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List of Ramsar Sites in India: राजस्थान के दो नए वेटलैंड्स बने रामसर साइट, भारत की सूची में अब 91 स्थल

वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे से पहले भारत को मिला गौरव, राजस्थान के दो वेटलैंड्स बने रामसर साइट

विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की पूर्व संध्या पर भारत ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम उठाया है। राजस्थान के खीचन (फलौदी) और मेनार (उदयपुर) वेटलैंड्स को रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स (Ramsar Sites) के रूप में मान्यता दी गई है।

इन दो स्थलों के जुड़ने के साथ ही भारत में अब कुल 91 रामसर साइट्स हो चुकी हैं। यह भारत की स्थायी विकास, जैव विविधता संरक्षण, और जल संसाधन प्रबंधन के प्रति गहराते संकल्प को दर्शाता है।

विश्व पर्यावरण दिवस 2025: प्रकृति की रक्षा में भारत की नई पहलें और वैश्विक प्रयास

कौन से हैं ये दो नए वेटलैंड्स?

खीचन – फलौदी, राजस्थान

खीचन क्षेत्र प्रवासी पक्षियों, विशेषकर डेमोज़ेल क्रेन के लिए प्रसिद्ध है। यह वेटलैंड न केवल पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग है, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी को भी संतुलित रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

List of Ramsar Sites in India: राजस्थान के दो नए वेटलैंड्स बने रामसर साइट, भारत की सूची में अब 91 स्थल | Latest Hindi Banking jobs_3.1  मेनार – उदयपुर, राजस्थान

मेनार झील क्षेत्र में सैकड़ों देशी और विदेशी पक्षियों का वास होता है। यह क्षेत्र एक लोकप्रिय बर्ड वॉचिंग डेस्टिनेशन के रूप में उभर चुका है और अब अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने से पर्यटन और संरक्षण को नई दिशा मिलेगी।

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भारत अब 91 रामसर साइट्स के साथ दुनिया के अग्रणी वेटलैंड संरक्षक देशों में शामिल हो गया है। यह उपलब्धि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के पर्यावरण-अनुकूल और सतत विकास के दृष्टिकोण को मजबूत करती है।

रामसर साइट्स क्या हैं?

रामसर साइट्स वे आर्द्रभूमियाँ (Wetlands) हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय महत्व की श्रेणी में रखा गया है। ये स्थल रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत घोषित किए जाते हैं, जो आर्द्रभूमियों के संरक्षण और उनके सतत उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि है।

रामसर कन्वेंशन क्या है?

  • रामसर कन्वेंशन की शुरुआत 1971 में ईरान के शहर रामसर में हुई थी, इसलिए इसे रामसर संधि कहा जाता है।

  • यह संधि 1975 में लागू हुई थी।

  • इसका मुख्य उद्देश्य है – जल, भूमि और जैव विविधता की रक्षा के लिए आर्द्रभूमियों का संरक्षण और उनका सतत उपयोग (Wise Use) सुनिश्चित करना।

रामसर साइट बनने की शर्तें क्या हैं?

किसी आर्द्रभूमि को रामसर साइट घोषित करने के लिए उसमें निम्न में से कम से कम एक मापदंड पूरा होना चाहिए:

  • किसी दुर्लभ या संकटग्रस्त जीव/पौधे प्रजाति का आवास होना।

  • बड़ी संख्या में जलपक्षियों या मछलियों का समर्थन करना।

  • कोई विशिष्ट या दुर्लभ आर्द्रभूमि प्रकार को दर्शाना।

  • प्रवास, प्रजनन या जीवन चक्र के अन्य महत्वपूर्ण चरणों के दौरान प्रजातियों को सहारा देना।

रामसर साइट्स क्यों महत्वपूर्ण हैं?

  • जैव विविधता संरक्षण: ये स्थल कई संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए जीवनदायिनी हैं।

  • जल प्रबंधन: प्राकृतिक जल फिल्टर और बाढ़ नियंत्रण तंत्र के रूप में कार्य करते हैं।

  • जलवायु नियंत्रण: ये कार्बन का भंडारण करते हैं और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

  • आजीविका स्रोत: मछली पकड़ने, खेती और इको-पर्यटन से जुड़े लाखों लोगों की आजीविका इनसे जुड़ी होती है।

भारत में रामसर साइट्स की सूची 2025 (List of Ramsar Sites in India in Hindi)

रामसर कन्वेंशन, जिसे 1971 में ईरान के रामसर शहर में अपनाया गया था, का उद्देश्य विश्वभर में वेटलैंड्स (आर्द्रभूमियों) का संरक्षण और उनका सतत उपयोग सुनिश्चित करना है। भारत ने इस संधि पर 1 फरवरी 1982 को हस्ताक्षर किए थे और तब से अब तक देश में 91 रामसर साइट्स को मान्यता दी जा चुकी है, जो एशिया में सबसे अधिक हैं।

 

भारत में रामसर साइट्स की प्रमुख विशेषताएं:

  • कुल रामसर स्थल (2025 तक): 91

  • कवर क्षेत्रफल: लगभग 13.6 लाख हेक्टेयर

  • सर्वाधिक साइट्स वाला राज्य: तमिलनाडु (20 स्थल)

  • सबसे बड़ा स्थल: सुंदरबन, पश्चिम बंगाल (4,23,000 हेक्टेयर)

  • सबसे छोटा स्थल: रेणुका वेटलैंड, हिमाचल प्रदेश (20 हेक्टेयर)

  • नवीनतम जोड़े गए स्थल (2025):

    • सक्कराकोट्टई पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)

    • थेरथंगल पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)

    • खेचियोपलरी वेटलैंड (सिक्किम)

    • उधवा झील (झारखंड)

राज्यवार रामसर साइट्स की सूची (State-wise Ramsar Sites in India 2025):

राज्य कुल स्थल
तमिलनाडु 20
उत्तर प्रदेश 10
ओडिशा 6
कर्नाटक 5
पश्चिम बंगाल 3
मध्य प्रदेश 4
पंजाब 6
जम्मू और कश्मीर 4
केरल 3
राजस्थान 4
बिहार 1
सिक्किम 1
झारखंड 1
असम, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल, महाराष्ट्र, मणिपुर, त्रिपुरा आदि शेष

 

भारत के प्रमुख रामसर स्थलों का संक्षिप्त विवरण:

1. सुंदरबन (पश्चिम बंगाल)

दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव जंगल, बाघों और अन्य वन्यजीवों का निवास।

2. चिल्का झील (ओडिशा)

भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की लैगून, डॉल्फिन और प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध।

3. केओलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान)

230 से अधिक पक्षी प्रजातियों का घर, विश्व धरोहर स्थल।

4. लोकटक झील (मणिपुर)

दुनिया का एकमात्र तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान – कीबुल लामजाओ, मांट्रॉ रिकॉर्ड में सूचीबद्ध।

5. रेणुका वेटलैंड (हिमाचल प्रदेश)

भारत का सबसे छोटा रामसर स्थल, सांस्कृतिक व पारिस्थितिक महत्व के साथ।

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FAQs

भारत में कुल कितनी रामसर साइट्स हैं?

फरवरी 2025 तक भारत में कुल 89 रामसर साइट्स हैं, जो देश की आर्द्रभूमियों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारत की पहली रामसर साइट कौन सी थी?

चिल्का झील (Chilika Lake), ओडिशा और केवला देव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park), राजस्थान को 1981 में भारत की पहली रामसर साइट्स के रूप में मान्यता दी गई थी।

सबसे बड़ी और सबसे छोटी रामसर साइट कौन सी है?

सबसे बड़ी: सुंदरबन (West Bengal) – 4,23,000 हेक्टेयर। सबसे छोटी: रेणुका वेटलैंड (Himachal Pradesh) – 20 हेक्टेयर।

हाल ही में जोड़ी गई नई रामसर साइट्स कौन सी हैं?

2 फरवरी 2025 को चार नई साइट्स जोड़ी गईं: सक्कराकोट्टई पक्षी अभयारण्य, तमिलनाडु थेरथंगल पक्षी अभयारण्य, तमिलनाडु खेचेओपालरी वेटलैंड, सिक्किम उधवा झील, झारखंड

रामसर साइट्स क्यों महत्वपूर्ण हैं?

ये जैव विविधता को संरक्षण प्रदान करती हैं, जल शुद्धिकरण, बाढ़ नियंत्रण, और स्थानीय आजीविका में योगदान देती हैं। कई साइट्स प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण पड़ाव होती हैं।

किस राज्य में सबसे अधिक रामसर साइट्स हैं?

उत्तर: तमिलनाडु में सबसे अधिक 20 रामसर साइट्स हैं।

क्या भारत में कोई रामसर साइट्स "Montreux Record" में सूचीबद्ध हैं?

हां, लोकटक झील (मणिपुर) वर्तमान में Montreux Record में है। चिल्का झील (ओडिशा) पहले इसमें थी लेकिन बाद में हटाई गई.

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