Basics of Money Market and Capital Market: Banking Awareness Special Series
हम सभी जानते है कि SBI CBO, IBPS SO और IBPS RRB PO मेंस सहित कई अन्य बैंकिंग परीक्षाओं के रिजल्ट जारी हो चुके हैं और अब इनका अगला चरण साक्षात्कार (Interview) होगा. बैंकिंग सेक्टर से जुड़ी सभी परीक्षाओं के साक्षात्कार में अधिकांश सवाल बैंकिंग अवेयरनेस यानि बैंकिंग से जुड़ी हाल ही घटनाओं से पूछे जाते है, ऐसे में उम्मीदवारों के लिए जरुरी है कि वे हाल के Important Banking Event के बारे में अपडेट रहे और इंटरव्यू में पूछे गए सवालों का Confident के जवाब दें. Candidates की इसी बात को समझते हुए Adda247 की टीम ने आपके लिए तैयार की है SBI और IBPS इंटरव्यू 2021 के लिए बैंकिंग अवेयरनेस स्पेशल सीरीज़.
इस सीरीज़ में, हम रोज़ाना (daily basis) आपके लिए कुछ महत्वपूर्ण बैंकिंग अवेयरनेस टॉपिक्स लेकर आएंगे, इसी कड़ी में आज की हमारी इस सीरीज़ का टॉपिक- मुद्रा बाजार तथा पूँजी बाजार के बेसिक्स (Basics of Money Market and Capital Market) है. मुद्रा बाजार तथा पूँजी बाजार आर्थिक क्षेत्र के पिलर हैं और यदि आप किसी Goverment Bank Job में जाना चाहते है तो ये बहुत ही जरुरी हो जाता है कि आपको इनकी अच्छी Knowledge हो. इस आर्टिकल में आगे मुद्रा बाजार तथा पूँजी बाजार (Basics of Money Market and Capital Market) से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी यानी बेसिक फैक्ट्स दिए जा रहे हैं.
मुद्रा बाजार तथा पूँजी बाजार (Money Market and Capital Market)
Money Market ( मुद्रा बाजार) :
Money market अर्थात मुद्रा बाजार में सरकार, बैंक, निगम या अन्य वित्तीय संस्थान आपस में पैसों का लेन देन करते हैं। यह लेन देन अत्यंत कम समय समान्य रूप मे एक रात से एक साल से कम के लिए होता है। इसके द्वारा बाजार मे तरलता बनी रहती है।
इसके माध्यम से व्यवसायों और सरकारों को धन प्रदान किया जाता है। यह कम समय के लिए होने के कारण इसमे जोखिम नही होता है। जिन व्यवसायों के पास अधिक नकदी है, वे इसे उपयोग करने के लिए रख सकते हैं।
इसमें लेन-देन नकदी या मुद्रा में नहीं, बल्कि साख लेखों के रूप में होता है। विनिमय पत्र, प्रतिज्ञा पत्र, वाणिज्यिक पत्र, ट्रेजरी बिल आदि साख लेखों के उदाहरण हैं। इसमे प्रतिभूति का लेन देन होता है।
भारतीय मुद्रा बाजार की संरचना:
1) संगठित क्षेत्र (Organised Sector)
2) असंगठित क्षेत्र (Unorganised Sector)
Capital Market ( पूँजी बाजार) :
Capital Market ( पूँजी बाजार) मे सरकार, निगमों, बैंकों, वित्तीय संस्थानों और कंपनियों को लंबी अवधि के साथ-साथ कम समय के लिए भी धन प्राप्त करने के लिए बॉन्ड या शेयर जारी करते हैं।इसके अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति, विदेशी संस्थागत निवेशक (Foreign institutional investor),घरेलू संस्थागत निवेशक(Domestic Institutional Investor),हिंदू अविभाजित परिवार( HUF), म्युचुअल फंड आदि अल्पावधि या लंबी अवधि के लिए अपने पैसे का निवेश कर सकते हैं।
पूँजी बाजार की मदद से निवेशकों का पैसा संगठनों तक आता है, जिसे बाद में उन चीजों में लगाया जाता है, जो बाजार मे performance देता हों। आमतौर पर यह मार्केट लॉन्ग टर्म सिक्योरिटीज में ही ट्रेड करता है।
पूँजी बाजार दो प्रकार का होता है-
1.प्राथमिक पूंजी बाजार( Primary Market) : जब भी सूचीबद्ध कंपनी पहली बार प्राथमिक बाजार में निवेशकों को सीधे बॉन्ड या शेयर प्रदान करती है। इस प्रकार के पूंजी बाजार में बॉन्ड के माध्यम से कंपनियां, सरकारें और सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थान धन जुटाती हैं। प्राथमिक पूंजी बाजार में ऐसे निगम शामिल होते हैं जो प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के जरिए नए शेयरों की बिक्री से पैसे जुटाते हैं।
2. द्वितीयक पूँजी बाजार( Secondary Market) : प्राथमिक बाजार में बॉन्ड्स या शेयर्स के जारी होने के बाद इसे सेकेंडरी मार्केट में बेचा जाता है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE), बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE), न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और NASDAQ जैसे स्टॉक एक्सचेंज द्वितीयक पूंजी बाजारों के उदाहरण हैं।
इससे पहले कवर किये गये टॉपिक्स :
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