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Parsi New Year 2024: पारसी नववर्ष, पारसी समुदाय का महत्वपूर्ण त्योहार

पारसी नववर्ष, जिसे शहंशाही भी कहा जाता है, हर साल 16 अगस्त को मनाया जाता है। यह पारसी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो नए साल की शुरुआत का जश्न मनाता है।

पारसी नववर्ष का महत्व

पारसी नववर्ष, पारसी संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है। यह दिन पारसी समुदाय के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें लोग अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लेते हैं। इस दिन परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर जश्न मनाया जाता है।

पारसी नववर्ष कैसे मनाया जाता है?

पारसी नववर्ष के दिन, पारसी समुदाय के लोग सुबह जल्दी उठकर नहान-धोकर साफ-सुथरे कपड़े पहनते हैं। घरों को फूलों और रंगोली से सजाया जाता है। प्रार्थना के बाद पारसी लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और मिठाई बांटते हैं। पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं और परिवार और दोस्तों के साथ भोजन का आनंद लिया जाता है।

पारसी नववर्ष का इतिहास

पारसी नववर्ष का इतिहास प्राचीन ईरान से जुड़ा हुआ है। पारसी समुदाय जब भारत आया तो वे अपनी परंपराओं को साथ लाए। शहंशाही नववर्ष के अलावा, पारसी समुदाय एक और नववर्ष, नवरोज भी मनाता है जो मार्च महीने में आता है।

पारसी नववर्ष का त्योहार न केवल पारसी समुदाय के लिए बल्कि भारत की सांस्कृतिक विविधता के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह हमें विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है।

FAQs

पारसी नववर्ष, कब मनाया जाता है?

पारसी नववर्ष, जिसे शहंशाही भी कहा जाता है, हर साल 16 अगस्त को मनाया जाता है.