किसी भी देश की पहचान उसके भाषा और संस्कृति से होती है। भाषा उस देश के जीवन मूल्यों, संस्कारों और सोंच का परिचायक है। हमारे देश की भाषा मुख्य भाषा हिंदी हैं जिसमें हमारी पहचान छुपी हुयी है। हिंदी भाषा के रूप में सरल, सहज और वैज्ञानिक भाषा है, जिसे बोलने वालों की संख्या बहुत अधिक है। यह चीनी भाषा के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हिंदी भाषा हमारे देश के पारंपरिक ज्ञान, प्राचीन सभ्यता और नयेपन के बीच सेतु का काम करती है। हिंदी भाषा हमारे देश की राजभाषा है साथ ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित प्रदेशों की भी प्रमुख भाषा है। हमारे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल हिंदी को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है । हिंदी के महत्त्व को देखते हुए प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस बनाया जाता है। इस अवसर पर आप सभी को अनंत शुभकामनाएं।
हिंदी एक समर्थ भाषा है, यह भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहक है। इसीलिए हिंदी दिवस के अवसर पर विभिन्न शासकीय और अशासकीय कार्यालयों में, शिक्षण संस्थानों में संगोष्ठी या अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। कवि सम्मलेन, प्रतियोगिता आदि का आयोजन भी काफी अधिक किया जाता है। यह भाषा महज बोलने और पढ़ने तक सीमित नहीं है बल्कि यह विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भी एक विषय के रूप में जोड़ी गई है। बैंकिंग, एसएससी और अन्य सरकारी परीक्षाओं में भी हिंदी को जोड़ा जा रहा है, जिससे हिंदी भाषा क्षेत्र के लोग भी परीक्षा में हिंदी को विकल्प के रूप में चुन सकें। IBPS, SBI आदि विभिन्न परीक्षाओं में हिंदी भाषा में साक्षात्कार देने का विकल्प उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे हिंदी भाषा का विस्तार किया जा सके।
हिंदी दिवस इतिहास-
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा बैठक में एक मत से निर्णय लिया गया कि हिन्दी की खड़ी बोली भारत की राजभाषा होगी। इस निर्णय को प्रतिपादित करने के लिए साथ ही हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर सन 1953 में 14 सितंबर को ‘हिन्दी दिवस’ के रूप में स्वीकार्य किया गया। तभी से हिंदी दिवस मनाया जाता है। बीते कुछ वर्षों में हिंदी के प्रचार प्रसार को बढ़ावा देनें के लिए हिंदी दिवस का आयोजन भव्य रूप से किया जाने लगा है।
नेहरू जी का कथन-
13 सितम्बर, 1949 के दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा की बैठक में बहस के दौरान तीन प्रमुख बातें कही थीं-
“किसी विदेशी भाषा को अपनाने से कोई भी राष्ट्र महान् नहीं हो सकता।
कोई भी विदेशी भाषा देश के आम लोगों की भाषा नहीं हो सकती।”
भारत देश के हित में, भारत को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के हित, ऐसा राष्ट्र बनाने के हित में जो अपनी आत्मा, अपनी संस्कृति को पहचाने, जिसमें आत्मविश्वास हो, जो संसार के साथ कदम से कदम मिला कर चल साके, उसके लिए हमें हिन्दी को अपनाना चाहिए।
हिंदी भाषा की सामर्थ्य-
दुनिया में सभी जगह भारतीय लोग निवास कर रहें है, इसलिए हमारी भाषा संस्कृति का भी निरंतर विस्तार हो रहा है, आज हिंदी दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा में दूसरे नंबर में है, हिंदी के महत्त्व को स्वीकार करते हुए पूर्व अमरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था “हिन्दी सीखे बिना भविष्य में काम नहीं चलेगा”। यह बात हिंदी के बढ़ते स्वरूप को दर्शाती है। विश्व में भारत एक उभरता हुआ देश है जो सभी दिशओं में तेजी से प्रगति कर रहा है। देश के साथ देश की हिंदी भाषा का विस्तार होना बहुत आम बात है। अनेक शोधों से यह पता लगा कि संस्कृत और उससे सबसे अधिक नजदीक हिंदी भाषा दोनों हो वैज्ञानिक भाषाएँ हैं। जो आने वाले समय में तकनीकी के क्षेत्र में अद्भुत परिवर्तन ला सकती हैं। अमरीकी अन्तरिक्ष एजेंसी नासा का मानना है कि मशीन भाषा के रूप में संस्कृत सबसे व्यवस्थित भाषा है, जिससे अंतरिक्ष में सम्बन्ध स्थापित करना ज्यादा आसान है। संस्कृत के महत्त्व को देखते हुए आकेले जापान में सैकड़ों विद्यालय में संस्कृत पढाई जा रही है और संस्कृत के सबसे अधिक नजदीक होने की वजह से हिंदी का विस्तर भी होगा ही। हिंदी और संस्कृत को अलग कर के नहीं देखा जा सकता है।
इन्हें भी देखें :
- IBPS RRB PO/Clerk | हिंदी भाषा प्रश्नावलियां 2019
- आईबीपीएस आरआरबी परीक्षा 2019 : हिंदी भाषा मुफ्त प्रैक्टिस सेट
- आईबीपीएस आरआरबी परीक्षा 2019 : हिंदी भाषा के स्टडी नोट्स



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