Happy Basant Panchmi!!!
बसंत पंचमी वह त्योहार है जो सर्दियों के मौसम के अंत में आता है, चारों ओर उज्ज्वल रंगों के साथ बसंत का स्वागत किया जा रहा है, यह मौसम जब शीतलता और सर्दियां जा रही हैं तो ऐसा लग रहा है कि न सिर्फ मनुष्य इस पर्व को मना रहे हैं, बल्कि प्रकृति भी उज्ज्वल फूलों और तपती धूप के साथ पूरे जोरों से उत्सव की मनोदशा में है.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ मास में शुक्ल पक्ष की बसंत पंचमी के दिन मनाया जाता है. इस साल देशभर में बसंत पंचमी का त्योहार 22 जनवरी 2018 को मनाया जा रहा है.
यह भारत के अन्य भागों में सरस्वती पूजा के रूप में भी मनाया जाता है.
एक उम्मीदवार के लिए, यह सबसे महत्वपूर्ण समय है जब हम पूरे वर्ष की प्रतियोगिता के लिए तैयारी शुरू करते हैं. आप सभी जानते हैं कि यह हमारा ज्ञान ही है जो हमें प्रेरणा देता है और प्रगतिशील दुनिया में हमें आगे ले जाता है. इस दिन, अभ्यर्थियों देवी सरस्वती से प्रार्थना करते हैं कि- ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा करते हैं.
देवी का दिव्य अनुग्रह तुम्हारे साथ हो,
देवी सरस्वती आशा और शांति की रोशनी है,
देवी सरस्वती ज्ञान और बुद्धि के साथ आपको आशीर्वाद दें,
आपके लिए बसंत पंचमी मंगलमय हो!
वसंत पंचमी से सम्बंधित एक लघु कथा इस प्रकार है: बसंत पचमी के एतिहासिक महत्व को लेकर मान्यता है कि सृष्टि रचियता ब्रह्मा ने जीवों और मनुष्यों की रचना की थी. इसके बाद भी ब्रह्मा जी संतुष्ट नहीं थे. तब ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु से अनुमति लेकर अपने कमंडल से जल पृथ्वी पर छिड़का. कमंडल से धरती पर गिरने वाली बूंदों से एक प्राकट्य हुआ. यह प्राकट्य चार भुजाओं वाली सुंदर देवी का था. इस देवी के एक हाथ में वीणा तो दूसरा हाथ वर मुद्रा में था। बाकी अन्य हाथ में पुस्तक और माला थी. ब्रह्मा ने उस स्त्री से वीणा बजाने का अनुरोध किया. जैसी ही देवी के वीणा बजाने से संसार के सभी जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हुई थी। उस देवी को सरस्वती कहा गया. इस देवी ने जीवों को वाणी के साथ-साथ विद्या और बुद्धि भी दी। इसलिए बसंत पंचमी के दिन हर घर में सरस्वती की पूजा भी की जाती है. दूसरे शब्दों में बसंत पचमी का दूसरा नाम सरस्वती पूजा भी है. मां सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी माना गया है.
हम आशा करते हैं कि मां सरस्वती सभी उम्मीदवारों पर अपनी ज्ञान वर्षा करें!!!
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