![भारत में कोरोना के इलाज के लिए ब्लड प्लाज्मा थेरपी को मंजूरी, केरल में होगा ट्रायल | Latest Hindi Banking jobs_2.1](https://st.adda247.com/https://4.bp.blogspot.com/-LQlNPtbcwz4/XpGrAXkfNWI/AAAAAAAADFY/BxAHdChuzY4MqIGKxXCoSK51mMqT2KZrgCK4BGAYYCw/s1600/India%2Bready%2Bfor%2BClinical%2BTrial%2Bof%2BPlasma%2BTreatment%2Bof%2BCritical%2BCOVID-19%2BPatients-Hindi.png)
कोरोना वायरस का खतरा तेजी से बढ़ रहा है और इस समय 17 लाख से भी अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. ऐसे में पूरी दुनिया के वैज्ञानिक और डॉक्टर इसके लिए बेहतर से बेहतर उपचार ढूंढने की कोशिश कर रही है. इसी क्रम में श्री चित्र तिरुनल फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी(SCTIMST) और इंस्टीट्यूशन ऑफ़ नेशनल इम्पोर्टेंस ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने इसके इलाज के लिए ज्यादा कारगर इलाज खोज निकाला है.
इस थेरिपी के ट्रायल के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (ICMR) ने SCTIMST को मंजूरी दे दी है. अब COVID 19 से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ((ICMR)) ने ब्लड प्लाज्मा थेरपी के क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी है. इस थेरपी का प्रयोग करने वाला पहला राज्य केरल होगा. SCTIMST की डायरेक्टर डॉ आशा किशोर ने बताया कि हमें भारत ड्रैग कंट्रोल जनरल (DCGI) को ब्लड के मानदंडों में छूट की अनुमति के लिए आवेदन दिया है.”
Practice With,
क्या हैं ब्लड प्लाज्मा थेरपी
यह एक ऐसी थेरिपी है जिसमें किसी बिमारी के इलाज के लिए, उन लोगों के खून का इस्तेमाल किया जाता है जो उस इलाज के माध्यम से उस बिमारी से ठीक हो चुके हैं. अर्थात कोरोना वयारस से संक्रमित लोगों का इलाज उनके खून से होगा जो कोरोना वायरस से कभी सक्रमित थे पर अब ठीक हो चुके हैं. असल में कोरोना की कोई मेडिसिन नहीं बन पाई है ऐसे जो लोग मानव शरीर में बनने वाले ऐंटीबॉडी की वजह से ठीक हो रहे हैं. इन्हीं ऐंटीबॉडी को लेकर उनका इस्तेमाल गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 मरीजों के इलाज में किया जायेगा. असल में यह थेरिपी 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है. इसका प्रयोग 1918 के फ्लू, चेचक, निमोनिया और अन्य कई तरह के संक्रमण के किया जा चुका है.
केरल करेगा इस थेरिपी का ट्रायल
इस थेरपी के ट्रायल की पहल केरल के प्रतिष्ठित श्री चित्र तिरुनल इंस्टिट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज ऐंड टेक्नॉलजी (SCTIMST) ने की थी. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् से मंजूरी के बाद थेरपी के क्लीनिकल ट्रायल के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से मंजूरी लेनी पड़ेगी.
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