BJP’s Shivraj Singh Chouhan was sworn in as chief minister of Madhya Pradesh
मध्यप्रदेश में सियासी घमासान के बाद शिवराज सिंग चौहान ने 23 मार्च देर रात 9 बजे CM पद की शपथ ली. शिवराज सिंग चौहान MP में चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं. पहली बार उन्होंने 29 नवंबर 2005 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. 12 दिसंबर 2008 वह दूसरी बार और 8 दिसंबर 2013 को तीसरी बार CM बने थे.
क्या था मध्यप्रदेश में सियासी घमासान
इससे पहले प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार थी. पिछले एक साल से ये अटकलें लगाई जा रहीं थी कि हो सकता है कमलनाथ सरकार गिर जाये. पिछले कुछ महीनों से कांग्रेस के अन्दर ही घमासान मचा हुआ था और अंत में 6 मंत्रियों समेत 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया. स्पीकर ने मंत्रियों के इस्तीफे को मंजूरी भी दे दी. जिसके बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई.
इसके बाद फ्लोर टेस्ट होना था, पर सदन स्थगित कर दिया गया. जिससे मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई और सुप्रीम कोर्ट से जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश कमलनाथ सरकार को दिया. आदेश के बाद 16 विधायकों का भी इस्तीफा मंजूर कर लिया गया. इन इस्तीफों के बाद और Floor Test से पहले ही कमलनाथ ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
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मध्यप्रदेश विधानसभा का क्या है पूरा गणित
इस्तीफे के बाद कांग्रेस के 92 विधायकों और 7 अन्य विधायकों के साथ कमलनाथ सरकार के पास कुल 99 विधायक हैं, वहीँ भाजपा के पास 107 विधायक हैं. मौजूदा समय में सदन में कुल सस्दास्यों की संख्या 206 है और बहुमत के लिए 104 विधायकों की जरुरत थी. इसीलिए राज्य में भाजपा सरकार बनाने में सफल रही.
अब 6 महीनों के भीतर 24 सीटों में उपचुनाव कराये जायेगे. जिनमें से 22 सीटें इस्तीफा देने की वजह से खाली हुई हैं और वहीँ 2 सीट विधायकों के निधन से खाली हुई हैं. राज्य में भाजपा सरकार बनाये रखने के लिए कम से कम 9 सीटें भाजपा को जितनी होंगी. मध्यप्रदेश विधानसभा की कुल 231 सीटें हैं, जिसमें 1 मनोनीत सदस्य भी होता है, इस तरह से बहुमत के लिए 116 विधायकों की जरुरत होती हैं.
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