आज शक्ति के पर्व नवरात्रि प्रारंभ होने के साथ ही, पूरा भारत पर्व एवं त्यौहारों के मौसम में प्रवेश कर गया है. नवरात्रि, दुर्गापूजा, दशहरा और फिर उसके बाद दीपावली तक अब देश त्योहारी मूड में आनंद मनायेगा. नवरात्रि त्योहार हिंदू देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है. संस्कृत भाषा के शब्द नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ “नौ रातें” हैं. इन नौ रातों एवं दस दिनों तक, पूरे भारत में देवी के नौ रूपों या प्रकारों की पूजा-अर्चना की जाती है.
बसंत ऋतु और शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सौर प्रभावों के मद्देनजर महत्वपूर्ण पड़ाव माने जाते हैं. इन दो अवधियों को देवी मां दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर के रूप में लिया जाता है. नवरात्रि उत्सव शक्ति, सच्चाई और प्रेम का प्रतिनिधित्व करता है. देश के अनेक भागों में लोग इस दिन माँ दुर्गा का अपने घरों में स्वागत करते हैं और गरबा नृत्य के द्वारा इसका आनंद मनाते हैं. इस दौरान अपने दुर्गा पूजा उत्सव के लिए पश्चिम बंगाल भारत समेत पूरे विश्व में प्रसिद्ध है.
उत्तर भारतीय मान्यता के अनुसार नवरात्रि के साथ एक शक्तिशाली दानव महिषासुर के वध की कथा जुड़ी हुई है जिसने भगवान शिव की तपस्या करके अमरत्व की शक्ति प्राप्त कर ली थी. जल्द ही, उसने आम लोगों को सताना एवं उनकी हत्या शुरू कर दी तथा तीनों लोकों को जीतने का सपना देखने लगा. स्वर्गलोक के देवताओं ने इस दैत्य से बचने का उपाय निकालने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की. महिषासुर के अत्याचारों से इस विश्व की रक्षा के लिए ब्रम्हा, विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति ने अपनी संयुक्त शक्तियों के प्रयोग से एक पवित्र महिला योद्धा का निर्माण किया जिसे देवी दुर्गा के नाम से जाना गया. जब महिषासुर ने देवी दुर्गा की पवित्र सुन्दरता को देखा तो वह उन पर मोहित हो गया. वह उन से इतना सम्मोहित हुआ कि उनके पास विवाह के प्रस्ताव के साथ पहुँच गया.
देवी दुर्गा उससे विवाह के लिए राजी हों गईं लेकिन उन्होंने यह शर्त रखी कि महिषासुर को, देवी दुर्गा को युद्ध में हराना होगा. महिषासुर को खुद पर इतना अभिमान था कि वह युद्ध के लिए तुरंत तैयार हो गया. यह युद्ध लगातार 09 रातों तक चला और नौंवीं रात को देवी दुर्गा ने महिषासुर को मृत्युदंड की सजा देते हुए उसका सिर धड़ से अलग कर दिया. ये नौ रातें नवरात्रि के नाम से जानी जाती हैं, जबकि दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में जाना जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय लेकर आया था.
वर्तमान में भारत में महिला सशक्तिकरण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और उस पर बात करना बेहद मायने रखता है. हम भारतीय लोग अनेकों महिला देवियों की पूजा करते हैं लेकिन जब हमारे अपने समाज की महिलाओं की स्थिति की बात आती है तो हमारा मत अलग होता है. हम देवियों की पूजा करने को तो तैयार हैं किन्तु समाज में या कहीं भी उनकी सर्वोच्चता या उन्हें स्वयं से ऊपर देखने को तैयार नहीं हैं. एक महिला – माँ, बहन, पत्नी आदि का अवतार है. मानवता का विकास समाज में महिलाओं की स्थिति पर निर्भर करता है. नवरात्रि का यह पर्व एक महिला के प्रेम और उसकी शक्ति को चिन्हित करता है. वास्तव में महिलाएं किसी भी समाज का आधारस्तंभ हैं और यदि हम किसी समाज के आधारस्तंभ को हिलाते हैं या उसे नुक्सान पहुंचाते हैं तो उसका नुक्सान पूरे समाज को होगा और वह भरभरा कर गिर जाएगा या बिखर जाएगा. इस नवरात्रि में हम सभी को यह शपथ लेनी चाहिए कि हम महिलाओं को जब भी आवश्यकता पड़ेगी तो उनकी सहायता करेंगे और सभी महिलाओं का सम्मान करेंगे.
आप सभी को नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं