आज कल की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम रिश्ते का महत्त्व भी भूल जाते हैं ऐसे में कुछ त्यौहार हमें उन रिश्तों की अहमियत समझाते हैं, उन्हीं त्योहारों में से एक भाई दूज है, जिसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार इस संसार में मौजूद भाई-बहन रूपी सबसे सुन्दर रिश्ते का महत्त्व समझाता है।
भाई-बहन के पवित्र रिश्तों का प्रतीक, यह पर्व भारत भर के लोग बड़े हर्ष- उल्लास के साथ मनाते हैं। इस पर्व पर बहनें अपने भाई की दीर्घायु व सुख समृद्धि की कामना करती हैं, वहीं भाई भी शगुन के रूप में अपनी बहन को कुछ उपहार के रूप में देता है। यह त्यौहार भाई-बहन के अनूठे प्रेम को प्रदर्शित करता है। यह उन भाई बहनों के लिए बहुत ख़ास होता है, जो अब दूर रहते हैं। इस त्यौहार के बहाने भाई-बहन से मिलने के लिए या बहन भाई से मिलने पहुँच जाती है। यही हमारे देश की संस्कृति की ख़ासियत है कि हम अपने रिश्तों को महत्त्व देते हैं और जब भी समय होता है अपने परिवार के साथ वक्त बिताते हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य पुत्री यमुना ने अपने भाई यमराज को अपने घर पर आमंत्रित किया था पर व्यस्तता की वजह से वह अपनी बहन के यहाँ नहीं जा पाते थे। कहते हैं कि कार्तिक शुक्ल की द्वितीया को यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए और उनका सत्कार ग्रहण किया और भोजन भी किया। बहन के सत्कार से खुश हो कर यमराज ने बहन को वर दिया कि जो भी इस दिन यमुना में स्नान करके बहन के घर जायेगा और श्रद्धापूर्वक उसका सत्कार ग्रहण करेगा, उसे व उसकी बहन को यम का भय नहीं होगा। तभी से इस पर्व को यम द्वितीया के नाम से मनाया जा रहा है। इस दिन बहने भाई को टीका लगाती हैं जिसके चलते इसे भातृ द्वितीया या भाई दूज भी कहा जाता है।


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