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चाणक्य नीति- सक्सेस के 6 सूत्र (Chanakya’s Chant: Great Learning For Students)

चाणक्य नीति- सक्सेस के 6 सूत्र (Chanakya's Chant: Great Learning For Students) | Latest Hindi Banking jobs_3.1

  CHANAKYA’S CHANT: GREAT LEARNING FOR STUDENTS

 
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इस समय Exams का सीजन चल रहा है और अप सभी अपनी परीक्षाओं के लिए मेहनत कर रहे हैं या अपनी स्टडी शुरू करने वाले होंगे,  क्योंकि हमारे सामने एक के बाद एक भर्तियाँ जारी होने के साथ-साथ करियर के अवसर भी मिल रहे हैं. यह  समय केवल आपसे मेहनत चाहता है, आप मेहनत करेगे, तो आपको कोई भी सक्सेस पाने से रोक नहीं सकता.  इसीलिए, हम आज इस आर्टिकल में आप ही के लिए लेकर आये हैं  –  चाणक्य के सूत्र.  
आप नीचे चाणक्य के Super Six Sutras पर अमल करिए, यह सूत्र किस भी स्टूडेंट के लिए इतने जरूरी हैं कि आपके भविष्य को बदलने की शक्ति रखते हैं, तो आइए जानते है उनके बारे में।
 चाणक्य कौन है?

 चाणक्य कौटिल्य के नाम से भी प्रसिद्ध थे साथ ही यह चंद्रगुप्त मौर्य के भी शिक्षक थे।  यह एक बहुमुखी चरित्र के थे साथ ही बेहद प्रतिभाशाली भी। चाणक्य अपनी राजनीति, रणनीतियों, लेखन और सिद्धांतों के लिए भी प्रसिद्ध थे।
 हालाँकि चाणक्य द्वारा उनके उच्चारित किए हुए उनके सूत्रों को 2500 साल हो चुके हैं फिर भी वे आज तक हमारे जीवन में महत्वपूर्ण साबित होते हैं और अगर इन्हें अपने जीवन मे उतारा जाए तो यह व्यक्ति का जीवन बदल सकते है।
नीचे सक्सेस के 6 सूत्र दिए गए हैं जो एक छात्र या लर्नर के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं जो निश्चित ही उन्हें सफलता के निकट ला सकते है।


 सक्सेस के 6 सूत्र

 1. केवल किताबी ज्ञान ही महत्वपूर्ण नहीं है:

 चाणक्य कहते हैं कि व्यावहारिक ज्ञान अर्थात प्रैक्टिकल नॉलेज ही सच्ची विद्या है।  किसी भी छात्र को किताबी ज्ञान के साथ साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण होना भी महत्वपूर्ण है जो व्यक्ति के जीवन में बहुत मदद कर सकता है।  यह बात बिल्कुल क्लियर है कि व्यक्ति जितना अधिक प्रैक्टिकल नॉलेज  लेता है उसके सफल होने की संभावनाए उतनी अधिक बढ़ जाती है तो हमे किताबी ज्ञान के साथ साथ व्यवहारिक ज्ञान भी होना चाहिए। किताबी ज्ञान आपको सफलता के उस शिखर तक नही पहुंचा सकता जो आप डिज़र्व करते हो उसके लिए आपको किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान होना आवश्यक है। 
 2. ज्ञान के चार आयाम है:

 यदि मनुष्य ज्ञान अर्जित करना चाहे तो वह ज्ञान एक स्रोत से प्राप्त नहीं कर सकता है।  उसे सीखने के लिए कई अन्य स्रोत की आवश्यकता होती हैं।चाणक्य के अनुसार सीखने के चार प्रमुख स्रोत  होते हैं।  एक छात्र शिक्षक से केवल एक चौथाई ज्ञान ही सीखता है और एक चौथाई सेल्फ स्टडी से और एक चौथाई अपने साथियों से और शेष एक चौथाई वह वक्त से सीखता है क्योंकि वक्त भी काफी कुछ सिखाता है।
 3. काम करने का सही समय समझें:
 हर दूसरी चीज की तरह पढ़ाई के लिए भी एक सही समय होता है।  जैसे अगर कोई उम्मीदवार 32 साल की उम्र में यूपीएससी की तैयारी शुरू करे तो इसका कोई फायदा नहीं है।  एक बार जब आप सही समय  को बर्बाद कर देते हैं तो परिस्थितियों से पार पाना लगभग असंभव हो जाता है। जबकि कई लोगों का मानना है कि कोई भी किसी भी उम्र में पढ़ सकता है।  यह बात सच है  लेकिन उम्र बीत जाने के बाद यह उन्हें नौकरी नहीं दिला सकता है तो उस अध्ययन का क्या फायदा है अगर यह आपको आपका लक्ष्य पूरा करने में मदद नही करता है।
 4. समाज से दूरी बनाए रखें:

 समाज क्या कहता है या समाज क्या सोचता है यह एक छात्र का काम नहीं है। एक विद्यार्थी को समाज  को अनदेखा करना चाहिए क्योंकि  केवल आप ही हो जो खुद को बेहतर लाइफ जीने में मदद कर सकते हो क्योकि आप अपने करियर के निर्माता हैं आप गेम चेंजर हो जो अपने भविष्य को सँवार सकते है और हमेशा ध्यान रखे अन्त भला तो सब भला।  
 5. विनम्रता से बचे:

 वैसे सच तो यह है अत्यंत विनम्र होना उचित बात नहीं है।  जो व्यक्ति विनम्रता से मुक्त होता है, वह धन, अनुग्रह और ज्ञान प्राप्त करने में सफलता और सुख प्राप्त करता है।  यदि आप विनम्र नहीं हैं तो आप इन सभी चीजों को प्राप्त करेंगे।
 6. अपने लक्ष्य/स्टडी के प्रति दृढ़ रहें:

आपको आपके लक्ष्य के लिए लगातार काम करना होगा साथ ही आपको ज्ञान, धन या किसी अन्य चीज के लिए लगातार प्रयास करना होगा तभी आप निश्चित रूप से उसे हासिल कर पाएंगे।  उदाहरण के लिए बून्द बून्द से घड़ा भरता है। जैसे कुछ बूंदें बर्तन को भर सकती थीं क्योंकि वह बूंदें लगातार टपक रही थीं।  इसी तरह यदि आप चाहे थोड़ा लेकिन हर रोज अपने लक्ष्य के लिए काम करे तो निश्चित ही एक दिन सफलता हासिल करोगे।


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