हमारे सामने जब भी कोई समस्या आती है, तो हम उसका हल निकलने के स्थान पर यह सोचते हैं कि यह इसकी वजह कौन है?किसके कारण यह समस्या हुई ? हमारी समस्याओं को सुलझाने के लिए हमें केवल एकांत में बैठकर उसका हल निकालने की आवश्यकता होती है, न कि किसी और को उसे थोपने से यह हल होगी. समस्याओं का हल हमारे भीतर से निकलकर अता है, किसी अन्य के भीतर से नहीं !
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