सुभाष चंद्र बोस भारत के सबसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक है. वह युवाओं के लिए एक प्रभावशाली व्यक्ति थे और जब भारत अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था, तब भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) की स्थापना और कमांडिंग के लिए उन्हें ‘नेताजी’ के रूप में भी जाण जाता था. उनके पास हमेशा से एक अलग विचारधारा थी और यही कारण था कि उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से हटा दिया गया था. उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान में नाजी शक्तियों और जापान में शाही सेनाओं से सहायता मांगी, ताकि भारत को अंग्रेजों से मुक्त बनाया जा सके.
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23, 1897 को उड़ीसा के कटक जिले में हुआ था. वह दर्शनशास्त्र के एक छात्र थे और उन्होंने 1922 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से बाहर होने के बाद स्वराज पार्टी की स्थापना की थी. उनकी देशभक्ति ने देश पर बहुत प्रभाव डाला था.आज भी जब देश के प्रति देशभक्ति दिखाने की बात आती है तो उनका नारा “जय हिंद” अभी भी एक महान महत्व रखता है. सुभाष चंद्र बोस समाजवादी थे और स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से बहुत प्रेरित थे.
वर्ष 1945 में नेताजी के अचानक लापता होने के कारण, उनके जीवन के प्रमाण पर एक प्रश्न-चिह्न बन गया था. भारत सरकार ने उनकी मृत्यु के परिस्थितियों केरहस्य की वजह से इस मामले की जांच करने के लिए कई समितियां स्थापित कीं. माना जाता है कि 1945 में ताइवान में हवाई दुर्घटना के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी, हालांकि, उन्होंने एक विरासत पीछे छोड़ दी है जिसने पीढ़ी दर पीढ़ी युवा भारतीयों को प्रोत्साहित किया है. स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका का देश द्वारा हमेशा सम्मान किया जाएगा.
“यदि कोई संघर्ष नहीं है, यदि कोई जोखिम नहीं लिया जाता है तो जीवन अपनी आधी दिलचस्पी खो देता है”
-एस सी बोस



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