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National Doctor’s Day 2020: जानें 1 जुलाई को क्यों मनाया जाता है नैशनल डॉक्टर्स डे, थीम, शुरुआत और कौन थे डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय

National Doctor's Day 2020


Why India celebrates National Doctor’s Day on July 1

 एक ओर जहां पूरा देश कोरोना महामारी (COVID-19) से जूझ रहा है, तो ऐसे में इससे अच्छा समय और कोई नहीं होगा जब हम अपने देश में ‘national doctor’ को याद करें, और भारत में मेडिकल क्षेत्र में उनके योगदान, मेहनत और सफलता को याद करें. आज कोरोना के संकट में केवल डॉक्टर्स ही अपनी जान जोखिम में डालते हुए हम सभी को अपनी जान बचाने के लिए अपनी ड्यूटी में दिन-रात लगे हैं और साथ-साथ जागरूकता भी फैला रहे हैं. 
भारत में हर साल 1 जुलाई National Doctor’s Day यानि राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है। यह दिन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) डॉक्टरों और चिकित्सकों द्वारा किए गए अमूल्य कार्यों को सम्मानित करने और उनकी समर्पित सेवा के लिए उन्हें धन्यवाद देने के लिए हर साल मनाया जाता है. 
नेशनल डॉक्टर डे या राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस 2020 की थीम (Theme of National Doctor’s Day 2020 )
चिकित्सक दिवस 2020 की थीम “Lessen the mortality of COVID 19” है और स्पर्शोन्मुख (asymptomatic) हाइपोक्सिया और प्रारंभिक एग्रेसिव चिकित्सा के बारे में जागरूकता बढ़ना शामिल है।

 नेशनल डॉक्टर डे मनाने की शुरुआत कब से की गयी –
भारत में इसकी शुरुआत 1991 में तत्कालिक सरकार द्वारा की गई थी, तभी से हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. यह दिन भारत के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री को सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मनाया जाता है.
कौन थे डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय-
डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना जिले में हुआ था।.डॉ. राय ने कोलकाता में अपनी मेडिकल की शिक्षा पूरी करने के बाद एमआरसीपी और एफआरसीएस की उपाधि लंदन से प्राप्त की। जिसके बाद साल 1911 में भारत में उन्होंने अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत की। इसके बाद वो कोलकाता मेडिकल कॉलेज में व्याख्याता बने। वहां से वे कैंपबैल मेडिकल स्कूल और फिर कारमिकेल मेडिकल कॉलेज गए। 
इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखते हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य का पद चुना। हालांकि बाद में उन्होंने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का पद भी संभाला। डॉ. राय को बाद में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए उन्हें पं. बंगाल राज्य का आर्किटेक्ट भी कहा जाता था। 80 वर्ष की आयु में साल 1962 में अपने जन्मदिन के दिन 1 जुलाई को उनकी मृत्यु हो गई। 
डॉक्टर्स की अहमियत को समझाते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने भी एक वीडियो ट्वीट किया। इसके साथ उन्होंने लिखा कि भारत डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ को सलाम करता है जो कोरोना से जंग में सबसे आगे हैं।