List of High Courts in India 2023 in Hindi | Total High Courts in India
आज हम आपके लिए लेकर आये हैं -भारत के उच्च न्यायालयों की सूची यानी List of High Courts in India 2021 in Hindi. इससे आपको इस बात की जानकारी मिलेगी कि भारत में कितने उच्च न्यायालय हैं और इनकी स्थापना कब हुई? आपके लिए सामान्य जानकारी के साथ साथ यह किसी भी परीक्षा के GA सेक्शन का प्रश्न भी हो सकता है. तो चलिए , पढ़ते हैं विस्तार से –
भारतीय संविधान के भाग छः में अनुच्छेद 214 से 231 तक उच्च न्यायालयों के गठन, न्यायिक क्षेत्र, शक्तियों आदि के बारे में बताया गया है। सातवें संविधान संशोधन अधिनियम, 1966 (अनुच्छेद 231) में संसद को यह अधिकार दिया गयाहै कि वह दो या दो से अधिक प्रदेशों के लिए एक साझा उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट ) की स्थापना कर सकती है।
1862 में कलकत्ता, बंबई तथा मद्रास उच्च न्यायलयों की स्थापना के साथ भारत में न्यायिक संस्थाओं का गठन शुरू हुआ।
भारत का सबसे पुराना उच्च न्यायालय – कलकत्ता हाई कोर्ट है जिसकी स्थापना 1862 में हुई थी।
आंध्र प्रदेश के अमरावती में स्थित आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट देश का सबसे नया तथा 25वां उच्च न्यायालय है।
वर्तमान में भारत में 25 उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट ) हैं जिनकी सूची निम्नलिखित है-
High Courts in India Overview 2023 : List of High Courts in India 2023
– How many High Courts in India 2021?
न्यायालय |
स्थापना |
न्याय क्षेत्र |
स्थान |
सीट |
इलाहाबाद उच्च न्यायालय |
1866 |
उत्तर प्रदेश |
इलाहाबाद |
लखनऊ |
हैदराबाद उच्च न्यायालय |
1954 |
आंध्र प्रदेश, |
हैदराबाद |
|
मुंबई उच्च न्यायालय |
1862 |
महाराष्ट्र, गोवा, दादरा और नगर-हवेली, दमन और दीव |
मुंबई |
नागपुर, पणजी, औरंगाबाद |
कलकत्ता |
1862 |
पश्चिम बंगाल, अंडमान और |
कलकत्ता |
पोर्ट ब्लेयर (क्षेत्र मंच) |
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय |
2000 |
छत्तीसगढ़ |
बिलासपुर |
|
दिल्ली उच्च न्यायालय |
1966 |
राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश (दिल्ली) |
नई दिल्ली |
|
गुवाहाटी उच्च न्यायालय |
1948 |
अरुणाचल प्रदेश, आसाम, नागालैण्ड, मिजोरम |
गुवाहाटी |
कोहिमा, ऐझॉल |
गुजरात उच्च न्यायालय |
1960 |
गुजरात |
अहमदाबाद |
|
हिमाचल |
1971 |
हिमाचल प्रदेश |
शिमला |
|
जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय |
1943 |
जम्मू और कश्मीर |
श्रीनगर तथा |
|
झारखण्ड उच्च न्यायालय |
2000 |
झारखंड |
रांची |
|
कर्नाटक उच्च न्यायालय |
1884 |
कर्नाटक |
बंगलुरु |
हुबली-धारवाड व गुलबर्गा |
केरल उच्च न्यायालय |
1956 |
केरल, लक्षद्वीप |
कोच्चि |
|
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय |
1936 |
मध्य प्रदेश |
जबलपुर |
ग्वालियर, इन्दौर |
मद्रास उच्च न्यायालय |
1862 |
तमिलनाडु, पुडुचेरी |
चेन्नई |
मदुरै |
उड़ीसा उच्च न्यायालय |
1948 |
ओडिशा |
कटक |
|
पटना उच्च न्यायालय |
1916 |
बिहार |
पटना |
|
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय |
1947 |
पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ |
चंडीगढ़ |
|
राजस्थान उच्च न्यायालय |
1949 |
राजस्थान |
जोधपुर |
जयपुर |
सिक्किम उच्च न्यायालय |
1975 |
सिक्किम |
गंगटोक |
|
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय |
2000 |
उत्तराखण्ड |
नैनीताल |
|
मणिपुर उच्च न्यायालय |
2013 |
मणिपुर |
इम्फाल |
|
मेघालय उच्च न्यायालय |
2013 |
मेघालय |
शिलांग |
|
त्रिपुरा उच्च न्यायालय |
2013 |
त्रिपुरा |
अगरतला |
|
आंध्र प्रदेश उच्च |
2019 |
आंध्रप्रदेश |
अमरावती |
न्यायाधीशों की नियुक्ति- Appointment of the Judges
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश और संबंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श के बाद की जाती है। उच्च न्यायालयों के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह के बाद की जाती है।
संबंधित राज्य के राज्यपाल के द्वारा न्यायाधीश को शपथ दिलाई जाती है।
न्यायाधीशों का कार्यकाल- Qualifications for the Judges
15वें संविधान संशोधन, 1963 के अनुसार कोई न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु पूरा होने तक अपने पद पर कार्य करता रहता है हालाँकि वह अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले भी राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देकर अपने पद से मुक्त हो सकता है।
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न्यायाधीशों को हटाना-Removal of the Judges
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को राष्ट्रपति के आदेश पर पद से हटाया जा सकता है। राष्ट्रपति ऐसा सिर्फ तब कर सकता है जब न्यायाधीश को हटाने का आदेश संसद द्वारा उसी सत्र में पारित किया गया हो। इस प्रस्ताव को विशेष बहुमत अर्थात दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन के बाद ही संसद में पारित किया जा सकता है।
किसी भी न्यायाधीश को हटाने के दो कारण हो सकते हैं-
1. सिद्ध कदाचार
2. अक्षमता
न्यायाधीश जांच अधिनियम, 1968 के अनुसार, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के अनुसार ही महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है। इसी के साथ राष्ट्रपति को भी महाभियोग के द्वारा हटाया जाता है।
नोट- अभी तक उच्च न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश को महाभियोग की प्रक्रिया के द्वारा हटाया नहीं गया है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन-Salary of High Court Judge
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of a High Court) को 2,80,000/- प्रति माह तथा अन्य न्यायाधीशों को 2,50,00/- प्रति माह वेतन के रूप में दिया जाता है।
उच्च न्यायालय का न्याय क्षेत्र तथा शक्तियाँ-Powers and Functions of High Court
वर्तमान में उच्च न्यायालय को निम्नलिखित न्यायिक क्षेत्र तथा शक्तियाँ प्राप्त हैं-
- प्रारंभिक क्षेत्राधिकार
- न्यायादेश (रिट) क्षेत्राधिकार
- अपीलीय क्षेत्राधिकार
- पर्यवेक्षक क्षेत्राधिकार
- अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण
- अभिलेख का न्यायालय
1. प्रारंभिक क्षेत्राधिकार- इसका अर्थ है कि उच्च न्यायालय को कुछ मामलों में बिना किसी अपील के भी सीधे सुनवाई का अधिकार है।
2. न्यायादेश (रिट) क्षेत्राधिकार- अनुच्छेद 226 के अनुसार, जब किसी व्यक्ति के मूल अधिकारों का हनन होता है तो वह सीधे उच्च न्यायालय में जा सकता है। उच्च न्यायालय की यह शक्ति उच्चतम न्यायालय के समान है। हालांकि उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र सिर्फ संबंधित राज्य है जबकि उच्चतम न्यायालय का अधिकार क्षेत्र अधिक विस्तारित है क्योंकि इसमें देश के किसी भी हिस्से से पीड़ित व्यक्ति न्याय के लिए जा सकता है। उच्च न्यायालय निम्नलिखित रिट जारी कर सकता है- बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, उत्प्रेशण, प्रतिबंध तथा अधिकार प्रेच्छा।
3. अपीलीय क्षेत्राधिकार- इसका अर्थ है कि उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र के तहत आने वाले अधीनस्थ न्यायालयों के आदेशों के खिलाफ सुनवाई होती है।
4. पर्यवेक्षक क्षेत्राधिकार- उच्च न्यायालय को अधिकार है कि वह अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले सभी न्यायालयों के कार्यों पर नज़र रखे।
5. अधीनस्थ न्यायालयों पर नियंत्रण- इसके तहत जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति, स्थातांतरण, तैनाती, पदोन्नति आदि का कार्य उच्च न्यायालय देखता है।
6. अभिलेख का न्यायालय- इसके अनुसार, उच्च न्यायालय को किसी मामले में अपने पूर्व निर्णय को बदलने या उसमें सुधार का अधिकार है।