भारत त्योहरों का देश हैं, जहाँ आये दिन कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता हैं, अलग अलग मान्यताओं और रिवाजों से भरा यह देश, अपनी इन्हीं खूबियों की वजह से दुनियां के अन्य देशों से अलग है. त्योहारों की इसी श्रृंखला में दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जो सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और इसे पूरा देश एक साथ मिल कर मनाता है. यह दिवाली का त्यौहार 5 दिनों तक चलता है. 5 दिनों का यह त्यौहार धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज पर ख़त्म होता है.
आज धनतेरस के शुभ अवसर पर Adda247 की ओर से आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं!
दिवाली से 2 दिन पहले मनाया जाने वाला धनतेरस का यह त्यौहार, हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला प्रसिद्ध त्योहार है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि को ‘धनतेरस’ या ‘धनत्रयोदशी’ के रूप में जाना जाता है। भारत सरकार ने इस दिन को ‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ के रूप में मनाने का भी निर्णय लिया है। भारत देश में सर्वाधिक धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहार दीपावली की शुरुआत धनतेरस से हो जाता है। गावों में आज भी इसी दिन से घरों की लिपाई-पुताई प्रारम्भ कर देते हैं।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इसदिन कुछ भी खरीदना शुभ माना जाता है, इसलिए दीपावली के लिए जरुरी सामग्री, लोग इसी दिन खरीदते हैं। इस दिन से कोई किसी को अपनी वस्तु उधार नहीं देता। इस उपलक्ष्य में बाज़ारों से नए बर्तन, वस्त्र, सोना -चांदी, वाहन, दीपावली पूजन हेतु लक्ष्मी-गणेश, खिलौने, खील-बताशे तथा आदि भी ख़रीदे जाते हैं। धनतेरस के सम्बन्ध में अन्य महत्वपूर्ण बातें जो प्रचलित हैं वह इस प्रकार हैं-
- धनतेरस, धनवंतरी त्रयोदशी या धन त्रयोदशी, दीपावली से पहले मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन आरोग्य के देवता धनवंतरी, मृत्यु के अधिपति यम, वास्तविक धन संपदा की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी तथा वैभव के स्वामी कुबेर सभी की पूजा की जाती है।
- इस त्यौहार को इस लिए मनाया जाता हैं ताकि लक्ष्मी जी के आगमन से पहले आरोग्य हो सकें और यम को प्रसन्न करने के लिए अपने कर्मों का शुद्धिकरण कर सकें।
- धनवंतरी और मां लक्ष्मी दोनों समुद्र मंथन से अवतरित हुए हैं।
- ‘धनमग्नि, धनम वायु, धनम सूर्यो धनम वसु:’ – श्री सूक्त में लक्ष्मी जी के स्वरूप का वर्णन इस प्रकार मिलता हैं कि प्रकृति ही लक्ष्मी है और प्रकृति की रक्षा करके मनुष्य खुद के साथ पूरे समाज के लिए निःस्वार्थ समर्पण से कार्य कर सकता है।
- ‘न क्रोधो न मात्सर्यम न लोभो ना अशुभा मति:’ अर्थ यह है कि जहाँ क्रोध और किसी के प्रति द्वेष की भावना होगी, वहां लक्ष्मी जी का आगमन संभव नहीं हैं।
- आचार्य धनवंतरी द्वारा बताए गए मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी उपायों को अपनाना ही धनतेरस का प्रयोजन है।


IBPS RRB PO Prelims Score Card 2025 Out:...
EMRS Cut Off 2025: देखें एक्सपेक्टेड और ...
EMRS Answer Key 2025: चेक करें आधिकारिक ...


