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Just because I am different… doesn’t mean I am lost…..

Just because I am different… doesn't mean I am lost….. | Latest Hindi Banking jobs_2.1

हम अक्सर आपसे संघर्ष के बारें में बातें करते है, यह बातें हम आपसे मूल रूप से सिर्फ इसलिए करते है क्योंकि हम आपको यह बताना चाहते है कि जीवन में केवल आप ही संघर्ष नहीं कर रहें है बल्कि कुछ लोग ऐसे है जो अदभुत होते है और आपसे अधिक संघर्ष कर रहें है. हर किसी के जीवन की परिस्थितयां अलग है, और हर किसी को अपनी परेशानी बड़ी लगती है. आज हम आपके साथ ऐसे व्यक्तित्व के बारें में बात कर रहें है जिनके हाथ और पैर दोनों ही नहीं है. जी हाँ बिना हाथ और पैरो के जीवन कितना कठिन हो जाता है ये कल्पना करने से ही हमारी रूह कांप उठती है.. आज हम निकोलस जेम्स वुजिकिक के संघर्ष के बारे में आपसे बात करेंगें….


निकोलस जेम्स वुजिकिक एक ऑस्ट्रेलियाई ईसाई मत प्रचारक और प्रेरक वक्ता हैं जो टेट्रा-अमेलिया सिंड्रोम जैसी घातक बीमारी के साथ पैदा हुए हैं,  जिसमे हाथ और पैर नहीं होते है, वह सात ज्ञात व्यक्तियों में से एक है जो इस बीमारी से संघर्ष करते हुए जीवित है.

वह पूरी तरह से गठित अंगों के बिना या टेट्रा-अमेलिया के साथ पैदा हुए. उनकी आत्मकथा के अनुसार, जब नर्स उनकी माँ के सामने उन्हें पहली बार उन्हें लायी तो उनकी मां ने उन्हें देखने या पकड़ने से इनकार कर दिया, लेकिन अंततः उनके माता-पिता ने उनकी स्थिति को स्वीकार किया और इसे भगवान की मर्जी समझा.

वुजिकिक के दो छोटे और विकृत पैर है, जिन्हें वह अपने आकार की वजह से “चिकन ड्रमस्टिक” कहते है. इन्ही से वह दैनिक जीवन के विभिन्न कार्य करते है. इन सभी समस्याओ के बावजूद भी वुजिकिक ने हार नहीं मानी बल्कि यदि यह कहें कि बिना हाथ-पैरो के जीवन व्यापन करना कितना कठिन हो सकता है यह हम और आप अच्छी तरह से समझ सकते है…

इस सब के बावजूद भी वुजिकिक ने संघर्ष किया और अपने जीवन में सफल हुए और आज एक धर्म-प्रचारक और लेखक बने. और अपने जीवन में आज वो सफल है…

हम हमेशा छोटी-छोटी चीजों से परेशान हो जाते है और भूल जाते है कि हमारी परिस्थितयों से भी अधिक विकट स्थिति से कुछ लोग है जो जूझ रहे होंगें… अपनी असफलताओ से अक्सर हम निराश हो जाते है… कभी-कभी यह निरशा हमारे जीवन में अवसाद का रूप धारण कर लेती है… पर इस स्थिति से हमे ही खुद को निकालना होता है… जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए…. हमेशा अपनी स्थितयों से लड़ते रहियें…. अब्दुल कलाम जी ने भी कहा है कि….

हम अपनी किस्मत नहीं बदल सकते है परन्तु हम अपनी आदतें बदल सकते है…. और यह बदली हुई आदते हमारा भविष्य बदल सकती है….

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