क्या होता है आर्थिक सर्वे में?
भारत के आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में देश की आर्थिक स्थिति, प्रमुख रुझानों, चुनौतियों और सतत विकास के लिए नीतिगत सिफारिशों का व्यापक विश्लेषण किया गया है। यह सर्वेक्षण केंद्रीय बजट से पहले प्रस्तुत किया जाता है और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को रेखांकित करता है। रिपोर्ट में मजबूत जीडीपी वृद्धि, घटती मुद्रास्फीति और विनिर्माण, सेवाएं और डिजिटल अवसंरचना जैसे क्षेत्रों में हुई प्रगति पर जोर दिया गया है।
इसके अलावा, सर्वेक्षण में रोजगार सृजन, वित्तीय समेकन और हरित ऊर्जा परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण विषयों को भी संबोधित किया गया है। इसमें सरकार की दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता और समावेशी विकास की दृष्टि को दर्शाया गया है, जो आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने इस आर्थिक सर्वेक्षण की प्रस्तुति दी, जिसमें भारत की आर्थिक नीतियों और आगे की रणनीतियों पर विस्तृत चर्चा की गई।
1. जीडीपी वृद्धि और समग्र अर्थव्यवस्था
- वास्तविक जीडीपी वृद्धि: FY25 में 6.4% रहने का अनुमान, जबकि FY26 में 6.3-6.8% रहने की संभावना।
- वैश्विक अस्थिरता के बावजूद मजबूती: भारत की अर्थव्यवस्था भू-राजनीतिक तनाव और व्यापार जोखिमों के बीच स्थिर बनी हुई है।
- मुद्रास्फीति (Inflation): FY24 में 5.4% से घटकर FY25 में 4.9% हुई, FY26 में 4% लक्ष्य के करीब रहने का अनुमान।
2. मौद्रिक एवं वित्तीय क्षेत्र
- बैंकिंग सुधार: 12 वर्षों में सबसे कम NPA (2.6%), परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता में सुधार।
- शेयर बाजार उछाल: BSE का मार्केट कैप-टू-जीडीपी अनुपात 136%, उभरते बाजारों से बेहतर प्रदर्शन।
- क्रेडिट ग्रोथ: लगातार दो वर्षों से जीडीपी से अधिक बैंक ऋण वृद्धि।
- दिवालियापन और समाधान (IBC): ₹3.6 लाख करोड़ की वसूली, 1,068 मामलों का समाधान।
- बीमा और पेंशन: बीमा प्रीमियम 7.7% बढ़ा, पेंशन सब्सक्राइबर्स में 16% वृद्धि।
3. विदेशी व्यापार और निवेश
- निर्यात: कुल 6% वृद्धि, सेवाओं का निर्यात 11.6% बढ़ा।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): 17.9% वृद्धि, कुल प्रवाह $55.6 बिलियन।
- विदेशी मुद्रा भंडार: $640.3 बिलियन, जो 10.9 महीनों के आयात को कवर करता है।
- व्यापार में नेतृत्व: भारत ‘टेलीकॉम, कंप्यूटर और सूचना सेवाओं’ में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक।
4. उद्योग और विनिर्माण (Manufacturing)
- औद्योगिक उत्पादन: 6.2% अनुमानित वृद्धि, मुख्य रूप से निर्माण और बिजली क्षेत्र से योगदान।
- स्मार्टफोन निर्माण: 99% स्मार्टफोन अब देश में निर्मित।
- ऑटोमोबाइल और फार्मा: वाहन बिक्री 12.5% बढ़ी, फार्मा क्षेत्र का मूल्य ₹4.17 लाख करोड़।
- MSME समर्थन: MSMEs के विस्तार के लिए ₹50,000 करोड़ का ‘आत्मनिर्भर भारत फंड’।
5. अवसंरचना और निवेश
- सरकारी पूंजीगत व्यय: 38.8% वृद्धि (FY20-FY24), मुख्य रूप से रेलवे, सड़कों और औद्योगिक गलियारों में निवेश।
- रेलवे विस्तार: 2,031 किमी नई पटरियां, 17 नई वंदे भारत ट्रेनें शुरू।
- सड़क नेटवर्क: 5,853 किमी राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण (FY25 Apr-Dec)।
- नवीकरणीय ऊर्जा: 47% क्षमता नवीकरणीय स्रोतों से।
- डिजिटल कनेक्टिविटी: 5G पूरे देश में लॉन्च, 10,700 गांवों में 4G सेवाएं पहुंचीं।
6. कृषि और खाद्य सुरक्षा
- अर्थव्यवस्था में योगदान: कृषि और संबद्ध क्षेत्र का GDP में 16% योगदान।
- MSP वृद्धि: अरहर और बाजरा के MSP में क्रमशः 59% और 77% की वृद्धि।
- खाद्य सुरक्षा: PMGKAY (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना) 5 साल के लिए बढ़ी, गरीबों को मुफ्त राशन जारी रहेगा।
7. रोजगार और कौशल विकास
- बेरोजगारी दर: 2017-18 में 6% से घटकर 2023-24 में 3.2%।
- नौकरी सृजन: EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) की नई सदस्यता 6 वर्षों में दोगुनी।
- AI और भविष्य की नौकरियां: ‘Augmented Intelligence’ पर फोकस, AI से उत्पादकता में वृद्धि।
8. जलवायु और पर्यावरण
- नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन: 213,701 MW क्षमता नवीकरणीय स्रोतों से।
- वनों द्वारा कार्बन अवशोषण: 2005-2024 के बीच 2.29 बिलियन टन CO₂ का अवशोषण।
- सतत विकास पहल: LiFE (Lifestyle for Environment) पहल से 2030 तक वैश्विक स्तर पर $440 बिलियन की बचत।
9. सामाजिक क्षेत्र और कल्याण
- स्वास्थ्य खर्च: सरकारी स्वास्थ्य व्यय 29% से बढ़कर 48%, जिससे लोगों पर खर्च कम हुआ।
- आवास योजना: 89 लाख घर पूरे हुए (PM आवास योजना)।
- जल और स्वच्छता: 12 करोड़ घरों को नल जल कनेक्शन (जल जीवन मिशन)।
- महिला उद्यमिता: महिलाओं के लिए क्रेडिट एक्सेस, कौशल विकास और स्टार्टअप समर्थन।
स्थिरता के साथ विकास
आर्थिक सर्वेक्षण 2025 मजबूत आर्थिक नींव, वित्तीय सुधार, और बुनियादी ढांचे एवं सामाजिक क्षेत्रों में निवेश को उजागर करता है। AI, विनियमन में सुधार और स्थिरता भविष्य के प्रमुख विकास चालक होंगे। MSME, रोजगार सृजन और निजी क्षेत्र की भागीदारी पर नीति का ध्यान केंद्रित करना विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक होगा।


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