विश्व गौरैया दिवस (World Sparrow Day) हर साल ‘20 मार्च को दुनिया भर में मनाया जाता है, जिसके माध्यम से गौरैया पक्षी के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जाता है. भूरे रैंक के पंखों वाली और घरों में अपनी चीं-चीं से चहकाने वाली गौरैया अब दिखाई नहीं देती. जिसकी आवाज से लोग जगते थे और जिसकी आवाज प्रकृति और पेड़ पौधों के पास होने का अहसास दिलाती थी वह आवाज अब ख़त्म होने की कगार में है. गौरैया पक्षी के अस्तित्व पर इस समय संकट के बदल छाये हुए है, जिसे ध्यान में रखते हुए यह दिन मनाया जाता हैं.
क्यों मानते हैं विश्व गौरैया दिवस?
एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 2 दशकों में गौरैया में 60% की कमी आई है. ब्रिटेन की ‘रॉयल सोसायटी ऑफ़ प्रोटेक्शन ऑफ़ बर्डस’ ने भारत व विश्व के विभिन्न हिस्सों में शोध के आधार पर गौरैया को ‘रेड लिस्ट’ में डाला है. भारत में आंध्र विश्वविद्यालय’ द्वारा किए गए शोध के अनुसार गौरैया की आबादी में करीब 60 फीसदी की कमी भारत में आई है. यह कमी ग्रामीण और शहरी सभी क्षेत्रों में हुई है. जिस पंक्षी को देख कर बचपन में कौतुहल होता है वो आज ख़त्म होने की कगार में है, जिसकी वजह है, प्राकृतिक सम्पदा का बहुत अधिक दोहन करना. पेड़ पौधों को काटा जा रहा रहा है साथ ही मनुष्य प्रकृति के साथ लगातार खिलवाड़ कर रहा हैं. जिससे पर्यावरण में भी परिवर्तन होता जा रहा है, प्रदुषण बढ़ रहा हैं, ऐसे ही न जाने कितने कारण हैं इस नन्हीं सी चिड़िया की कमी के पीछे. इन्हीं सब बातों को ध्यान में रख कर यह दिवस मनाया जाता है.
ऐसी स्थिति में हमारी जिम्मेदारी है कि हम गौरैया के बचाव के लिए जो संभव हो करें. वैज्ञानिकों का मन्ना है कि गौरैया की कमी में सबसे बड़ा कारण यह है कि उन्हें घोसले बनाने की जगह नहीं मिलती हैं. जिससे उनके बच्चे इस दुनियां में आने से पहले ही मर जाते हैं, ऐसे में हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके घोसले के लिए उपयुक्त जगह दें और उनके लिए खाना और पानी रखें.
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