अफ्रीका के ‘गांधी’ कहे जाने वाले नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela) की आज जयंती है. नेल्सन शांति के दूत के रूप में जाने जाते हैं. रंग भेद के खिलाफ लड़ाई में नेल्सन मंडेला के योगदान को कोई भुला नहीं सकता. नेल्सन मंडेला को कई लोग “दक्षिण अफ्रीका के पिता” मानते हैं. मंडेला एक रंगभेद-विरोधी कार्यकर्ता थे, जिसका अर्थ है कि उन्होंने उन लोगों के लिए लड़ाई लड़ी, जो नस्लीय अलगाव की प्रणाली से वंचित थे. रंगभेद नस्लीय असमानता की एक प्रणाली थी जो सभी जातियों को एक दूसरे से अलग रखती थी. 1994 में, सभी दक्षिण अफ्रीकी लोगों की स्वतंत्रता और समानता की बातचीत में मंडेला का महत्वपूर्ण महत्व था.
रोलीहलहला मंडेला का जन्म पूर्वी केप में म्वेज़ो गाँव में, 18 जुलाई 1918 को मदीबा कबीले में हुआ था. उनकी माँ नोनकापी नोसेनकी थीं और उनके पिता नकोसी म्फ़ानकानिस्वा गडला मंडेला थे. उन्होंने Qunu में प्राथमिक विद्यालय में भाग लिया जहाँ उनकी शिक्षक, मिस मिडिंगेन ने उन्हें सभी स्कूली बच्चों को “ईसाई” नाम देने के रिवाज के अनुसार नेल्सन नाम दिया.
महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की तरह अंहिसा के रास्ते पर चलने वाले मंडेला ने रंग भेद के खिलाफ लड़ते हुए 27 साल जेल में काटे थे.
1948 में एनपी (नेशनल पार्टी) द्वारा दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की शुरुआत की गई थी, जो एक सर्व-श्वेत सरकार थी. यह एक कठोर प्रणाली थी जिसने गैर-गोरे लोगों को बहुत कम अवसर दिए और उनके बुनियादी मानवाधिकार जैसे शिक्षा, आंदोलन की स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय के अधिकार को छीन लिया.
नवंबर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान को देखते हुए उनके सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस’ (Nelson Mandela Day) घोषित किया था और तब से ही हर साल उनके जन्मदिन के दिन ‘मंडेला दिवस’ मनाया जाता है. मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ में गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा और उनकी तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी के यहां हुआ था. वे अपनी मां नोसकेनी की प्रथम और पिता की सभी संतानों में 13 भाइयों में तीसरे थे. मंडेला के पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे. स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे, जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला.
महात्मा गांधी की अहिंसा और असहयोग की विचारधारा ने मंडेला पर काफी असर डाला था. वह अपने जीवन में गांधी के विचारों के प्रभाव की बात किया करते थे. 2007 में नई दिल्ली में हुए सम्मेलन में अपने विडियो संदेश में मंडेला ने कहा था, “दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण बदलाव में गांधी की विचारधारा का योगदान छोटा नहीं है. उनके सिद्धांतों के बल पर ही दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की घृणित नीति के कारण जो समाज में गहरा भेदभाव था वह खत्म हो सका.”
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