राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा की गई राष्ट्रपति शासन की सिफारिश पर मुहर लगा दी है। अब महाराष्ट्र में 12 नवंबर 2019 को राष्ट्रपति शासन यानी अनुच्छेद 356 लागू कर दिया गया है। इससे पहले पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए लगाया गया है, हालांकि, अगर इस अवधि के दौरान कोई भी पार्टी बहुमत साबित करती है, तो सरकार बनाई जा सकती है।
राष्ट्रपति शासन से जुड़े, संविधान के अनुच्छेद 356 में प्रावधान दिए गए हैं। आर्टिकल 356 के मुताबिक राष्ट्रपति किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं यदि वे इस बात से संतुष्ट हों कि राज्य सरकार संविधान के विभिन्न प्रावधानों के मुताबिक काम नहीं कर रही है। महाराष्ट्र के इतिहास में यह तीसरा मौका है, जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा है। राज्य में सबसे पहले साल 1980 में राष्ट्रपति शासन लगा था। वहीं इसके 34 साल बाद यानी 2014 में दूसरी बार महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।
महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन
2019 महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव 21 अक्टूबर 2019 को राज्य के विधान सभा के सभी 288 सदस्यों के लिए आयोजित किये गये थे। परिणामस्वरूप, बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत हासिल किया। चुनाव आयोग के अनुसार, भाजपा ने क्रमशः 105 सीटें, शिवसेना (56) सीटें, कांग्रेस (44) सीटें, और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (54) सीटें हासिल कीं। नागपुर दक्षिण पश्चिम से देवेंद्र फड़नवीस (भाजपा), वर्ली से आदित्य ठाकरे (शिवसेना), भोकर से अशोक चव्हाण (कांग्रेस), कराड दक्षिण से पृथ्वीराज चव्हाण (कांग्रेस) कुछ प्रमुख उम्मीदवार थे जिन्होंने चुनाव जीता।
मुख्यमंत्री पद को लेकर हंगामा:
भाजपा और शिवसेना के चुनाव पूर्व गठबंधन ने 288 सदस्यीय सदन में संयुक्त रूप से 161 सीटें हासिल की। संख्या बहुमत के लिए निर्धारित आंकड़े को साबित करने के लिए आवश्यक 145 सीटों की सीमा से ऊपर थी। लेकिन, बाद में, वार्ता भाग (negotiations part) के दौरान, मुख्यमंत्री पद ने 2 प्रमुख दलों के बीच बात नहीं बन सकी और इस गहन शक्ति झगड़े ने भगवा सहयोगियों को अलग कर दिया और परिणामस्वरूप सरकार के गठन में देरी हुई।
पिछले हफ्ते, महाराष्ट्र के राज्यपाल बी एस कोशियारी ने आवश्यक संख्या में सीटों की कमी के कारण भाजपा पार्टी की सरकार बनाने में असमर्थता जताई। बाद में दूसरी सबसे सफल पार्टी, यानी शिवसेना आवश्यक बहुमत साबित करने के लिए अन्य राजनीतिक दलों से समर्थन के आवश्यक पत्र प्रस्तुत करने में विफल रही।
परिणामस्वरूप, राज्यपाल के कार्यालय ने कहा कि सरकार को संविधान के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, और संविधान के अनुच्छेद 356 के प्रावधान के अनुसार, एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। उपरोक्त के बाद, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्य में संविधान के अनुच्छेद 356 को लागू करने वाले राज्यपाल की रिपोर्ट पर राष्ट्रपति शासन की भी सिफारिश की।
याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बिंदु:
- 1951 में पंजाब राज्य में भारत में पहली बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।
- महाराष्ट्र में पहली बार 1980 में और दूसरी बार 2014 में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।
- वर्तमान में, महाराष्ट्र एकमात्र भारतीय राज्य है जहाँ राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।
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