स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर सन 1888 में हुआ था। उनका असल नाम अबुल कलाम गुलाम मोहिउद्दीन अहमद था लेकिन वह मौलाना आजाद के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्हीं को सम्मानित करने के लिए हर साल 11 नवंबर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की वैधानिक शुरुआत 2008 को हुई जब मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने घोषणा की कि “मंत्रालय ने उनके द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए योगदान को चिन्हित करने के लिए उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया हैं” । उन्हें हमारे देश के पहले शिक्षा मंत्री होने के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद् और लेखक के रुप में जाना जाता है।
भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में, उन्होंने 1947 से 1958 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में देश की सेवा की । 22 फरवरी 1958 को दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।
उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया, तथा वे अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओ में से थे। खिलाफत आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
स्वतंत्रता संग्राम के समय वो ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे, और राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे कम उम्र में अध्यक्ष बनने वाले व्यक्ति थे जिन्हें 35 वर्ष की उम्र में दिल्ली में हुए कांग्रेस के विशेष अधिवेशन (1923) में पार्टी का सबसे युवा अध्यक्ष चुना गया था। वे 1940 और 1945 के बीच कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की स्थापना की थी। उनका मुख्य उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा को बढ़ाना और मुफ्त शिक्षा प्रदान करना था। 1992 में उन्हें भारत रत्न से भी नवाजा गया था। भारत की आजादी के बाद मौलाना अबुल कलाम ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC की स्थापना की थी।