COVID 19 के खतरे को देखते हुए भारत के सबसे पुराने राष्ट्रीय उद्यान, जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में जानवरों के लिए पहली Quarantine Facility शुरू की गई है. दुनिया भर में कोरोना वायरस का कहर है, हाल में ही अमेरिका में एक टाइगर में कोरोना वायरस का संक्रमण मिलने के बाद से ही NTCA ने देश के अभ्यारण्य, जंगल और चिड़ियाघरों को अलर्ट कर दिया था. अब जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में COVID-19 के लक्षणों वाले जानवरों के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं. पार्क के अन्दर 10 quarantine centres बनाये गए हैं. जहाँ उन जानवरों को रखा जायेगा, जिनमें कोरोना के लक्षण मिलेंगे. इसके साथ ही राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के क्षेत्रों में कैमरे लगाये गए हैं, जिससे जानवरों के सर्दी और खांसी के लक्षणों को रिकॉर्ड किया जा सके और आवश्यकता पड़ने पर उचित कार्यवाही की जा सके.
जिम कॉर्बेट के वन्यजीव चिकित्सा अधिकारी, डॉ. दुष्यंत ने कहा है कि इस वायरस की वजह से जानवरों को कम खतरा है, खासकर अभी तक जानवरों में कोरोना का मामला सिर्फ बाघों में पाया गया है. जो मानव आबादी से दूर रहते हैं. अगर यह लक्षण किसी ऐसे जानवर में पाए जाते जो मानव आबादी के पास रहते हैं तो सक्रमण की सम्भावना अधिक होती. बाघों और मनुष्यों के बीच सक्रमण को रोकने के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) ने हाल में ही कुछ निर्देश जारी किये हैं और कहा है कि बाघों और हाथियों के संपर्क में आने वाले सभी अधिकारियों का कोरोना टेस्ट किया जाना चाहिए.
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जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क( Jim corbett National Park) का इतिहास:
आजादी के बाद इस उद्यान का नाम रामगंगा पार्क(Ramganga park) रख दिया गया. इसके बाद 1955-1956 में इस जगह का नाम जिम कॉर्बेट के नाम पर ही जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क रख दिया गया. प्रोजेक्ट टाइगर पहल की शुरुआत करने वाला यह उद्यान था, जिसका क्षेत्रफल 520.82 वर्ग मील है.
इस पार्क में लगभग 600 रंग – बिरंगे पक्षियों की जातियाँ हैं साथ ही बाघ के साथ साँभर, पांडा, काकड़, शेर, हाथी, भालू, बाघ, सुअर, हिरन, चीतल, नीलगाय, घुरल आदि अन्य वन्य प्राणी भी मौजूद हैं. यहाँ पौधों की 488 प्रजातियाँ हैं.
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एडवर्ड जेम्स जिम कॉर्बेट(Edward James Jim Corbett) कौन थे?
लेकिन बाद में उनके विचारों में परिवर्तन आ गया. जंगली जानवरों के साथ लगातार हो रहे शोषण और अत्याचार की वजह से, इंसानों को बचाने के लिए बाघों को मरने वाले जिम कॉर्बेट, बाघों को इंसानों से बचाने लगे. अपने शिकार के दौरान उन्होंने पाया कि बहुत से जानवरों से में पहले से अनेक घाव हैं, जानवरों के शरीर में तीर और गोलियों के निशान मिले थे. तब उन्हें समझ आया कि ये जानवर घाव और जख्म के चलते आदमखोर हो जाते हैं. और आदमियों को देख कर चिढ़ जाते या घबरा जाते हैं और उनपर हमला कर देते हैं. जंगली जानवरों पर हो रहे अत्याचार को देखते हुए, उन्होंने हैली नेशनल पार्क की स्थापना की.
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