प्रिय पाठकों,
13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर में हुए भयानक जलियांवाला बाग हत्याकांड को 98 वर्ष बीत चुके हैं. जलियांवाला बाग हत्याकांड (जिसे अमृतसर हत्याकांड भी कहा जाता है) बेहद दुखद घटनाओं में से एक था, जो शायद हमारी यादों से कभी हट नही सकेगा.
1919 के अमृतसर हत्याकांड, उत्तरी भारतीय शहर अमृतसर में स्थित जलियांवाला बाग (बाग) के कारण जलियांवाला बाग हत्याकांड के रूप में भी जाना जाता है. यह हत्याकांड जनरल आर ई एच डायर के आदेश पर हुआ था. रविवार, 13 अप्रैल, 1919 को, पंजाब के सबसे बड़े धार्मिक त्योहारों में से एक ‘वैशाखी’ के अवसर पर, ब्रिगेडियर-जनरल रेजिनाल्ड डायर की कमान पर, पचास ब्रिटिश भारतीय सेना के सैनिकों ने निहत्थे पुरुषों, महिलाओं और बच्चों पर सामूहिक रूप से बिना किसी चेतावनी के गोलीबारी शुरू कर दी. डायर ने अपने 50 बंदूकधारियों को उस बाग़ के एकमात्र संकरे मार्ग के किनारे खड़ा कर दिया और उन्हें घुटने के बल बैठकर गोलियां चलाने का आदेश दिया. डायर ने अपने सैनिकों को बार-बार राइफल को लोड करके गोलियां बरसाने का आदेश दिया. अधिकारिक ब्रिटिश शासन के सूत्रों के अनुसार इस हत्याकांड में 379 लोगों ने अपने प्राण गंवाए और 1,100 लोग घायल हुए. सिविल सर्जन डॉ विलियम्स के के अनुसार ये संख्या 1,526 थी. यद्यपि, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अनुसार घायलों की संख्या 1,500 से अधिक एवं मरने वालों की संख्या 1,000 थी.
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