प्रिय पाठकों,
Adda247 और इसकी इकाई Bankersadda, SSCadda, Ctetadda की ओर से आप सभी को फसल के त्यौहार वैशाखी की बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनायें. यह प्रसन्नता और उल्लास का पर्व है. यह सिख मत का सबसे प्रमुख एवं महत्वपूर्ण पर्व है. इसी दिन से सिख मत का नव वर्ष भी शुरू होता है, इसीलिए सिख पंथ में इसे बेहद ख़ुशी, उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है. वैशाखी या बैशाखी प्रतिवर्ष 13 अप्रैल या 14 अप्रैल को मनाया जाता है. वास्तव में ये पर्व पूरे भारत वर्ष में मनाया जाता है क्योंकि यह फसल और प्रकृति से जुड़ा त्यौहार है.
सिर्फ सिख पंथ के लिए बल्कि हिंदुओं समेत पूरे देश के लिए बैसाखी का विशेष महत्व है, क्योंकि यह फसल के मौसम की शुरुआत करता है, और इसे पवित्र स्नान एवं पूजा के साथ मनाया जाता है. पश्चिम बंगाल में, इसी दिन से बंगाली नव वर्ष प्रारंभ होता है और इसे पहला बैशाख के रूप में मनाया जाता है, असम में बिहू, और तमिलनाडु में पुथांडू के नाम से यह पर्व मनाया जाता है. इस दिन लोग जुलूस, उत्सव, संगीत और नृत्य के आयोजन से पर्व को उत्साहमय बनाते हैं.
कहावत के अनुसार, सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविन्द सिंह ने इसी दिन खालसा पंथ की स्थापना करके अपने अनुयायियों को एक विशिष्ट पहचान दी थी और उन्हें एक योद्धा के रूप में परिवर्तित किया था जो धर्म और देश की रक्षा के लिए संघर्ष करते थे. इस पवित्र अवसर पर हमारे महान पूर्वजों से सीख लेते हुए प्रत्येक उम्मीदवार को यह संकल्प करना चाहिए कि वह भी एक योद्धा बनेगा जो सभी मुश्किलों, कठिनाइयों, सुख-दुःख को झेलते हुए अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए और अपने सुनहरे करियर के लिए स्वयं को समर्पित करेगा. जी हाँ, अपने लिए इस दिन को नयी शुरुआत बनायें. यह मात्र एक उत्सव या पर्व नहीं है,इसे अपने लिए एक नया वर्ष एक नयी शुरुआत बनायें जहाँ आप अपनी पुरानी गलतियों और अनुभवों से सबक लेते हुए अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग कर एक बेहतर भविष्य के लिए दृढ़संकल्पित होकर स्वयं को नयी दिशा में आगे बढ़ाएं.
ब्रहमांड की सारी शक्ति पहले से हम में निहित है, वह हम ही हैं जो अपनी आंखे मूँद कर कठिनाईयों एवं अपनी कमजोरियों को नज़रअंदाज करते हैं.
इस नववर्ष पर, एक बार पुनः उठें और अपने अंदर नयी ऊर्जा का अनुभव करें. साथ ही अपनी मुश्किलों एवं कमजोरियों को स्वीकार करें, तभी आप इनसे उबर सकते हैं.
बहुत बहुत शुभकामनाएँ !!