- आरबीआई का कहना है कि इससे नरेंद्र मोदी सरकार को राजकोषीय घाटा बढ़ाए बिना सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद मिलेगी।
- आरबीआई के 84 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है। इस फैसले से सरकार को सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में तेजी लाने में मदद मिलेगी।
- इस हस्तांतरण में 2018-19 के लिए 1,23,414 करोड़ रुपए का अधिशेष और 52,637 करोड़ रुपए अतिरिक्त प्रावधान के रूप में चिन्हित किया गया है।
RBI का सरप्लस या अधिशेष क्या होता है- यह वो राशि होती है, जिसे RBI सरकार को ट्रांसफर करता है. RBI अपनी जरूरतें पूरी करने के बाद जो सरप्लस बचता है उसे सरकार को ट्रांसफर करना होता है. वित्त वर्ष 2017-2018 में आरबीआई के खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा 14,200 करोड़ रुपये का था, जो उसने कंटिंजेंसी फंड से किया था. जितना बड़ा हिस्सा कंटिंजेंसी फंड (CF) में जाएगा, सरप्लस उतना घटेगा.
आरबीआई 2013-14 के बाद से अपनी डिस्पोजेबल इनकम (खर्च करने लायक फंड) का 99% सरकार को देता आ रहा है। जहां तक डिविडेंड का सवाल है तो 2018-19 के लिए 1,23,414 करोड़ रुपये में से 28,000 करोड़ रुपये मार्च में ही अंतरिम डिविडेंड के तौर पर सरकार को दिए जा चुके हैं। मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान सरकार को 95,414 करोड़ रुपये डिविडेंड मिलना तय है। यह 1.76 लाख करोड़ के सरप्लस फंड के अलावा होगा।