Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation (DICGC)
RBI के दिशानिर्देशों के अनुसार commercial banks और cooperative banks में साथ सभी ग्राहकों की जमा राशि का बीमा, जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (DICGC) के तहत किया जाता है. केवल Primary Cooperative Societies DICGC के अधीन नहीं हैं. इसका मतलब यह है कि अगर किसी बैंक के पास पैसा ख़त्म हो जाए या दिवालिया हो जाएगा तो ग्राहक के 5 लाख रुपये तक का बीमा हो जाएगा, अर्थात इतना रूपया उन्हें मिल ही जायेगा.
example:
अगर आपके पास किसी बैंक में 5000 जमा है और भविष्य में वह बैंक दिवालिया हो जाता है तो आपको DICGC की ओर से 5000 दिए जाएंगे.
अगर आपके पास किसी बैंक खाते में 6 लाख जमा है और भविष्य में वह बैंक दिवालिया हो जाता है तो आपको DICGC की ओर से 5 लाख दिए जाएंगे क्योंकि यह अधिकतम सीमा है.
अब जब आप समझ गए हैं कि DICGC कैसे काम करती है तो आइए इसके इतिहास पर एक नज़र डालते हैं
History – इतिहास
DICGC की स्थापना 15 जुलाई 1978 को हुई थी. यह 1948 में बंगाल में बैंकिंग संकट के बाद पहली बार बैंकों के पास रखे गए जमा बीमा की अवधारणा पर ध्यान गया. 1949 में यह पुनर्विचार के लिए फिर से सुर्खियों में आया था. 1950 में ग्रामीण बैंकिंग जाँच समिति ने भी इस अवधारणा का समर्थन किया. यह palai central bank ltd. की दुर्घटना के बाद हुआ था. इस गंभीर विचार को भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार ने 1960 में दिया था.
21 अगस्त, 1961 को संसद में जमा बीमा निगम (DIC) विधेयक पेश किया गया था. संसद द्वारा इसे पारित किए जाने के बाद, विधेयक को 7 दिसंबर, 1961 को राष्ट्रपति की सहमति मिली और 1 जनवरी, 1962 को जमा बीमा अधिनियम, 1961 लागू हुआ
योजना के कामकाज को शुरू में विस्तारित किया गया था, न केवल commercial banks भारतीय स्टेट बैंक और इसकी सहायक कंपनियों, अन्य commercial banks और भारत में सक्रिय विदेशी बैंकों की शाखाओं को भी शामिल किया था.
Functions Of DICGC
- इसका प्राथमिक कार्य सभी बैंकों में जमा धन का बीमा प्रदान करना है.
- यह सभी प्रकार के सेविंग डिपॉजिट, फिक्स्ड डिपॉजिट, आवर्ती जमा के लिए एक बैंक में प्रत्येक अलग जमा के लिए अधिकतम 5 लाख तक की बीमा सुविधा प्रदान करता है.
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) के पास जमा भी DICGC द्वारा कवर किए गए हैं.
- सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक(Scheduled commercial Banks) और सहकारी बैंक(Cooperative Banks) DICGC के अंतर्गत आते हैं.
- भारत में चलने वाले विदेशी बैंकों के बीमा को भी शामिल किया गया है.
- यह भारतीय बैंकों के बीमा को भी कवर करता है जो भारत के बाहर काम कर रहा है.
- प्राथमिक कृषि साख समिति, मेघालय, चंडीगढ़, लक्षद्वीप और दादरा और नगर हवेली के सहकारी बैंक कुछ अपवाद हैं जो DICGC द्वारा कवर नहीं किए गए हैं.
Types of Deposit covered under DICGC – जमा राशि के प्रकार
- बचत बैंक जमा
- सावधि जमा
- आवर्ती जमा
- इसमें कुछ अपवाद भी शामिल हैं
- यह विदेशी सरकारों के लिए जमा स्वीकार नहीं करेगा
- इस अधिनियम के तहत भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा जमा भी स्वीकार नहीं किया गया