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क्या IBPS पर से उठ रहा है भरोसा? उम्मीदवारों ने उठाए पारदर्शिता को लेकर सवाल, जानिए पूरी रिपोर्ट

क्या IBPS पर से उठ रहा है उम्मीदवारों का भरोसा? पारदर्शिता की कमी से उठे बड़े सवाल

एक समय पर पूरी तरह विश्वसनीय मानी जाने वाली IBPS (Institute of Banking Personnel Selection) अब आलोचना के घेरे में है। देशभर के लाखों बैंकिंग अभ्यर्थी रॉ स्कोर, नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया और नियुक्तियों में पारदर्शिता की कमी को लेकर सोशल मीडिया पर आवाज़ उठा रहे हैं।

IBPS भर्ती प्रक्रिया को लेकर उम्मीदवारों में लगातार यह असंतोष देखा जा रहा है कि आखिर जो मेहनत वे परीक्षा में करते हैं, उसका वास्तविक आकलन उन्हें क्यों नहीं दिखाया जाता? और क्यों घोषित रिक्तियों की तुलना में नियुक्तियाँ कम होती हैं?

IBPS की भर्ती प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं। उम्मीदवारों ने रॉ स्कोर, नॉर्मलाइजेशन और खाली पदों को लेकर नाराजगी जाहिर की है। क्या IBPS की विश्वसनीयता खतरे में है? जानिए विस्तार से।

IBPS को लेकर अभ्यर्थियों की प्रमुख चिंताएं

1. रॉ स्कोर का न मिलना

IBPS सिर्फ नॉर्मलाइज्ड स्कोर और कट-ऑफ जारी करता है, लेकिन रॉ स्कोर (वास्तविक अंक) नहीं बताता। इससे उम्मीदवारों को:

  • अपनी तैयारी का सही मूल्यांकन नहीं हो पाता

  • कमजोरियों को समझने में कठिनाई होती है

  • भविष्य की तैयारी दिशा-विहीन हो जाती है

2. नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला का न खुलासा

IBPS द्वारा अपनाई गई नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया कभी सार्वजनिक नहीं की जाती, जिससे:

  • कई उम्मीदवारों को कम अंक मिलते हैं, जबकि उन्होंने बेहतर प्रयास किया होता है

  • एक ही परीक्षा में अलग-अलग शिफ्ट के छात्रों को असमान स्कोर दिए जाने की आशंका बढ़ती है

3. खाली पदों के बावजूद कम नियुक्तियाँ

हर साल हजारों पदों की घोषणा होती है, परन्तु फाइनल चयन में सैकड़ों पद खाली रह जाते हैं:

  • उदाहरण: 1000 पदों के लिए नोटिफिकेशन, लेकिन फाइनल चयन में सिर्फ 700 उम्मीदवार

  • बैंक बाद में स्टाफ की कमी का हवाला देते हैं, जबकि योग्य उम्मीदवार रिजर्व लिस्ट में इंतजार कर रहे होते हैं

4. उत्तर कुंजी (Answer Key) और प्रश्नपत्र न जारी करना

जहां SSC, UPSC और रेलवे जैसे संस्थान प्रश्नपत्र और उत्तर कुंजी जारी करते हैं, वहीं IBPS ऐसा कुछ नहीं करता, जिससे उम्मीदवार यह नहीं जान पाते कि उनकी गलतियाँ कहाँ थीं।

उम्मीदवारों की मांगें क्या हैं?

मांग क्यों जरूरी है
रॉ स्कोर जारी किया जाए आत्ममूल्यांकन और ईमानदार तैयारी के लिए
उत्तर कुंजी सार्वजनिक हो पारदर्शिता और उत्तर की पुष्टि के लिए
नॉर्मलाइजेशन का फॉर्मूला बताया जाए शिफ्ट आधारित भेदभाव से बचाव के लिए
नियुक्तियों की संख्या स्पष्ट हो रिक्तियों की पूर्ति और प्रतिभा की कद्र के लिए

आगे का रास्ता: IBPS को क्या करना चाहिए?

डिजिटल और पारदर्शी युग में IBPS को चाहिए कि वह अन्य सरकारी एजेंसियों की तरह पारदर्शिता अपनाए:

  • रॉ स्कोर और नॉर्मलाइज्ड स्कोर दोनों जारी करें

  • नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला स्पष्ट करें

  • उत्तर कुंजी और प्रश्नपत्र सार्वजनिक करें

  • शिकायत समाधान पोर्टल (Grievance Redressal) स्थापित करें

IBPS की छवि एक भरोसेमंद संस्थान की रही है, लेकिन पारदर्शिता की कमी अब इस पर सवाल खड़े कर रही है। अगर संगठन अपने नियमों में बदलाव नहीं करता, तो यह बदलाव की ज़रूरत को नजरअंदाज करने जैसा होगा — जो अंततः लाखों युवाओं के भविष्य पर असर डाल सकता है।

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FAQs

IBPS रॉ स्कोर क्यों नहीं जारी करता?

इसकी कोई आधिकारिक वजह नहीं दी गई, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।

क्या नॉर्मलाइजेशन सभी परीक्षाओं में होता है?

हां, लेकिन IBPS इसका फार्मूला नहीं बताता जबकि SSC और UPSC पारदर्शी रहते हैं।

क्या IBPS में भर्ती पदों से कम नियुक्तियाँ होती हैं?

हां, अक्सर 1000 में से सिर्फ 600-700 उम्मीदवारों की नियुक्ति होती है।

क्या अभ्यर्थियों को कोई राहत मिल सकती है?

अगर IBPS उम्मीदवारों की आवाज सुने और पारदर्शिता बढ़ाए, तो ज़रूर।

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