आज का युग वृहद् प्रतिस्पर्धा का युग है और हर छात्र को इस प्रतिस्पर्धा से दो-दो हाथ करने ही पढ़ते है और इससे उनके जीवन में विभिन्न परिस्थितयों की उत्पति होती है, हाल ही में NIACL की परीक्षा के परिणाम घोषित किये गए है और आगामी समय में भी विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम घोषित किये जायेंगे पर कोई भी परिणाम आपकी योग्यता को सिद्ध नहीं करता है… यह आपको हमेशा स्मरण रहना चाहिए……. जीवन निरंतर चलने का नाम है और किसी भी परिस्थिति में, हमें चलना ही पढता है. इसी प्रकार जीवन में हार-जीत लगी ही रहती है…. कभी तो हम जीवन में शीर्ष पर होते है और कभी निराशा की गहराइयों में डूब जाते है… पर इन सब के बीच हमे कभी हार नहीं माननी चाहिए…यदि हम हार मान लेंगे तो हम कभी जीतने के लिए प्रयास नहीं करेंगे और प्रयास न करना जीवंत होंते हुए भी मृत्यु के समान है…
जीवन में कभी हार मत मानो….
इन्ही परिस्थिति के लिए स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि… “आप जैसा विचार करेंगे वैसे आप स्वयं ही हो जायेंगे”… विवेकानंद जी की इन पंक्तियों में सत्य समाहित है यदि आप अपनी हार से निराश होंगे तो इससे आपके जीवन में अवसाद की उत्पति होगी और वह जीवन की सबसे भयानक स्थिति है…. इसलिए हमेशा अपने होसले को बुलंद रखे और जीवन में हर परिस्थिति के लिए तैयार रहे….. आवश्यक नहीं कि यदि आप किसी परीक्षा में असफल होते है तो यह अंत है… नहीं बिलकुल नहीं….. जब तक मनुष्य जीवित है तब तक उसका संघर्ष जारी रहता है. इसलिए हमेशा अपने जीवन में संघर्ष को जारी रखिये…. क्योकि संघर्ष करना ही जीवन का दूसरा नाम है…..
एक बार किसी ने स्वामी विवेकानंद जी से पूछा कि सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा क्या हो सकता है?….. तो स्वामी विवेकानंद जी ने उत्तर दिया कि सब कुछ देने से ज्यादा बुरा उस उम्मीद को खो देना होता है जिससे हम सब कुछ प्राप्त कर सकते है” इसलिए अपने जीवन से उस उम्मीद को कभी समाप्त मत होने दे….क्योकि संभव की सीमा जानने का केवल एक ही तरीका यह है कि असंभव से भी आगे निकल जाओ……
और उसके लिए BANKERSADDA आपके जीवन के संघर्ष में हमेशा आपके साथ है…..और आपकी सफलता प्राप्त करने की उम्मीद को हमेशा जीवित रखने का प्रयास करेंगें….
हमारी शुभकामनाएं और सहयोग हमेशा आपके साथ रहेगा……!!!