PM Modi’s 5 ideas on how Covid-19 will redefine businesses and work culture
COVID-19 महामारी ने देशभर में संकट पैदा कर दिया है। आम लोगों की दिनचर्या को बदल कर रख दिया है. ऐसे में देशवासियों, युवाओं और व्यवसायियों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लिंक्डइन पर कुछ विचार साझा किए हैं।
घर ने लिया कार्यालय का रूप –
मोदी ने कहा कि मैं भी स्वयं को इन बदलावों के अनुकूल ढाल रहा हूं। ज्यादातर बैठकें, चाहें वे मंत्रिमंडलीय सहयोगियों, अधिकारियों और विश्व नेताओं के साथ ही क्यों न हों, अब वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ही हो रही हैं। हमारे फिल्मी सितारों के कुछ रचनात्मक वीडियो आए हैं, जिनमें घर में रहने के बारे में उपयुक्त संदेश दिया गया है। हमारे गायकों ने एक ऑनलाइन कॉन्सर्ट शुरु किया है। शतरंज के खिलाडि़यों ने डिजिटली शतरंज खेला है और उसके माध्यम से कोविड-19 के खिलाफ जंग में अपना योगदान दिया है। काफी अभिनव है!
सबसे पहले कार्यस्थल डिजिटल होता जा रहा है। और हो भी क्यों न?
भारत के पास संभवत: विश्व की सबसे विशालतम अवसंरचना है। इस अवसंरचना ने कोविड-19 की परिस्थिति के दौरान धन को गरीबों और जरूरतमंदों तक सीधे हस्तांतरित कर करोड़ों परिवारों को लाभ पहुंचाने में हमारी अपार सहायता की है।
इसी संबंध में एक अन्य बिंदु शिक्षा क्षेत्र है। अनेक उत्कृष्ट व्यवसायी इस क्षेत्र में पहले से नवाचारों में संलग्न हैं। इस क्षेत्र में उत्साहजनकप्रौद्योगिकी के अपने लाभ हैं। भारत सरकार ने शिक्षकों की मदद करने और ई-लर्निंग को प्रोत्साहन देने के लिए दीक्षा पोर्टल जैसे प्रयास भी किए हैं। यहां स्वयं है, जिसका लक्ष्य शिक्षा की पहुंच, इक्विटी और गुणवत्ता में सुधार लाना है। अनेक भाषाओं में उपलब्ध ई-पाठशाला विविध ई-पुस्तकों और ऐसी ही शिक्षण सामग्री तक पहुंच बनाने में सक्षम बनाती है।
आज, विश्व नए बिज़नेस मॉडल्स की तलाश में है। भारत अपने नवोन्मेषी उत्साह के लिए विख्यात एक युवा राष्ट्र है, जो नई कार्य संस्कृति प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
उन्होंने कहा कि मैं इस बात की परिकल्पना कर रहा हूं कि नए बिज़नेस और कार्य संस्कृति को निम्नलिखित Vowels (स्वरों)के आधार पर नए सिरे से परिभाषित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने अंग्रेजी भाषा के vowels के आधार पर यह 5 विचार रखे हैं, जो COVID के बाद विश्व में किसी भी बिज़नेस मॉडल के लिए अनिवार्य घटक बन जाएंगे। (I call them- vowels of the new normal- because like vowels in the English language, these would become essential ingredients of any business model in the post-COVID world, PM added.)
1. अनुकूलनशीलता (Adaptability):
आज जरूरत इस बात की है कि ऐसे कोरोबार और जीवनशैली के मॉडल्स के बारे में सोचा जाए, जो आसानी से सुलभ हों।
ऐसा करने का आशय यह होगा कि संकट काल में भी हमारे कार्यालय, कारोबार, व्यापार किसी प्रकार के जानी नुकसान के बिना त्वरित गति से बढ़ सकेंगे।
डिजिटल भुगतान को अपनाना इस अनुकूलनशीलता का प्रमुख उदाहरण है। बड़ी और छोटी दुकानों के मालिकों को डिजिटल साधनों में निवेश करना चाहिए, जो विशेष संकटकाल में व्यापार को जोड़े रखते हैं।भारत पहले ही डिजिटल लेन-देन में उत्साहजनक वृद्धि का गवाह बन रहा है।
कुशलता(Efficiency) :
शायद, अब समय आ गया है, जब हम इस बारे में फिर से सोच विचार करें कि कुशल होने से हमारा आशय क्या है। कुशलता केवल कार्यालय में बिताया जाने वाला समय नहीं हो सकती।
हमें शायद ऐसे मॉडल्स के बारे में सोचना होगा, जहां उत्पादकता और कुशलता उपस्थिति के प्रयास से ज्यादा मायने रखती है। कार्य को निर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर पूरा करने पर बल दिया जाना चाहिए।
समावेशिता (Inclusivity) :
आइए हम ऐसे बिज़नेस मॉडल्स विकसित करें, जो गरीबों, सबसे कमजोर लोगों और साथ ही साथ हमारे ग्रह की देखरेख को प्रमुखता देते हों।
हमने जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। प्रकृति मां ने यह दर्शाते हुए हमारे समक्ष अपनी भव्यता प्रदर्शित की है, कि जब मानवीय गतिविधि की रफ्तार धीमी हो, तो वह कितनी तेजी से फल-फूल सकती है। भविष्य में हमारे ग्रह पर कम प्रभाव छोड़ने वाली प्रौद्योगिकियों और पद्धतियों को विकसित करना महत्वपूर्ण होगा। थोड़े साधनों के साथ ज्यादा कार्य कीजिए।
कोविड-19 ने हमें यह अहसास कराया है कि स्वास्थ्य समाधानों पर कम लागत पर और बड़े पैमाने पर कार्य करने की आवश्यकता है। हम मानव के स्वास्थ्य एवं कल्याण को सुनिश्चित करने के वैश्विक प्रयासों के लिए मार्गदर्शक बन सकते हैं।
हमें किसी भी तरह के हालात में हमारे किसानों की सूचना,मशीनरी और मंडियों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए नवाचारों पर निवेश करना चाहिए, ताकि हमारे नागरिकों की आवश्यक वस्तुओं तक पहुंच संभव हो सके।
अवसर (Opportunity) :
हर संकट अपने साथ एक अवसर लाता है। कोविड-19 भी अपवाद नहीं है। आइए हम इस बात का आकलन करें कि अब किस तरह के नए अवसर/विकास के क्षेत्र उभर सकते हैं।
कोविड-पश्चात विश्व में अनुसरण की बजाए, भारत को मौजूदा परिपाटियों से आगे बढ़ना चाहिए। आइए हम इस बात पर विचार करें कि ऐसा करने में हमारी जनता, हमारे कौशल, हमारी मूल क्षमताओं का किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है।
सार्वभौमवाद (Universalism) :
कोविड-19 वार करने से पहले जाति, धर्म, रंग, संप्रदाय, भाषा या सीमा को नहीं देखता। इस संकट के बाद हमारी प्रतिक्रिया और आचरण एकता और भाईचारे को प्रमुखता देने वाला होना चाहिए। इस घड़ी में हम सब एक हैं। भारत के अगले प्रमुख विचारों की विश्व में प्रासंगिकता और उनका इस्तेमाल होना चाहिए। उनमें केवल भारत में नहीं, बल्कि समूची मानवता के लिए सकारात्मक बदलाव आने की योग्यता होनी चाहिए।
भारत, कोविड-19 पश्चात के विश्व में फिजिकल और वर्चुअल के सही मिश्रण के साथ जटिल आधुनिक बहुराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं के वैश्विक केंद्रों के रूप में उभर सकता है। आइए हम इस अवसर के लिए उठ खड़े हों और इस अवसर का लाभ उठाएं।
मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि इस बारे में सोच-विचार करें और इस संवाद में योगदान दें।
बीवाईओडी से डब्ल्यूएफएच में बदलाव हमारे समक्ष आधिकारिक और वैयक्तिक के बीच संतुलन कायम करने की नई चुनौतियां लाया है। चाहे कुछ भी हो, फिटनेस और व्यायाम के लिए जरूर समय निकालें। अपनी शारीरिक और मानसिक तंदुरूस्ती को बेहतर बनाने के साधन के तौर पर योग का भी अभ्यास करें।
भारत की पारम्परिक चिकित्सा प्रणालियां शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विख्यात हैं। आयुष मंत्रालय स्वस्थ रहने में सहायक प्रोटोकॉल लाया है। इन पर भी गौर कीजिए।
यह एक अत्याधुनिक एप है, जो कोविड-19 को फैलने से रोकने में मदद करने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करता है। इसे जितना ज्यादा डाउनलोड किया जाएगा, उतनी ही इसकी कार्यकुशलता बढ़ेगी।
आप सभी के जवाब का इंतजार रहेगा।”