स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है’ …हम सभी की लाइफ में ऐसे कई मौके आते हैं कि हम उन्हें खो देते हैं, या हम उन मौकों पर अच्छा प्रदर्शन करने से चूक जाते हैं. इसके बाद हम अपने लक्ष्य के प्रति उतने उत्साहित नहीं होते जितने कि इसे पाने के लिए अपने पहले प्रयास में थे.
आपके आसपास के लोग कई बाते कहते होंगे, आपसे अपनी तैयारी को छोड़ कोई नौकरी या कुछ और काम करने को कहते होंगे. आप उनकी ओर ध्यान न दें, क्योंकि आपको आगे निकलना है, आपको अपना लक्ष्य पता है. कई बार आपको भी उनकी बात सही लगती होगी. आपको यह जानना होगा कि प्रतियोगी परीक्षाओं को पार पाने की इस दौड़ में रहने से यह संभव है कि हमें सफलता मिलेगी ही, लेकिन इससे बाहर होने का परिणाम असफलता ही है. लेकिन एक या दो बार असफल होने से हम हार मान लें, यह सही नहीं है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितनी बार प्रयास कर चुके हैं, फर्क केवल इस बात पर पड़ता है कि हम आशावादी बने रहें.
यदि आप असफल हो जाते हैं, तो कभी हार न मानें क्योंकि F.A.I.L का अर्थ है, ‘First Attempt In Learning’.
किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आये – आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
किसी के पास अन्यों से अधिक समय या अधिक संसाधन नहीं होते. हम सभी के पास जो भी है, सभी कुछ समान है. हम सभी को केवल अपने अपने स्तर पर मेहनत करनी होती है. समस्याएं हर किसी के साथ होती हैं, बस उन पर काबू पाना हमें आना चाहिए.
सभी कुछ एक प्रयास में असफल होने के बाद छोड़ दिया गया होता, तो अब तक कोई आविष्कार ही नहीं हुआ होता. वैज्ञानिकों ने जितने प्रयास किये उनसे हमेशा कुछ न कुछ पाया है, आपको भी सफलता के लिए प्रयास करने होंगे. और फिर आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता.