मलेरिया के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए प्रतिवर्ष विश्व मलेरिया दिवस(World Malaria Day) 25 अप्रैल को मनाया जाता है. मलेरिया मच्छर के काटने से फैलता है. इस बिमारी से पीड़ित व्यक्ति का अगर सही समय में उचित इलाज न हो तो, मरीज की जान तक जा सकती है. इसी लिए इसके प्रति जागरूकता बहुत आवश्यक है. 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस के रूप में मनाने का फैसला मई 2007 में 60वें विश्व स्वास्थ्य सभा के सत्र के दौरान लिया गया था. जिसके बाद 25 अप्रैल इसकी वजह से हर साल लाखों लोगों की जान जाती है.
विश्व मलेरिया दिवस 2020 थीम
प्रत्येक वर्ष WHO इस दिन को मनाने के लिए एक विषय चुनता है. वर्ष 2020 का विषय (theme) – “Zero malaria starts with me” है. इस वर्ष दुनिया COVID-19 से भी जूझ रही है और इसलिए WHO ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर “Malaria & COVID-19” पर एक segment भी रखा है- World Malaria Day पर आधिकारिक WHO Page पर जाने के लिए यहां क्लिक करें
क्या है मलेरिया ?
परजीवी प्लाजमोडियम से फैलने वाले रोग को मलेरिया कहा जाता है. जिसका वाहक मादा एनाफिलीज मच्छर होता है. संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से यह रोग फैलता है. 10-12 दिनो के बाद उस व्यक्ति में मलेरिया रोग के लक्षण प्रकट हो जाते हैं.
मलेरिया के लक्षण – ठंड देकर बुखार आना, सिददर्द होना, उल्टी हो भी सकती है और नहीं भी, कमर में दर्द होना, कमजोरी लगना.
भारत में मलेरिया की रोकथाम
स्वतंत्रता के समय भारत में मलेरिया खतरनाक महामारियों में से एक थी. आजादी के बाद वर्ष 1953 में मलेरिया पर रोकथाम के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम( NMCP) की शुरुआत के साथ ही DDT का छिड़काव शुरू किया था. इसके बाद वर्ष 1958 में भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के अनुरोध पर राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम(NMEP) शुरू किया, इसके बाद इस योजना को एक नै योजना मोडिफ़ाइड प्लान ऑफ़ ऑपरेशन (MPO) रूप में आगे बढ़ाया गया. भारत में मलेरिया के सबसे अधिक मामले आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और राजस्थान राज्यों से आते हैं, इसीलिए सितम्बर, 1997 में सरकार ने विश्व बैंक की मदद से परिष्कृत मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम भी शुरू किया. पूर्वी राज्यों में जो सबसे अधिक प्रभावित है, वहां जागरूकता फ़ैलाने के लिए मलेरिया विरोधी महीना की शुरुआत की गई.