
  • कच्चा कपास और कच्चा जूट

कैसे करें शिकायत – 

मास्क और सैनिटाइजर सम्बन्धी शिकायत के लिए केंद्र ने राज्य सरकारों को हेल्पलाइन नंबर जारी करने को कहा है. अगर आपसे कोई दुकानदार इन वस्तुयों के अधिक दाम लेता है तो आप शिकायत कर सकते हैं. जमाखोरी करने पर भी आप शिकायत कर सकते हैं. शिकायत करने के लिए आप नैशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन नंबर 1800-11-4000 पर कॉल कर सकते हैं. इसके आलावा आप ऑनलाइन भी शिकायत www.consumerhelpline.gov.in पर कर सकते हैं. विभाग की वेबसाइट www.consumeraffairs.nic.in और मेल dsadmin-ca@nic.in के माध्यम से और dirwm-ca@nic.insecy.doca@gov.in पर भी शिकायत भेज सकते हैं.

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