भारत में रामसर साइट्स की सूची 2025 (List of Ramsar Sites in India in Hindi)
रामसर कन्वेंशन, जिसे 1971 में ईरान के रामसर शहर में अपनाया गया था, का उद्देश्य विश्वभर में वेटलैंड्स (आर्द्रभूमियों) का संरक्षण और उनका सतत उपयोग सुनिश्चित करना है। भारत ने इस संधि पर 1 फरवरी 1982 को हस्ताक्षर किए थे और तब से अब तक देश में 89 रामसर साइट्स को मान्यता दी जा चुकी है, जो एशिया में सबसे अधिक हैं।
भारत में रामसर साइट्स की प्रमुख विशेषताएं:
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कुल रामसर स्थल (2025 तक): 89
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कवर क्षेत्रफल: लगभग 13.6 लाख हेक्टेयर
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सर्वाधिक साइट्स वाला राज्य: तमिलनाडु (20 स्थल)
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सबसे बड़ा स्थल: सुंदरबन, पश्चिम बंगाल (4,23,000 हेक्टेयर)
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सबसे छोटा स्थल: रेणुका वेटलैंड, हिमाचल प्रदेश (20 हेक्टेयर)
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नवीनतम जोड़े गए स्थल (2025):
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सक्कराकोट्टई पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
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थेरथंगल पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)
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खेचियोपलरी वेटलैंड (सिक्किम)
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उधवा झील (झारखंड)
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राज्यवार रामसर साइट्स की सूची (State-wise Ramsar Sites in India 2025):
राज्य | कुल स्थल |
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तमिलनाडु | 20 |
उत्तर प्रदेश | 10 |
ओडिशा | 6 |
कर्नाटक | 5 |
पश्चिम बंगाल | 3 |
मध्य प्रदेश | 4 |
पंजाब | 6 |
जम्मू और कश्मीर | 4 |
केरल | 3 |
राजस्थान | 2 |
बिहार | 1 |
सिक्किम | 1 |
झारखंड | 1 |
असम, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल, महाराष्ट्र, मणिपुर, त्रिपुरा आदि | शेष |
भारत के प्रमुख रामसर स्थलों का संक्षिप्त विवरण:
1. सुंदरबन (पश्चिम बंगाल)
दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव जंगल, बाघों और अन्य वन्यजीवों का निवास।
2. चिल्का झील (ओडिशा)
भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की लैगून, डॉल्फिन और प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध।
3. केओलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान)
230 से अधिक पक्षी प्रजातियों का घर, विश्व धरोहर स्थल।
4. लोकटक झील (मणिपुर)
दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान – कीबुल लामजाओ, मांट्रॉ रिकॉर्ड में सूचीबद्ध।
5. रेणुका वेटलैंड (हिमाचल प्रदेश)
भारत का सबसे छोटा रामसर स्थल, सांस्कृतिक व पारिस्थितिक महत्व के साथ।
रामसर स्थलों का महत्व:
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जैव विविधता और प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण।
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जल शुद्धिकरण, बाढ़ नियंत्रण, और भूमिगत जल पुनर्भरण में योगदान।
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कार्बन अवशोषण से जलवायु परिवर्तन में कमी।
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स्थानीय आजीविका और इको-टूरिज्म का स्रोत।
चुनौतियां और संरक्षण प्रयास:
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शहरीकरण, प्रदूषण, अतिक्रमण और जलवायु परिवर्तन से खतरे।
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Wetlands (Conservation and Management) Rules, 2017 लागू किए गए हैं, परंतु सभी प्रकार की आर्द्रभूमियों को इसमें शामिल नहीं किया गया है।