श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद रानिल विक्रमसिंघे ने हाल ही में आपातकाल का घोषणा कर दिया है। सरकार की ओर से जारी नोटिस में इस बात की जानकारी दी गई है। बता दें पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़ने के बाद विक्रमसिंघे को देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति की शपथ दिलाई गई थी।
बता दें श्रीलंका में बड़े स्तर पर जनता विरोध प्रदर्शन कर रही है तथा अब ये 100वें दिन में पहुंच गया है। आर्थिक संकट लगातार जारी है तथा ये कैसे सुलझेगा किसी को भी समझ नहीं आ रहा है। आपातकाल से जुड़ा नोटिस 17 जुलाई 2022 को जारी किया गया है।
आपातकाल क्यों लगाया गया?
कार्यवाहक राष्ट्रपति की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि जनता के हित, उनकी सुरक्षा, कानून की रक्षा, आपूर्ति को बरकरार रखने एवं सभी के जीवन के लिए जरूरी सेवाओं को जारी रखने के लिए यही फैसला अनुकूल है।
श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे ने कहा है कि उन्होंने देश को आर्थिक संकट से बचाने हेतु सभी कोशिश किए थे। वे देश छोड़कर सबसे पहले मालदीव भागे एवं इस समय सिंगापुर में हैं जहां पर उन्हें केवल 15 दिन की ही मोहलत दी गई है। श्रीलंका की संसद ने 15 जुलाई 2022 को राजपक्षे का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। जहां देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन जारी हैं तो वहीं कोलंबो में राजपक्षे के जाने के बाद लोगों की भीड़ कम होती जा रही है।
श्रीलंका में क्यों इतने बिगड़े हालात?
बता दें श्रीलंका के हालात रातों-रात नहीं बिगड़े हैं। जब राजपक्षे साल 2019 में देश के राष्ट्रपति बने तो उनकी नीतियों पर सवाल उठने लगे। इसके बाद जब कोरोना महामारी का आगाज हुआ तो हालात और ज्यादा बिगड़ गए। टूरिज्म पर आधारित अर्थव्यवस्था चौपट होने की ओर बढ़ने लगी तथा धीर-धीरे सबकुछ खत्म हो गया।
श्रीलंका की जनता रोटी के लिए तरसने लगी एवं मजबूर होकर सड़कों पर उतर आई। कर्ज से लदा श्रीलंका इस कदर संकट में है कि ये खाने, ईधन एवं दवाईयों के लिए भी पैसे तक नहीं दे पा रहा है। देश के वित्त मंत्रालय ने कहा कि श्रीलंका के पास 25 मिलियन डॉलर का ही विदेशी रिजर्व बचा है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका को 6 बिलियन डॉलर की जरूरत है ताकि अगले छह माह तक देश को चलाया जा सके। इसकी वजह से श्रीलंका कंगाली की कगार पर पहुंच गया।
श्रीलंका की आबादी: एक नजर में
श्रीलंका की कुल आबादी 2 करोड़ 20 लाख है। हालांकि एक ताजा रिपोर्ट्स में कहा गया है, कि देश के लगभग 60 लाख लोगों के सामने खाद्यान्न संकट पैदा हो गया है। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि, श्रीलंकी की लगभग 28 प्रतिशत आबादी, गंभीर तौर पर खाद्य संकट में बुरी तरह फंस चुकी है।
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