International Women’s Day Special |
International Women’s Day: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, हर साल 8 मार्च को दुनिया भर में महिलाओं की ऐतिहासिक यात्रा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, जिसे दुनिया भर की महिलाओं ने अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए शुरू की है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि महिलाओं के बेहतर भविष्य के लिए अब तक जो भी कुछ हासिल किया गया है, वो सिर्फ एक लम्बी यात्रा का एक छोटा-सा हिस्सा है।
लगभग एक सदी से मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को लेकर कई लोगों के मन में ये सवाल है कि इसे केवल नारीवाद (feminism) की वजह से मनाया जाता है जबकि हक़ीक़त में इसकी शुरुआत 1911 में हुई थी जब जर्मनी की मार्क्सवादी महिला नेता क्लारा ज़ेटकिन ने मजदूर आंदोलन के समय इसे आयोजित किया था। वो पेशे से एक शिक्षक थीं। वर्ष 1911 तथा 1912 में ये दिवस 28 फ़रवरी को मनाया गया और 1913 में इसकी तिथि को बदल के 8 मार्च कर दिया गया।
Theme of International Women’s Day 2021
इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम, “Women in leadership: Achieving an equal future in a COVID-19 world” हैं, जो COVID-19 महामारी से अधिक समान भविष्य और रिकवरी को आकार देने में दुनिया भर की महिलाओं और लड़कियों द्वारा किए गए जबरदस्त प्रयासों को चिन्हित करने पर केन्द्रित है।
महिलाओं की ज़रूरत हमें इस दुनिया में आने से पहले से ही होती है पर समाज के दकियानूसी रिवाज़ों में पड़ के हम महिलाओं के सपनों का गला घोंट देते हैं। आज महिलाएँ हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं लेकिन फिर भी आज अधिकतर महिलाओं को उन तथाकथित नियमों में बाँध के रखा गया है जिन्हें उनकी सुरक्षा के लिए माना जाता है। हम यहाँ भारतीय महिलाओं से संबंधित कुछ आँकड़े बता रहे हैं-
- वर्ष 2011-19 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यस्थलों पर महिलाओं की भागीदारी 35.8% से घटकर 26.4% ही रह गई.
- कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी लगभग 60% है परंतु इनमें से अधिकांश भूमिहीन श्रमिक हैं जिन्हें स्वास्थ्य, सामाजिक या आर्थिक सुरक्षा से संबंधित कोई भी सुविधा नहीं मिलती है.
- वर्ष 2019 में मात्र 13% महिला किसानों के पास अपनी ज़मीन थी और वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, यह अनुपात मात्र 12.8% था।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labor Organization-ILO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत में कार्यक्षेत्र में व्याप्त लैंगिक असमानता को 25% कम कर लिया जाता है तो इससे देश की जीडीपी में 1 ट्रिलियन डॉलर तक की वृद्धि हो सकती है।
यहाँ दिए गए आँकड़ों में ये घटता लिंगानुपात इस बात का प्रमाण है कि हम महिलाओं के प्रति किस प्रकार गैरजिम्मेदार हो गए हैं। आज जब हमें एक साथ चलने की आवश्यकता है, उस समय हम बेटियों को जन्म लेने से पहले गर्भ में या जन्म लेने के कुछ वक़्त बाद ही मार देते हैं।