भारत की जनसंख्या 1.46 अरब के पार: संयुक्त राष्ट्र की बड़ी रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने “The Real Fertility Crisis” शीर्षक से जारी विश्व जनसंख्या स्थिति रिपोर्ट 2025 में बताया है कि भारत की जनसंख्या 1.4639 अरब तक पहुंच गई है। इसके साथ ही भारत, चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है।
रिपोर्ट में एक और बड़ा खुलासा यह है कि भारत की कुल प्रजनन दर (TFR) अब 1.9 जन्म प्रति महिला रह गई है, जो कि स्थायी जनसंख्या संतुलन के लिए ज़रूरी 2.1 प्रतिस्थापन दर से कम है।
जनसंख्या संरचना में ऐतिहासिक बदलाव
भारत की जनसंख्या में हो रहे बड़े डेमोग्राफिक शिफ्ट का संकेत रिपोर्ट में दिया गया है। अब देश की 68% आबादी कार्यशील आयु वर्ग (15-64 वर्ष) में है, जो इसे दुनिया की सबसे बड़ी वर्कफोर्स में बदल रही है।
आयु वर्ग | जनसंख्या प्रतिशत |
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0-14 वर्ष | 24% |
10-19 वर्ष | 17% |
10-24 वर्ष | 26% |
15-64 वर्ष | 68% |
65+ वर्ष | 7% |
प्रजनन दर में गिरावट: क्या चिंता की बात है?
भारत की प्रजनन दर 1.9 तक गिर चुकी है, जोकि पिछले कुछ दशकों में भारी सामाजिक बदलावों का परिणाम है। 1960 में प्रति महिला 6 बच्चे होते थे, वहीं 2025 में यह संख्या 2 से भी कम रह गई है।
यह बदलाव कई कारणों से संभव हुआ:
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महिला शिक्षा और सशक्तिकरण में वृद्धि
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गर्भनिरोधक साधनों की बेहतर उपलब्धता
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शहरीकरण और आर्थिक दबाव
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परिवार नियोजन की बढ़ती स्वीकार्यता
बुज़ुर्गों की बढ़ती आबादी और जीवन प्रत्याशा
रिपोर्ट में बताया गया कि अब भारत में 65+ वर्ष की उम्र के लोग कुल जनसंख्या का 7% हो चुके हैं। इसके साथ ही जीवन प्रत्याशा में भी सुधार हुआ है:
लिंग | जीवन प्रत्याशा (2025) |
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पुरुष | 71 वर्ष |
महिला | 74 वर्ष |
यह दर्शाता है कि भारत एक Ageing Nation की ओर बढ़ रहा है, जहां भविष्य में स्वास्थ्य और पेंशन जैसी नीतियों की अहम भूमिका होगी।
चुनौतियाँ अभी भी शेष
रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि भले ही भारत ने प्रजनन स्वास्थ्य और जनसंख्या नियंत्रण में प्रगति की हो, लेकिन अभी भी कई असमानताएं मौजूद हैं:
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गरीब और अमीर के बीच स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में अंतर
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शहरी बनाम ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी
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कुछ राज्यों में अभी भी उच्च प्रजनन दर
UNFPA की भारत प्रमुख एंड्रिया एम. वोज्नर ने कहा:
“भारत ने उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन असली सफलता तब होगी जब हर व्यक्ति अपने प्रजनन अधिकारों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से कर सके।”
भारत का वैश्विक रोल: प्रजनन अधिकार बनाम जनसंख्या नियंत्रण
UN की रिपोर्ट भारत के लिए एक अवसर के रूप में भी देखी जा रही है। यदि भारत यह दिखा पाए कि कैसे प्रजनन अधिकारों को बनाए रखते हुए आर्थिक प्रगति की जा सकती है, तो यह वैश्विक नीति निर्माण में मिसाल बनेगा।
भारत की जनसंख्या रिपोर्ट 2025: निष्कर्ष
भारत अब जनसंख्या की दृष्टि से न केवल एक वैश्विक शक्ति है, बल्कि जनसंख्या नीति, महिला सशक्तिकरण और प्रजनन अधिकारों के क्षेत्र में विश्व को दिशा देने की स्थिति में भी है। UNFPA की रिपोर्ट न केवल भारत के जनसांख्यिकीय बदलाव को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि अब हमें जनसंख्या को ‘नंबर’ की तरह नहीं बल्कि संभावनाओं और अधिकारों के नजरिए से देखना चाहिए।